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Hooda on Paddy Procurement : धान खरीद के सरकारी आंकड़ों ने खोली सरकार की पोल : हुड्डा

• LAST UPDATED : November 18, 2023

India News (इंडिया न्यूज), Hooda on Paddy Procurement, चंडीगढ़ : पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने धान की सरकारी खरीद बंद किए जाने का विरोध किया। हुड्डा ने बताया कि इस बार बाढ़ की वजह से किसानों की लाखों हेक्टेयर फसल खराब हुई। बीजेपी-जेजेपी सरकार ने ऐलान किया था कि जो किसान दोबारा धान लगाएंगे, उन्हें प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इसके चलते कई जगह धान की देरी से दोबारा रोपाई की गई।

कुरुक्षेत्र, अंबाला, फतेहाबाद और सिरसा में तो करीब 20% धान की कटाई भी बाकी है। बावजूद इसके अभी से सरकारी खरीद बंद कर दी गई। बीजेपी-जेजेपी ने किसानों को प्राइवेट एजेंसियों के हवाले कर दिया है, ताकि उन्हें एमएसपी न मिल पाए। सरकार द्वारा बार-बार लिए जा रहे ऐसे फैसलों से स्पष्ट है कि वह एमएसपी देने की जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रही है और किसानों को पूरी तरह बर्बाद करना चाहती है।

हुड्डा ने कहा कि धान की सरकारी खरीद के आंकड़ों ने खुद सरकार के दावों की पोल खोलकर रख दी है, क्योंकि इस बार सरकार ने खुद के तय किए गए टारगेट से भी करीब डेढ़ लाख टन कम खरीद की है। इतना ही नहीं, पिछले साल के मुकाबले भी सरकार द्वारा करीब 60,000 टन खरीददारी कम की गई है। पिछली बार सरकार द्वारा 59.35 लाख टन की खरीद हुई थी, जो इस बार घटकर 58.70 रह गई, जबकि सरकार ने 60 लाख टन का टारगेट रखा था।

सरकार किसानों को खाद देने में भी नाकाम

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि एमएसपी ही नहीं, गठबंधन सरकार किसानों को खाद देने में भी पूरी तरह नाकाम साबित हुई है। पहले आलू और सरसों की बिजाई के वक्त किसानों को समय पर खाद नहीं दिया गया। इसके चलते सरेआम खाद की कालाबाजारी हुई। अब गेहूं की बिजाई शुरू हो गई है और एक बार फिर किसानों को खाद की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। किसानों को कई-कई दिनों तक लंबी-लंबी कतारों में इंतजार करना पड़ रहा है। किसान पिछले सीजन की बाढ़ के घाटे से भी उभर नहीं पाए हैं और बीजेपी-जेजेपी ने आने वाली फसल में भी उन्हें नुकसान पहुंचाने की नीति शुरू कर दी है।

हुड्डा ने मांग की कि सरकार को बिना देरी के उचित मात्रा में किसानों को खाद मुहैया करवानी चाहिए। साथ ही धान की सरकारी खरीद जारी रखनी चाहिए और सरकार द्वारा दोबारा धान की रोपाई करने वाले किसानों को अपने वादे के मुताबिक प्रोत्साहन राशि देनी चाहिए।

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