India News Haryana (इंडिया न्यूज), Gender Ratio : देश के अन्य राज्यों की तुलना में हरियाणा में लिंगानुपात की कम दर हमेशा से चिंता का विषय रही है। दरअसल, वर्ष 2014 में हरियाणा में लिंगानुपात 871 था। इसको देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान की शुरुआत पानीपत से की थी, ताकि कोख में बेटियों की हत्या न हो।
पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट को सफल बनाने की दिशा में तत्कालीन पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के कार्यकाल में ठीक-ठाक काम हुआ, जिसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिले। इसके बाद लिंग जांच और भ्रूण हत्या को लेकर लगातार सख्ती और पड़ोसी राज्यों उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान और पंजाब में भी निरंतर छापेमारी व प्रशासनिक कार्यशैली के चलते लिंगानुपात में व्यापक पैमाने पर सुधार आया।
पिछले कुछ समय से पड़ोसी राज्यों में ढिलाई और हरियाणा में मॉनिटरिंग व जवाबदेही में कमी से लिंगानुपात फिर गड़बड़ाया है। अब स्थिति यह हो गई है कि लिंगानुपात के मामले में जहां हम 8 साल पहले चले थे, वहीं आज फिर खड़े हैं। हरियाणा में लिंगानुपात फिर गड़बड़ाने लगा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा वर्ष 2015 में पानीपत से शुरू किए गए राष्ट्रव्यापी अभियान ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ के बाद प्रदेश में वर्ष 2019 में लिंगानुपात बढ़कर 923 पर पहुंच गया था, लेकिन इसके बाद लिंगानुपात में फिर से गिरावट आने लगी जोकि बेहद चिंताजनक है। मामले को लेकर हरियाणा के डीजी हेल्थ डॉक्टर आरएस पूनिया ने कहा कि प्रदेश इस पहलू पर लगातार काम कर रहा है और आगे सकारात्मक परिणाम आएंगे।
साल 2014 में हरियाणा में प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 871 थी। इसके बाद 2015 में महिलाओं का आंकड़ा बढ़कर 876 और 2016 में 900 तक पहुंच गया। इसके बाद 2017 और 2018 में महिलाओं का आंकड़ा बढ़कर 1000 पुरुषों की तुलना में 914 रहा, इसके बाद 2019 में अपेक्षाकृत सुधार हुआ और संख्या बढ़कर 923 हो गई और 2020 में आंकड़ा घटकर 922 रह गया। इसके बाद से लगातार लिंगानुपात में कमी नजर आई।
2021 में लिंगानुपात घटकर 214 रह गया और फिर उसमें हल्का सा सुधार हुआ और 2022 में बढ़कर 917 हो गया। इसके बाद 2023 में 916 और अब अप्रैल 2024 तक महिला लिंगानुपात का आंकड़ा 914 है। इस लिहाज से पिछले 8 वर्ष के आंकड़ों को देखें तो जहां 2017 में प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 914 थी तो अप्रैल 2024 तक भी आंकड़ा 914 ही और हम आठ साल पहले यहां से चले थे आज फिर वहीं हम खड़े हैं।
हरियाणा में 22 में से कुल 7 जिले ऐसे हैँ, जहां प्रति एक हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 870 से लेकर 900 के बीच है जो स्थिति की भयावहता को साफ दर्शा रहा है। हरियाणा के रोहतक में प्रति 1,000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या सबसे कम है। यहां पर महिलाओं की संख्या 870 है। यह भी बताने की रोहतक में भ्रूण हत्या और ऑनर किलिंग के मामले अन्य जिलों की तुलना में कहीं ज्यादा आते हैं। वहीं कैथल में पुरुषों की तुलना में महिलाओं का आंकड़ा 872 है।
कुछ समय पहले जहां जींद का नाम लिंगानुपात के मामले में प्रदेशभर में सबसे ऊपर था। अब वहां भी हालात सबसे खराब हैं। प्रति 1000 पुरुषों पर जींद में महिलाओं की संख्या 888 है जोकि बेहद चिंताजनक है। पानीपत में प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 888 है। इनके अलावा फरीदाबाद में महिलाओं की संख्या 899 और उपरोक्त के अलावा रेवाड़ी में महिलाओं का आंकड़ा 885 है तो वहीं फरीदाबाद में महिलाओं का आंकड़ा 899 है। बता दें कि हरियाणा के आधा दर्जन से ज्यादा जिलों में पिछले 8 साल में लिंगानुपात में कमी आई है।
वहीं दूसरी तरफ प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या के मामले में हरियाणा का जिला चरखी दादरी और फतेहाबाद सबसे ऊपर है। चरखी दादरी में 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या सबसे ज्यादा 997 है तो वहीं फतेहाबाद में यह आंकड़ा 972 है। इसलिए लिहाज से प्रदेश के अन्य जिलों को इन दोनों जिलों से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है।
इसके अलावा सीएम सिटी करनाल में महिलाओं की संख्या 960 है तो पलवल में यह आंकड़ा 949 है। यह भी बता दें की पलवल हर लिहाज से प्रदेश के अन्य जिलों की तुलना में पिछड़ा हुआ है और यहां पर लिंगानुपात बेहतर स्थिति में है। इसके अलावा भिवानी में प्रति 1000 पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या 946, कुरुक्षेत्र में 943, यमुनानगर में 940 और सिरसा में 939 है। उपरोक्त आंकड़ों से स्पष्ट है कि यह प्रदेश के अन्य जिलों से लिंगानुपात के मामले में कहीं बेहतर और सुखद अवस्था में है। वहीं मेवात में प्रति 1 हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 920, अंबाला में 930, पंचकूला में 925, हिसार में 921 और गुरुग्राम में 907 है।
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