India News Haryana (इंडिया न्यूज), Haryana Assembly Election 2024 : हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले तमाम सियासी दल टिकट वितरण को लेकर लगातार मंथन कर रहे हैं। गत लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद सत्ताधारी भाजपा और मुख्य विपक्षी दल वर्चस्व और सत्ता की लड़ाई में आमने-सामने हैं। हालांकि अन्य दल भी लगातार ताल ठोक रहे हैं, लेकिन उनके लिए फिलहाल चीजें इतनी आसान नहीं लग रही।
वहीं दूसरी तरफ भाजपा और कांग्रेस में कई राजनीतिक दिग्गज टिकट कटने की संभावनाओं के मद्देनजर लगातार टिकट के लिए जमकर लॉबिंग कर रहे हैं। इसी कड़ी में ये भी बता दें कि प्रदेश की राजनीतिक में काफी दबदबा रखने वाले कई राजनीतिक परिवार ऐसे हैं जिनके सदस्यों में जमकर तनातनी है और वर्चस्व की इस लड़ाई में वो अलग-अलग पार्टियों से एक ही सीट पर दावेदारी करते हुए आमने-सामने नजर आ रहे हैं।
फिलहाल हरियाणा के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों के परिवारों के सदस्य भाजपा व कांग्रेस से टिकट के दावेदार हैं। उनके अलावा हरियाणा के कई दूसरे स्थापित नेता भी ऐसी मांग कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री कृष्ण पाल गुज्जर अपने बेटे के लिए टिकट चाहते हैं, वहीं सांसद धर्मबीर सिंह भी चाहते हैं कि उनका बेटा विधानसभा चुनाव लड़े।
इसके अलावा, सांसद नवीन जिंदल की मां सावित्री जिंदल भी टिकट मिलने की उम्मीद कर रही हैं.’ वह पूर्व मंत्री रह चुकी हैं। हालांकि अबकी बार भाजपा व कांग्रेस की तरफ से दावा किया जा रहा है कि पार्टी अबकी बार नेताओं के कद व चेहरे के आधार पर टिकट नहीं बांटेगी।
देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल प्रदेश और देश की राजनीति में किसी परिचय का मोहताज नहीं है। फिलहाल देवीलाल का परिवार कई धड़ों में बंटा हुआ है। हिसार लोकसभा सीट से गत लोकसभा चुनाव हारने वाले उनके बेटे रणजीत सिंह जो कि भाजपा सरकार में कैबिनेट मिनिस्टर हैं, फिलहाल रानिया सीट से टिकटार्थी हैं। हालांकि उनके टिकट मिलने की राह इतनी आसान नजर नहीं आ रही क्योंकि सीएम नायब सैनी ने कुछ दिन पहले गोपाल कांडा की हरियाणा लोकहित पार्टी (हलोपा) के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने का संकेत दिया।
इसी कड़ी में गोपाल कांडा ने उनके भतीजे …कांडा को रानिया सीट से कैंडिडेट घोषित कर दिया। इसके बाद रणजीत सिंह लगातार अपनी ही पार्टी पर लगातार हमलावर हैं। सार्वजनिक मंच पर भी वो पार्टी के खिलाफ बगावती सुर अख्तियार करते हुए नजर आ रहे हैं। चूंकि भाजपा में पार्टी नेताओं द्वारा सार्वजनिक मंच पर अपनी ही पार्टी के खिलाफ नाराजगी को जाहिर करना कड़ी अनुशासनहीनता माना जाता है।
उनके अलावा परिवार से जगदीश चौटाला के बेटे देवीलाल के पौत्र आदित्य चौटाला जो कि सिरसा से भाजपा जिला अध्यक्ष रहे चुके हैं, भी इस बार टिकट के दावेदार हैं। रणजीत सिंह और आदित्य के अलावा परिवार से केवी सिंह के बेटे अमित सिहाग जो कि डबवाली से विधायक हैं, कांग्रेस से टिकट के तगड़े दावेदार हैं।
तीन बार हरियाणा के सीएम रहे दिवंगत चौधरी बंसीलाल का परिवार भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों से टिकट का दावेदार है। उनकी बहु और सुरेंद्र सिंह की पत्नी किरण चौधरी ने नाराजगी जाहिर करते हुए लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस छोड़ भाजपा ज्वाइन कर ली और पार्टी की तरफ से उनको राज्यसभा कैंडिडेट भी बनाया गया।
अब वो बेटी …. के लिए परिवार की पुश्तैनी तोशाम सीट से विधानसभा टिकट की दावेदार हैं। वहीं दूसरी तरफ बंसीलाल के दूसरे बेटे रणबीर महेंद्रा के बेटे अनिरुद्ध चौधरी कांग्रेस से टिकट के दावेदार हैं। रणबीर महेंद्रा और किरण चौधरी में लंबे समय से छत्तीस का आंकड़ा रहा है। परिवार के दोनों की सदस्यों की टिकट दोनों पार्टियों से करीब करीब तय मानी जा रही हैं। किरण के कांग्रेस में रहते हुए उनके धुर विरोधी भूपेंद्र सिंह हुड्डा और रणबीर महेंद्र में नजदीकियां रही जो कि अब भी बरकरार हैं।
हरियाणा के सीएम रहे दिवंगत चौधरी भजनलाल का परिवार भी प्रदेश की राजनीति में किसी परिचय का मोहताज नहीं है। उनके बेटे कुलदीप बिश्नोई और चंद्रमोहन दोनों अलग पार्टियों भाजपा व कांग्रेस से जु़ड़े हैं। साल 2022 में कांग्रेस में अपनी अनदेखी के आरोप लगाते हुए कुलदीप बिश्नोई ने पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया और फिर आदमपुर उपचुनाव में बेटे भव्य ने भाजपा की टिकट पर जीत दर्ज की।
वहीं दूसरी तरफ उनके भाई चंद्रमोहन ने पार्टी नहीं छोड़ी और टिकट के लिए अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं। आदमपुर सीट भजनलाल परिवार की पुश्तैनी सीट मानी जाती है, जहां से अबकी बार भी उनके बेटे टिकट के दावेदार हैं। बेटे भव्य को कैबिनेट में जगह नहीं मिलने और गत लोकसभा चुनाव में हिसार से टिकट नहीं मिलने के बाद अब बदलते राजनीतिक माहौल को देखते हुए अबकी बार कुलदीप को भाजपा से एक सीट से ज्यादा की उम्मीद है, हालांकि ये इतना नहीं है लेकिन अगर भाजपा ने एक परिवार एक सीट के फार्मूले में बदलाव किया तो कुलदीप के हिस्से कुछ ज्यादा भी आ सकता है। वहीं उनके भाई चंद्रमोहन हुड्डा की धुर विरोधी कुमारी सैलजा खेमे से जुड़े हुए हैं।
उधर, राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अबकी बार टिकट वितरण में भाजपा अपनी तासीर में आमूल चूल परिवर्तन भी कर सकती है। अब तक वंशवाद की मुखालफत करने वाली भाजपा हरियाणा में एक परिवार एक ही टिकट की अघोषित नीति में बदलाव करते हुए राज्य में अपने नेताओं के परिवार के सदस्यों को आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट देने के लिए अपवाद बना सकती है।
पार्टी के एक सीनियर नेता ने बताया कि भाजपा के दिग्गज नेता पार्टी हाईकमान से संपर्क कर परिवार के सदस्यों के लिए टिकट मांग रहे हैं। प्रदेश में 10 साल तक सत्ता में रहने वाली भाजपा को एंटी इंकम्बेंसी फैक्टर का सामना करना पड़ रहा है जिसके चलते पार्टी एक ही परिवार से दो टिकट देने के फार्मूल पर मंथन कर रही है। किसी भी हाल में हरियाणा में तीसरी बार सत्ता में आने के लिए पार्टी ने साफ कर दिया है कि कई सीटों से नए चेहरे उतारे जाएंगे, जिसके चलते राजनीतिक परिवारों की भाजपा से उम्मीदें बढ़ गई हैं।
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