India News Haryana (इंडिया न्यूज), Gurnam Singh Chadhuni : भूख हड़ताल पर बैठे डल्लेवाल से मिलकर आगे के आंदोलन की करेंगे रणनीति तैयार। जब तक किसान राजनीति में नहीं आएगा तब तक किसान की तबाही रुक नहीं सकती है। सारे किसान संगठन मिलकर पहले की तरह न्यूनतम एजेंडे पर काम करें। कैथल के नीम साहिब गुरुद्वारा पहुंचे गुरनाम सिंह चैडोनी एक जत्थे के साथ खनोरी बॉर्डर रवाना हुए।
पत्रकारों से बात करते हुए गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि पंजाब के दो बॉर्डर पर लंबे समय से किसान आंदोलन चल रहा है और पिछले 20 दिनों से खनोरी बॉर्डर पर किसान नेता डल्लेवाल भूख हड़ताल पर बैठे हैं जिनकी तबीयत खराब हो चुकी है। सरकार हठधर्मिता ने बनाए हुए है। उनसे बातचीत नहीं कर रही है ना ही मामले को हल कर रही है। मांगे पूरी तरह से जायज उनकी जो मांगे हैं पूरी तरह से जायज है।
आज मैं उनका हालचाल जानने के लिए खनोरी बॉर्डर जा रहा हूं और उनसे बातचीत करने के बाद आगे की रणनीति तैयार की जाएगी। गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि शंभू बॉर्डर से किसान दिल्ली कूच करना चाहते हैं परंतु पुलिस उन पर बल प्रयोग कर रही है आंसू गैस के गोले छोड़ रही है, जिससे कुछ किसान हर रोज घायल हो रहे हैं। दूसरी तरफ खनोरी बॉर्डर पर अनशन चल रहा है हम सोच रहे हैं कि संयुक्त किसान मोर्चा इसमें शामिल हो इस पर भी वहां चर्चा होगी। उन्होंने कहा कि किसानों को बढ़ती महंगाई के हिसाब से आज न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल पा रहा है।
भाजपा नेता रामचंद्र जांगड़ा के विवादित बयानों पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए गुरनाम सिंह चढूनी बोले मैं उसे भाजपा नेता को कहना चाहता हूं कि कोई भी बयान देने से पहले अपने गिरेबान में झांक लेना चाहिए। पिछले दो वर्षों में भारत से लगभग 12 लाख लड़कियां गायब हो चुकी है यह सरकार की नकारात्मकता है वह तो केवल 700 लड़कियों की बात करता है। ऐसी हल्की बातें करना उन्हें शोभा नहीं देता। मैं भारतीय जनता पार्टी से कहना चाहूंगा ऐसे व्यक्ति का इलाज करें और जनता से माफी मांगे। और दूसरा इल्जाम किसानों पर लगा रहे हैं कि पंजाब से नशा हरियाणा में फैल रहा है, इस पर चढूनी ने आपत्तिजनक भाषा में बोलते हुए कहा मैं बता देना चाहता हूं कि अडानी अड्डे से 30000 करोड़ की स्मैक पकड़ी गई है, क्या उन्हें रोका गया है, इसके विपरीत वहां से सुरक्षा हटा ली गई।
किसानों से बैठकर बात की जाए और किसान किसी तरह का माहौल खराब नहीं कर रहे हैं, क्योंकि अभी तक किसी ने यह नहीं कहा कि किसानों की मांग जायज नहीं है। आगे के आंदोलन को लेकर मेरी सोच यह है कि सारे किसान संगठन मिलकर पहले की तरह न्यूनतम एजेंडे पर काम करें, उसमें राजनीतिक और गैर राजनीति का कोई मतलब नहीं होना चाहिए। उपराष्ट्रपति धनखड़ पर अपने प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि पहले तो उन्होंने किसानों के बारे में अच्छा नहीं बोला परंतु अब देर से बोल तो अच्छा ही है।
परंतु मुझे यह समझ में नहीं आता कांग्रेस को उनसे क्या आपत्ति है, उनसे तो भारतीय जनता पार्टी को तकलीफ होनी चाहिए थी, क्योंकि उन्होंने भाजपा के खिलाफ बोला है, परंतु कांग्रेस उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई यह समझ में नहीं आता। पिछले 10 वर्षों में 15 लाख करोड़ रूपया कॉर्पोरेट का सरकार ने माफ कर दिया अगर किसानों का माफ कर देते तो एक भी किसान आत्महत्या ना करता। किसानों का राजनीति में आना जरूरी है और मैं लिख कर देता हूं जब तक किसान राजनीति में नहीं आएगा तब तक किसान की तबाही रुक नहीं सकती है।