गुरूग्राम/दीपक शर्मा
साइबर सिटी में सीलिंग के नाम पर चल रहे घोटाले का खुलासा हुआ है, दरअसल आरटीआई में हुए खुलासे से सामने आया है कि बीते 3 सालो में नगर निगम ने ऐसे 22 सौ से ज्यादा अंडर कंस्ट्रक्शन बिल्डिंग के खिलाफ सीलिंग जारी की थी, जो कि नियमों के विरुद्ध कंस्ट्रक्शन का कमर्शियल गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा था, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि इन 22 सौ इमारतों से ज्यादातर इमारतों की डि-सिलिंग कर दी गयी है, बल्कि किसी के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई तक नहीं की गई, आरटीआई एक्टिविस्ट रमेश यादव की माने तो नगर निगम के आकड़ों से या आरटीआई जानकारी से साफ हो गया है कि सीलिंग के जरिये निजी स्वार्थ और संबंधित लोगों को मानसिक प्रताड़ित किया जा रहा है।
तस्वीर में अवैध रूप से चल रहा काम।
बता दें दरअसल नगर निगम के अधिकारियों ने 22 सौ बिल्डिंगों को सीलिंग कर इनमें से 11 सौ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की लिखित शिकायत गुरुग्राम पुलिस को दी थी, लेकिन बीते 3 सालों में कोई एफआईआर किसी भी आरोपी के खिलाफ अमल में नहीं लाई गई, पुलिस महकमे की तरफ से डीजीपी हरियाणा को आरटीआई के समक्ष यह जवाब दाखिल किया गया, कि तमाम शिकायतों पर DA से सलाह की गयी, जिसमें जानकारी आमने आई कि नगर निगम ही ऐसे तमाम आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में सिविल केस दायर करे,जिससे किसी भी बिल्डिंग या कमर्शियल गतिविधि को नियमविरुद्ध पाए जाने पर हरियाणा मुनिसिपल एक्ट के 263-A के तहत सीलिंग की जाती है, इसमें नगर निगम के ज्वाइंट कमिश्नर को यह अधिकार भी होता है कि उस बिल्डिंग के मालिक से बिल्डिंग में नियमों के तहत बिल्डिंग बनाने को लेकर हलफनामा ले।
आपको बता दें कि बीते 3 साल में नगर निगम ने किसी भी नियमविरुद्ध बिल्डिंग बना रहे आरोपी के खिलाफ कोई केस तक दायर नहीं किया है, ऐसे में सीलिंग की इस प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े होने लगे हैं।
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