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Gita Mahotsav Kurukshetra : विधानसभा चुनावों में सुर्खियां बटोर चुकी गोहाना की जलेबी पहुंची अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव, स्वाद ऐसा कि मन नहीं भरता

• LAST UPDATED : December 9, 2024
  • गीता जयंती पर भी पर्यटकों का खूब मिल रहा प्यार

इशिका ठाकुर, India News Haryana (इंडिया न्यूज), Gita Mahotsav Kurukshetra : अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के क्राफ्ट व सरस मेले के मौके पर कुरुक्षेत्र ब्रह्मसरोवर मिनी भारत के रूप में दिखाई दे रहा है। जहां एक तरफ शिल्पकार अपनी कला को प्रदर्शित कर रहे हैं, वहीं विभिन्न प्रदेशों के खान-पान के रंग भी यहां देखने को मिल रहे हैं। विधानसभा चुनाव में खूब चर्चा बटोर चुकी गोहाना की जलेबी अब अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में पहुंच चुकी है। हरियाणा के विधानसभा चुनाव में यह काफी चर्चा में रही है। इसकी चर्चा में रहने का मुख्य कारण भी यह है कि यह काफी अच्छा व्यंजन है, जिसको भारत ही नहीं, विदेशों में भी काफी पसंद किया जाता है।

Gita Mahotsav Kurukshetra : विश्वभर में प्रसिद्ध गोहाना की देसी घी की जलेबी का अपना ही स्वाद


स्टॉल के मालिक ताऊ बलजीत सिंह ने बताया कि विश्वभर में प्रसिद्ध गोहाना की देशी घी की जलेबी का अपना ही स्वाद है। अपनी खास बनावट के लिए जानी जाने वाली गोहाना की जलेबी वर्षों से देश-विदेश में अपनी अलग पहचान के लिए विख्यात है। गोहाना की जलेबी का स्वाद हर कोई चखना चाहता है। ताऊ बलजीत ने बताया कि वह 1960 से यह जलेबी बनाने का काम कर रहे हैं।

पहले उन्होंने 40 साल तक ताऊ मातुराम के यहां पर हवाई का काम किया था, लेकिन उसके बाद उन्होंने अपना काम करना शुरू किया है जो काफी लोकप्रिय होता जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस जलेबी की गुणवत्ता काफी अच्छी होती है, क्योंकि इसको शुद्ध देसी घी में बनाया जाता है जो एक महीने तक भी खराब नहीं होती। इसमें ऐसे किसी भी पदार्थ का प्रयोग नहीं किया जाता जो सेहत के लिए हानिकारक है या जिससे सेहत को किसी भी प्रकार का नुकसान हो, इसलिए इसको लोग काफी खाने में पसंद करते हैं और इसका स्वाद भी अलग होता है। यह कड़क होती है जिसमें खाने में काफी स्वाद आता है।

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विशाल जलेबी ब्रह्मसरोवर पर पर्यटकों में मिठास घोल रही

पिछले कई दशको से गोहाना की जलेबी की धूम देश विदेश में मची हुई है। कुरुक्षेत्र भूमि पर अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में भी यह विशाल जलेबी लगातार कई साल से पर्यटकों को लुभा रही है। पिछले 14 सालों से ताऊ बलजीत सिंह अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में आते हैं और यहां पर लोगों का खूब प्यार मिलता है और लोग इसको खरीदकर इसका स्वाद चखते हैं। गोहाना की जलेबी, मैदा, देसी घी और चीनी से तैयार की जाती है। जलेबी की विदेश में भी काफी डिमांड रहती है।

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एक जलेबी का भार इतना

आपको बता दें कि गोहाना की जलेबी अपनी खास बनावट के लिए भी जानी जाती है। एक किलो जलेबी में करीब चार जलेबिया आती हैं और कारीगरों के अनुसार 250 ग्राम की एक जलेबी बनाई जाती है। गीता जयंती में पर्यटक जहा  अन्य शिल्पियों की कला को देख रहे है। वहीं गोहाना की विशाल जलेबी को देखना और चखना नहीं भूलते। उन्होंने कहा कि वह पूरे भारत में अलग-अलग राज्यों में ऐसे क्राफ्ट मेलों में जाते हैं, जहां पर उनकी जलेबी को काफी पसंद किया जाता है और लोगों की विदेश से भी जलेबी की डिमांड आती है। ताऊ बलजीत सिंह अपने इस व्यंजन को और हरियाणा की संस्कृति को देश ही नहीं विदेश के कोने-कोने तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं।

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