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Glaucoma Week in Rohtak : काला मोतिया हो सकता है आपकी नजर के लिए खतरनाक

• LAST UPDATED : March 14, 2024
  • 17 मार्च तक मनाया जा रहा है ग्लूकोमा सप्ताह

  • रोहतक के सामान्य अस्पताल के नेत्र विभाग द्वारा किया जा रहा है लोगों को जागरूक

  • सामान्य अस्पताल के नेत्र विभाग में वरिष्ठ डॉक्टर सत्येंद्र वशिष्ठ ने दी जानकारी

India News (इंडिया न्यूज़), Glaucoma Week in Rohtak, चंडीगढ़ : ग्लूकोमा यानी के काला मोतिया जो आपको अंधा बना सकता है। लोगों को इस बीमारी के प्रति सचेत रहने के लिए रोहतक के सामान्य अस्पताल में 10 मार्च से 17 मार्च तक ग्लूकोमा सप्ताह मनाया जा रहा है। इसको लेकर नेत्र विभाग में कार्यरत वरिष्ठ डॉक्टर सत्येंद्र वशिष्ठ ने जानकारी दी कि ओपीडी में आने वाले मरीजों को इस बीमारी के प्रति जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने इस बीमारी के कारण, बचाव और इलाज के बारे में पत्रकारों को विस्तृत जानकारी दी। डॉ. वशिष्ठ ने लोगों को सचेत करते हुए बताया कि जिन लोगों को शुगर, ब्लड प्रेशर या किसी को आंख में चोट लगी हो और जिनकी उम्र (40) हो तो वे लोग साल में एक बार अपनी आंखों को जरूर चेक करवा लें। डॉक्टर की सलाह के अनुसार इलाज लेते रहें और लापरवाही से बचें।

काला मोतिया के प्रति लापरवाही न बरतें

डॉक्टर सत्येंद्र वशिष्ठ ने लोगों को आगाह किया कि वह काला मोतिया के प्रति लापरवाही न बरतें क्योंकि यह बीमारी हमारी आंख की रोशनी को खत्म कर देती है और नजर फिर कभी वापस नहीं आती। इससे बचने के लिए हमें साल में एक बार जरूर अपनी आंखों का चेकअप करवाना चाहिए। खासतौर पर वे लोग जरूर ध्यान रखें जिन लोगों को ब्लड प्रेशर है शुगर है जिनके चश्मा का नंबर जल्दी-जल्दी बढ़ रहा है या किसी के परिवार में पहले से काला मोतिया है। विशेष तौर पर देखा गया है कि इस बीमारी के कोई लक्षण सामने नहीं आते और बीमारी का मरीज को पता नहीं चल पाता और धीरे-धीरे उसकी आंखों की रोशनी चली जाती है।

उन्होंने बताया कि काला मोतिया दो प्रकार से होता है। एक प्रकार में तो थोड़ा बहुत लक्षण सामने आता है। जैसे आंखों में लाली हो जाना, सर में तेज दर्द हो जाना या रोशनी में देखने पर आंख आसपास रंग-बिरंगे के घेरे बन जाना आदि ये लक्षण होने पर हमें सचेत होना चाहिए, लेकिन दूसरे प्रकार की बीमारी में कोई लक्षण दिखाई नहीं देता। इसलिए जरूरी है कि नियमित अपनी आंखों का चेकअप करवाते रहें। साथ ही उन्होंने बताया कि अस्पताल में डॉक्टर से अपना पूरा इलाज करवाएं, क्योंकि इसका इलाज काफी लंबा चलता है। इस बीमारी में पहले मरीज को दवाइयाें से ठीक करने की कोशिश की जाती है। अगर दवाइयां से ठीक नहीं होता तो फिर लेजर द्वारा आंखों की नसों को ठीक करने की कोशिश की जाती है और फिर भी नहीं होता तो आखिर में मरीज का ऑपरेशन करना पड़ता है।

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