डॉ. रविंद्र मलिक, India News (इंडिया न्यूज), Crackdown on Food Adulteration, चंडीगढ़ : हरियाणा में त्योहारी सीजन में खाने-पीने की चीजों में मिलावट का खेल कोई नई बात नहीं है। हर साल दुकानदारों द्वारा खाद्य और पेय पदार्थों में जमकर मिलावट होती है और जमकर लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ किया जाता है। साथ ही ये मुद्दा भी निरंतर चर्चा में रहता है कि संबंधित विभाग द्वारा खाने-पीने की चीजों के जो सैंपल भरे जाते हैं, इनकी रिपोर्ट आने में कई दफा देरी होती है जिसके चलते मिलावटखोरों के हौसले बुलंद होते हैं। लेकिन अबकी बार विभाग ने मिलावटखोरों पर लगाम लगाने के पुख्ता इंतजाम कर लिए हैं।
विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार अबकी बार हर जिले में खाद्य-पीने की वस्तुओं के काम से जुड़े व्यापारियों व दुकानदारों पर नजर रखी जाएगी। इसको लेकर विभाग की तरफ से आदेश भी जारी कर दिए गए हैं। इनके अनुसार आम जनता को पौष्टिक व मिलावट रहित खाद्य पदार्थ उपलब्ध करवाने के लिए हरियाणा राज्य में अधिक से अधिक नमूने लेने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा।
विभाग की तरफ से निर्देश देते हुए साफ किया गया है कि त्योहारों के मौसम में सभी दुकानों/डेयरियों/गोदामों व अन्य खाद्य पदार्थों की दुकानों का निरीक्षण किया जाए। विभाग के अधिकारी ये सुनिश्चित करें कि राज्य में एक भी दुकान बिना चेकिंग के बचनी नहीं चाहिए। साथ ही सुनिश्चित किया जाए कि हर डेयरी और खाद्य पदार्थ के हर गोदाम का भी निरीक्षण हो ताकि मिलावट को पूर्ण रूप से रोका जा सके।
इसके अतिरिक्त यदि आपको कोई भी खाद्य पदार्थ मिलावटी/अवमानक/मिथ्याछाप प्रतीत होता है तो उस खाद्य पदार्थ को खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 व नियम 2011 के अनुसार जब्त कर लिया जाएगा तथा जो खाद्य पदार्थ जल्दी खराब होने वाले (जैसे कि दूध व दूध से बने खाद्य पदार्थ) मौके पर आपको गले-सड़े व बदबूदार प्रतीत होते हैं तो उसे भी नष्ट कर दिया जाएगा। उक्त कार्यवाही की रिपोर्ट मुख्यालय को भेजना और सुनिश्चित करना जिला स्तर पर अधिकारियों की जिम्मेदारी होगी।
त्योहारी सीजन में दूध से बने उत्पादों में जमकर मिलावट होती है। दूध व मावे में इनकी जगह पानी, यूरिया, सफेद रंग, वॉशिंग पाउडर मिला दिया जाता है और फिर मिलावट के बाद मिठाइयां तैयार की जाती हैं। इनके अलावा घी में भी व्यापक पैमाने पर मिलावट की जाती है। इसमें वेजिटेबल ऑयल और एनिमल फैट मिला दी जाती है। इससे एनिमिया और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
ये भी बता दें कि असली घी से बने मिठाई गर्म होने के बाद रंग नहीं बदलती, वहीं इसके विपरीत नकली घी से तैयारी मिठाई को जब आप गर्म करेंगे तो उसमें से बदबू आएगी और गहरे भूरे रंग की हो जाएगी। त्योहारों में जब मिठाई की डिमांड सबसे अधिक होती है तो मिलावटखोर दुकानदार उस पर वर्क चांदी व सोने की जगह एल्युमिनियम लगाकर उसे आकर्षक बना देते हैं। असली चांदी वर्क हाथ से मसलने पर गायब हो जाते हैं, जबकि एल्युमिनियम के वर्क मसलने के बाद गोली के रूप में बदल जाते हैं। शरीर के अंदर जाकर यह एल्युमिनियम पच नहीं पाता और शरीर में जमा होकर कई बीमारियों का सबब बनता है।
त्योहारी सीजन में दुग्ध उत्पादों के अलावा मसालों में भी खूब मिलावट होती है। हल्दी में डाई कलर मिलाया जाता है। जो रंग कपड़ों में इस्तेमाल किया जाता है, वो ही कलर हल्दी में इस्तेमाल किया जाता है। सस्ता और बेहद घटिया क्वालिटी का पीला रंग मिलाकर बेची जाने वाली हल्दी खाने से कैंसर और पेट संबंधी क्रॉनिक समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा मिर्च में ईंट यानी ब्रिक्स पाउडर की मिलावट की जाती है। इसके चलते कैंसर और पाचन संबंधी बीमारी हो सकती है।
दालचीनी में भी इस हद तक मिलावट की जाती है कि घटिया क्वालिटी की पहचान करना जटिल काम होता है। इसके जैसे ही एक पेड़ की स्टिक्स को इसमें मिला दिया जाता है। फिर इसके खाने से लिवर डैमेज, लो ब्लड शुगर, मुंह या आंतों में छाले और कैंसर की समस्या हो सकती है। यहां तक कि इसके सेवन से कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है। काली मिर्च में भी पपीते के बीज मिला इसको बेचा जाता है है। इसके चलते लिवर और पेट खराब होने का खतरा रहता है, लंबे समय तक इनके यूज से क्रॉनिक डिसऑर्डर भी हो सकते हैं।
एफडीए के एसिस्टेंट कमिश्नर डीके शर्मा का कहना है कि सभी जिलों में त्योहारी सीजन में मिलावटखोरों के खिलाफ हरसंभव कदम उठाने के निर्देश जारी कर दिए हैं। हर छोटे-बड़े दुकानदार व व्यापारी पर नजर रखी जाएगी। जो भी नियमों की अवहेलना करते पाया गया, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए अधिक से अधिक सैंपल भरे जाएंगे और अधिकारी फील्ड में रहेंगे।