India News Haryana (इंडिया न्यूज), Haryana Assembly Poll : हरियाणा में 5 अक्टूबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए जहां तमाम राजनीतिक दल जमकर पसीना बहा रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ चुनाव के निष्पक्ष और शांतिपूर्ण आयोजन को सुनिश्चित करने को लेकर निर्वाचन आयोग भी लगातार तैयारी में जुटा हुआ है। चूंकि चुनाव की घोषणा होते ही मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट अस्तित्व में आ चुका है तो सभी राजनीतिक दल और नेताओं के लिए इसके अनुपालन जरूरी है।
हरियाणा सरकार को गत 12 सितंबर से पहले 6 महीने के अंतराल की अवधि पूरी होने से पहले या तो विधानसभा का सत्र बुलाना था या विधानसभा भंग करनी थी तो भाजपा सरकार ने विधानसभा सत्र न बुलाकर कैबिनेट की बैठक में विधानसभा भंग करने का फैसला लिया। विधानसभा भंग होने के बाद अगले 15 दिन के अंदर-अंदर सभी दलों के निवर्तमान विधायकों को सरकारी आवास खाली करने के अलावा कई तरह की अन्य सुविधाओं के इस्तेमाल की अनुमति नहीं होती। इसको लेकर अब आदेश भी जारी कर दिया गया है कि 15 दिन के अंदर-अंदर सभी विधायक सरकारी का रेंट जमा करवा दें और इसके अलावा जो अन्य सुविधाएं उनको मिल रही थी उनका भी वह इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे।
आपको जानकारी दे दें कि एमएलए हॉस्टल में हरियाणा के विधायकों के लिए कुल 66 फ्लैट्स का प्रावधान किया गया है जो उनको अलॉट किए जा सकते हैं। इनमें रेंट के लिहाज से कुल तीन कैटेगरी के फ्लैट्स हैं जो हरियाणा के विधायकों को मिलते हैं और इनमें से कुछ फ्लैट्स तकनीकी तौर पर यूटी चंडीगढ़ के अधीन आते हैं। चूंकि ये हरियाणा के विधायकों के लिए अलॉट होते हैं तो उनकी मेंटेनेंस और मरम्मत का खर्च हरियाणा को उठाना पड़ता है।
बता दें कि 66 फ्लैट्स में से 1 से 60 संख्या तक जो कि यूटी के तहत आते हैं, में से 22 फ्लैट्स हरियाणा के विधायकों को अलॉट किए जाते हैं। इनका मासिक रेंट 300 रुपए और मोटर गैराज के 75 रुपए मिलाकर कुल 375 रुपए भरने पड़ते हैं। दूसरी कैटेगरी के जो फ्लैट्स हैं, इनमें हरियाणा के ही अधीन संख्या 61 से 72 तक कुल 12 फ्लैट्स हैं जिसमें मोटर गैराज की सुविधा नहीं है और मासिक रेंट एक हजार रुपए है। इसके बाद तीसरी कैटेगरी में हरियाणा के ही अधीन संख्या 101 से लेकर 308 तक कुल 32 फ्लैट्स हैं जिनका मासिक रेंट एक हजार और मोटर गैराज शुल्क 200 है तो ऐसे में कुल 1200 रुपए मासिक रेंट बनता है।
नियमानुसार है कि अगर कोई भी निवर्तमान विधायक जिनको सरकारी आवास में रूम प्लॉट था ने 15 दिन के अंदर खाली नहीं किया तो उनको निर्धारित मासिक किराए से डेढ़ सौ गुना ज्यादा फाइन जमा करवाना पड़ेगा। हालांकि हरियाणा एमएलए हॉस्टल या फ्लैट्स जोकि विधायकों के लिए है, का किराया बेहद नगण्य या कहें नाम मात्र है। लेकिन अगर किसी विधायक ने 15 दिन की अवधि के अंदर यह किराया नहीं भरा तो उस पर डेढ़ सौ गुना ज्यादा फाइन लगने के चलते राशि काफी ज्यादा हो जाएगी।
इसी कड़ी में यह भी सामने आया कि कई विधायक लंबे-लंबे समय बाद फ्लैट्स या एमएलए हॉस्टल के रेंट नहीं भरते और ये लगातार सुर्खियों में रहता है। इस लिहाज से 15 दिन में रेंट नहीं भरने पर कुल 375 रेंट वाले फ्लैट्स को लेकर संबंधित विधायकों को पेनल्टी समेत 56250 रुपए की राशि भरनी होगी। वहीं 1000 रेंट वाले फ्लैट्स को लेकर संबंधित विधायकों को डेढ़ लाख रुपए जमा करवाने होगी तो 1200 रुपए मासिक रेंट वाले फ्लैट्स को लेकर संबंधित निवर्तमान विधायकों को 1 लाख 80 हजार की राशि जमा करवानी होगी।
वहीं अगर सांसद द्वारा आवास खाली करने संबंधी नियमों और समय-सीमा की बात करें तो इसके लिए नोटिस मिलने के बाद एक महीने की अवधि के आवास खाली करना होता है। अब तक चली आ रही परिपाटी के अनुसार केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को लुटियंस दिल्ली में बंगले आवंटित किए जाते हैं और सांसदों और मंत्रियों को आवास उनकी सदन की सदस्यता के आधार पर मिलते हैं। हारे हुए सांसदों की सदस्यता खत्म होने के बाद एक महीने के अंदर उन्हें सरकारी बंगला खाली करना होता है। पब्लिक प्रिमायसेस एविक्शन ऑफ अनऑथराइज्ड ऑक्युपेंट्स एक्ट के तहत सरकारी बंगलों को खाली कराया जाता है।
किसी तरह का विवाद होने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया जाता है। विशेष परिस्थितियों में बंगला खाली करने के लिए बल का प्रयोग भी किया जा सकता है। नेताओं से बंगलों को खाली कराने के लिए मोदी सरकार 2019 में एक कानून लेकर आई थी। कानूनन अगर तय समय के अंदर कोई बंगला खाली नहीं करता है तो उससे 10 लाख रुपए का जुर्माना वसूला जा सकता है। नोटिस दिए जाने के बाद सरकार बंगला खाली करवाने की प्रक्रिया शुरू कर सकती है।
उपरोक्त कड़ी में ये भी बता दें कि इन बंगलों का बंटवारा सैलरी और वरिष्ठता के आधार पर होता है। लोकसभा हो या राज्यसभा के सांसद, इन्हें आवास बांटने का काम दोनों सदनों की हाउसिंग कमेटी करती है। आवंटित होने वाले आवासों की भी कैटेगरी होती है। ये टाइप IV से टाइप VIII तक होती है, जो सांसदों, केंद्रीय मंत्रियों और राज्य मंत्रियों को दिए जाते हैं। पहली बार चुने गए सांसद को टाइप IV बंगला मिलता है.तो एक से ज्यादा बार चुने गए सांसद को टाइप VIII बंगला दिया जाता है।
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