ब्राह्मण समाज को दिए दो रेज्युलेशन, एक कश्मीरी पंडितों के लिए धन एकत्रित करने और दूसरा ईबीपीजी के लिए एकजुट होने का
कश्मीरी पंडितों के विस्थापन के लिए जो धनराशि एकत्रित होगी, उसमें वो अपनी तरफ से करेंगे 50 लाख का सहयोग
इंडिया न्यूज, जींद।
पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा (Former Union Minister Vinod Sharma) ने कश्मीरी पंडितों के साथ पूर्व में हुई घटनाओं पर दुख व्यक्त करते हुए ब्राह्मण समाज से आह्वान किया कि हर जिले में दो रेज्युलेशन पास किए जाएं। जिसमें सबसे पहले कश्मीरी पंडितों के विस्थापन के लिए धन एकत्रित किया जाए। जो भी राशि ब्राह्मण समाज द्वारा एकत्रित की जाएगी, वो उसमें अपनी तरफ से 50 लाख रुपए डालेंगे और इस राशि को अक्षय तृतीया पर्व पर कश्मीरी पंडितों के सहायतार्थ लगाया जाएगा। इसके साथ ही दूसरे रेज्युलेशन के तहत ईबीपीजी (Economically Backward Persons in General) को फिर से बहाल करवाने के लिए एकजुटता दिखाई जाए। पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा शनिवार को ब्राह्मण धर्मशाला में आयोजित नागरिक अभिनंदन समारोह को संबोधित कर रहे थे।
इससे पहले ब्राह्मण समाज के द्वारा पूर्व मंत्री विनोद शर्मा को सम्मान स्वरूप पगड़ी पहनाकर उनका भव्य स्वागत किया गया। उन्होंने कहा कि 1970 व 80 के दशक में कश्मीरी पंडितों के साथ जो हुआ वो किसी से छुपा नहीं है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट के सीटिंग जज के माध्यम से कश्मीरी पंडितों के साथ हुए अन्याय की जांच करवाई जाए और देशभर में अपनी पहचान को तरस रहे इन कश्मीरी पंडितों के विस्थापन के लिए नीति बनाई जाए, ताकि ये लोग भी सम्मान के साथ अपना जीवन जी सकें। उन्होंने कहा कि ब्राह्मण, बणिया, राजपूत व पंजाबी को ईबीपीजी के तहत आरक्षण दिलवाने के लिए जो लड़ाई लड़ी गई थे, वो आसान नहीं थी। कई लोगों ने इसका विरोध भी किया था लेकिन जब इस आरक्षण के लाभ सामने आने लगे तो वही लोग इस आरक्षण की प्रशंसा करने लगे थे। इसके लिए अखिल भारतीय आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीयध्यक्ष हरिराम दीक्षित बधाई के पात्र हैं। उन्होंने ही इस आरक्षण को लेकर अकेले लड़ाई शुरू की थी।
पूर्व मंत्री ने कहा कि यह आरक्षण केवल एक समाज के लिए नहीं था बल्कि इसमें बनिया, पंजाबी व राजपूत भी शामिल थे। आरक्षण मिलते ही इन चारों समाज के होनहार बच्चों को नौकरी मिलने लगी थी, परंतु पक्षपात के चलते ईबीपीजी के तहत मिले आरक्षण का लाभ अब नहीं दिया जा रहा। समाज के युवाओं को नौकरी नहीं मिल रही। हालांकि यह आरक्षण आर्थिक रूप से पिछड़ों के लिए था। क्योंकि देशभर की बात की जाए तो 95 प्रतिशत लोग इस श्रेणी में आते हैं। ऐसे में यह आरक्षण आर्थिक रूप से पिछड़ों के लिए वरदान भी था। अब समय आ गया है कि फिर से एकजुटता दिखाते हुए इस आरक्षण की बहाली को लेकर ब्राह्मण समाज के साथ-साथ अन्य सामाज की आवाज बुलंद करे। इस आरक्षण की बहाली को लेकर वो समाज के साथ हैं।
उन्होंने कहा कि प्रतिभावान युवाओं के साथ नौकरियों में भेदभाव न हो, इसके लिए एचएसएससी कार्यालय का घेराव तक किया गया था, जिसका असर यह हुआ कि तीसरे व चौथी कैटेगरी के लिए साक्षात्कार को बंद कर दिया गया लेकिन अभी भी पहली व दूसरी कैटेगरी के लिए साक्षात्कार जारी है। उनका प्रयास है कि इन दोनों कैटेगरी में भी साक्षात्कार प्रक्रिया को खत्म किया जाए, ताकि साक्षात्कार प्रक्रिया में कम अंक दिए जाने के चलते प्रतिभावन युवाओं का भविष्य खराब न हो। उन्होंने कहा कि ब्राह्मण समाज अपने आप को कमजोर न समझें। ब्राह्मण समाज अगर देना जानता है तो वो लेना भी जानता है। उन्होंने मंच से ब्राह्मण समाज से आह्वान किया कि वो प्रदेशभर में जिलेवार सभाएं कर इबीपीजी की फिर से बहाली को लेकर रेज्युलेशन पास करें। जब तक आरक्षण नहीं मिल जाता, तब तक संघर्ष जारी रहेगा।
इस मौके पर हरिराम दीक्षित, ब्राह्मण सभा के प्रधान सियाराम शास्त्री, विनोद आशरी, रघुवीर भारद्वाज, मीना शर्मा, धर्मबीर पिंडारा, सुधीर कौशिक, रामफल शर्मा सहित अनेक गणमान्य लोग मौजूद रहे।
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