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Violation of RTI Act : आर.टी.आई. एक्ट की उल्लंघना के मामले में 4 पालिका सचिव चंडीगढ़ तलब

PUBLISHED BY: • LAST UPDATED : July 5, 2024
  • 25 हजार रुपए के जुर्माने का शो कॉज़ नोटिस भी जारी 

India News Haryana (इंडिया न्यूज), Violation of RTI Act : राज्य सूचना आयुक्त प्रो.(डॉ) जगबीर सिंह ने आरटीआई की सूचना न देने के दोषी चार पालिका सचिवों के वारंट जारी कर इन चारों अधिकारियों को आगामी 15 जुलाई को चंडीगढ़ तलब किया है। एसपी सोनीपत को इन चारों पालिका सचिवों के खिलाफ जमानती वारंट भेज कर इन्हें आगामी 15 जुलाई को चंडीगढ़ को निजी तौर पर पेश होने के आदेश दिए हैं। इन पालिका सचिवों में नगरपालिका कुंडली के सचिव घरौंडा नगर पालिका सचिव, रानियां (सिरसा) पालिका सचिव व सोनीपत नगर निगम के प्रोजेक्ट ऑफिसर शामिल हैं।

Violation of RTI Act : यह है मामला

आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने बताया कि उन्होंने चार वर्ष पहले 16 मई 2020 को समालखा नगर पालिका में आरटीआई आवेदन लगा कर सफाई कार्यों के ठेके बारे सूचना मांगी थी, लेकिन इन चारों पालिका सचिवों ने समालखा नगर पालिका में पालिका सचिव पद पर अपनी नियुक्ति के दौरान कपूर के इस आरटीआई आवेदन का कोई जवाब तक नहीं दिया। राज्य सूचना आयोग ने  9 फरवरी 2021, 2 मार्च 2921 व 15 मार्च 2022 को समालखा नगर पालिका के सचिव पवित्र गुलिया को 15 दिन में  सूचनाएं देने के आदेश दिए और उनके खिलाफ 25 हजार रुपए जुर्माने का नोटिस जारी किए। पालिका सचिव पवित्र गुलिया ने न तो सूचना सूचना दी और न ही नोटिस का जवाब दिया।

प्रदेश में आरटीआई एक्ट का भट्ठा बैठा दिया

इसके बाद नगर पालिका समालखा में सचिव के पद पर तैनाती के दौरान पालिका सचिव रवि प्रकाश,आशीष कुमार व राकेश कादियान ने भी कोई सूचना नहीं दी। इस केस की गत 7 मई  2024 को सूचना आयोग में  सुनवाई के दौरान भी ये चारों अधिकारी हाजिर नहीं हुए और न ही गैरहाजिर रहने बारे आयोग को कोई प्रार्थना पत्र भेजा राज्य सूचना आयुक्त प्रो. (डा.) जगबीर सिंह ने चारों पालिका सचिवों के इस आरटीआई एक्ट विरोधी आचरण का कड़ा संज्ञान लेते हुए एसपी सोनीपत को इन चारों के खिलाफ जमानती वारंट भेज कर इनको 15 जुलाई को पेश करवाने के आदेश दिए हैं। पीपी कपूर ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार और सूचना आयोग ने प्रदेश में आरटीआई एक्ट का भट्ठा बैठा दिया है। जन सूचना अधिकारी न तो सूचना देते हैं, न जुर्माना राशि जमा कराते,सूचना आयोग के आदेशों को ठेंगे पर रखते हैं।

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