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Gurdwara Shri Jora Sahib Pehowa : आस्था का प्रतीक है गुरुद्वारा जोड़ा साहिब, दूर-दूर से पहुंचती है संगत

• LAST UPDATED : May 13, 2023
इशिका ठाकुर, India News, (इंडिया न्यूज), Gurdwara Shri Jora Sahib Pehowa, कुरुक्षेत्र : कुरुक्षेत्र की धरा पर वैसे तो काफी धार्मिक स्थल हैं, वहीं आज हम आपको यहां एक ऐतिहासिक गुरुद्वारे के बारे में भी बताने जा रहे हैं जोकि कुरुक्षेत्र के पिहोवा के गांव सियाना सैदा में हैं। इस गुरुद्वारे का नाम जोड़ा साहिब है जिसके बारे में मान्यता है कि यहां दशमेश गुरु गोविंद सिंह महाराज करीब 300 साल पहले आए थे। उस समय उन्होंने अपने पांव में पहने जोड़े यहां अपने एक भगत की मांग पर उसे दे दिए थे।
     वहीं यहां देश विदेश जाने के इच्छुक लोग यहां अपनी मान्यता को लेकर आते हैं और उनके विदेश जाने की कार्य में अगर कोई अड़चन आती है तो यहां अरदास करने से उनके कार्य सफल हो जाते हैं और इसी गांव के लगभग 500 युवा विदेशों में कार्य करने के लिए गए हुए हैं। चलिए आज आपको एक बार फिर रू-ब-रू करवाते हैं इस गुरुद्वारे के इतिहास और यहां की मान्यता से।

आनंदपुर साहिब से मुख्तसर पटियाला की यात्रा करते हुए गुरु जी पहुंचे थे पिहोवा

पिहोवा के गांव सियाना सैदा में लगभग 300 वर्ष पूर्व भाई वीर सिंह त्रिखान (बढ़ई) के पूर्वज रहते थे जोकि गुरु गोविंद सिंह के भगत थे। इन्हीं दिनों गुरु गोविंद सिंह आनंदपुर साहिब से मुख्तसर पटियाला की यात्रा करते हुए कुरुक्षेत्र के पिहावा के गांव सियाना सैदा पहुंचे थे। गांव के बाहर आराम करने को लेकर जहां गुरुजी ने विश्राम किया, उसी जगह उनकी स्मृति में गुरुद्वारा दमदमा साहिब भी निर्मित है।

भीखण शाह ने उनके जन्म पर पूर्व में किया था सजदा

वहीं यह भी जानकारी दे दें कि गांव में एक भीखण शाह नाम का एक सूफी संत रहता था जो कि सभी धर्मों में अपनी आस्था रखते था। यह गांव एक मुस्लिम बहुल गांव था। एक बार गुरु गोविंद सिंह के जन्म पर जब भीखण शाह ने पूर्व की तरफ मुंह करके सजदा किया तो सभी हैरत में पड़ गए, क्योंकि फकीर पश्चिम की ओर मुंह करके सजदा करता है। जब उनसे कारण पूछा तो भीखण शाह ने कहा कि पूर्व में आज एक अवतार ने जन्म लिया है, वह उसी का सजदा कर रहे हैं।
      यह वही समय था जब पटना में गुरु गोविंद सिंह जी ने जन्म लिया था। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने कहा कि जिस अवतार के लिए सजदा किया गया, अवतार से रू-ब-रू करवाया जाए तो भीखण शाह मुस्लिम समुदाय के काजी को लेकर पटना की ओर रवाना हो गए तो यहीं के तरखाण यानी बढ़ई जोकि गुरु गोविंद साहिब के भगत थे, वह भी उनके साथ जाने की जिद करने लगे।
उम्र ज्यादा होने के कारण भीखण शाह ने उन्हें साथ ले जाने से मना कर दिया था और कहा था कि अगर तू उनका सच्चा भगत है तो वह उनसे मिलने जरूर आएंगे तो गुरु गोविंद सिंह पटियाला की यात्रा करते हुए इस गांव में पहुंचे थे और निशानी मांगने पर यहां अपने जूते उतारकर अपने भगत को दे दिए थे। तभी से मान्यता है कि इस स्थान पर जोड़ा साहिब गुरुद्वारा बनाया गया।

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