इंडिया न्यूज, चंडीगढ़।
हरियाणा कृषि न्यूज: हरियाणा विविध कृषि-पारिस्थितिकी और फसल पैटर्न है। हरियाणा को भारत की ब्रेड बास्केट के रूप में भी जाना जाता है। पिछले कुछ वर्षों में हरियाणा ने निवेश बढ़ाने, अनुसंधान और विकास प्रणाली, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, सिंचाई विकास, भूमि अधिग्रहण नीति, ऋण और बिजली के उपयोग के लिए सब्सिडी, सड़क, बाजार, बिजली उत्पादन और आपूर्ति जैसे बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देकर कृषि को मजबूत करने का काम किया है। भारत से बासमती चावल का 60% से अधिक निर्यात हरियाणा से होता है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल के दूरदर्शी नेतृत्व में हरियाणा सरकार द्वारा की गई इन पहलों का यह परिणाम है कि हरियाणा उन शीर्ष 3 राज्यों में से एक बन गया है, जहां किसानों की आय 20,000 रुपए प्रति माह से अधिक हो गई है। राष्ट्रीय सैंपल सर्वेक्षण संगठन (ठररड) के अनुसार हरियाणा में किसानों की मासिक आय 22841 रुपए हो गई है, जो कि पहले 14434 रुपये थी। हरियाणा सरकार ने अपनी किसान हितैषी पहल के साथ यूपी जैसे अन्य बड़े राज्यों को पीछे छोड़ दिया, जहां किसान आय 8061 रुपए दर्ज की गई है। इसी तरह आंध्र प्रदेश में यह 10480 रुपए; महाराष्ट्र में 11492 रुपए और मध्य प्रदेश में 8339 रुपये दर्ज की गई है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा, हरियाणा एक ऐसा राज्य है जो न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं, धान, जौ, बाजरा, मूंग, मूंगफली, सरसों, मक्का, उड़द, तिल, चना, अरहर, कपास और सूरजमुखी सहित 14 फसलों की खरीद करता है। पिछले चार साल में सिर्फ गेहूं और चावल बेचकर यहां के किसानों ने 102436 करोड़ रुपए कमाए हैं, जो काबिले तारीफ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा देश के पहले राज्यों में है जहां बागवानी के लिए भावांतर भरपाई योजना जैसी विभिन्न किसान कल्याण योजनाएं लागू की गई है। कई बार कृषि उपज की कम कीमतों के कारण किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। इस समस्या से निपटने के लिए राज्य सरकार ने 21 बागवानी फसलों को भी भावांतर भराई योजना में शामिल किया है और ‘मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल’ पर पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है। फलों और सब्जियों के दाम बाजार में कीमत से कम होने पर किसानों को नुकसान नहीं होगा। सरकार उस कमी को पूरा करेगी। उन्होंने कहा कि राज्य के किसानों को कपास, सरसों और गेहूं के लिए लाभकारी मूल्य मिल रहे हैं।
वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यों से जैविक खेती के क्षेत्र में मिशन मोड में काम करने की अपील की थी। हरियाणा सरकार ने इसे गंभीरता से लिया और राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए एक प्रभावी मंच तैयार किया। सरकार ने इस विशेष क्षेत्र के जोखिम को समझा और किसानों के पक्ष में प्रभावी कदम उठाए। सरकार द्वारा हाल ही में घोषणा की गई थी कि जैविक खेती को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग में एक अलग विंग बनाया जाएगा। यह विंग गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देगी और राज्य में खाद्यान्न की उत्पादकता को बढ़ाएगी। इसके अलावा किसानों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार कर अलग क्लस्टर भी बनाए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार का लक्ष्य कृषि में सुधार करना है और किसानों को जीरो बजट खेती और जैविक खेती की ओर प्रोत्साहित करना है। इस वर्ष के बजट में राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए 25-25 एकड़ के 100 क्लस्टर बनाने की घोषणा की गई है। उन्होंने कहा कि इस खेती को अपनाने वाले किसानों को तीन साल की अवधि के लिए वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा।
हरियाणा सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने की दिशा में योगदान के लिए कृषि और संबद्ध क्षेत्रों से आय बढ़ाने में सर्वोत्तम कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रगतिशील किसानों को प्रेरित कर रही है। इस योजना के तहत चयनित किसानों को कृषि/संबद्ध क्षेत्रों में उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए नकद पुरस्कार/पुरस्कार प्रदान कर सुविधा प्रदान की जा रही है। विभिन्न कृषि फसलों की उच्च उत्पादकता प्राप्त करने के साथ-साथ पानी की बचत, फसल अवशेष प्रबंधन, जैविक खेती और एकीकृत कृषि प्रणाली प्रथाओं जैसी नई तकनीकों को अपनाने के लिए किसानों को उनके योगदान के लिए प्रेरित करने के लिए, यह निर्णय लिया गया है कि नकद पुरस्कार किसानों को वार्षिक आधार पर दिया जाएगा।
एग्री बिजनेस और सूचना केंद्र सभी जिला मुख्यालय मंडियों में स्थापित किए जा रहे हैं ताकि बाजार, कृषि संबंधी सेमिनारों, कार्यशालाओं, क्रेता-विक्रेता बैठकों आदि की जानकारी प्रदान की जा सके। इन केंद्रों में कृषि विकास अधिकारी भी हैं और किसानों को नियमित प्रशिक्षण प्रदान करते हैं और कृषि उत्पादों की गुणवत्ता सुधार में मदद करते हैं। सिरसा और हिसार में ऐसे दो केंद्रों को पहले ही चालू कर दिया गया है और सभी जिला मुख्यालयों में केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव है।
किसानों को अपनी उपज सीधे उपभोक्ताओं को बेचने का अवसर प्रदान करने और किसानों को उनकी फसल के लिए बेहतर मूल्य प्राप्त हों उसके लिए पंचकूला और गुरुग्राम में दो किसान बाजार स्थापित किए जा रहे हैं। ये किसान बाजार कृषि/बागवानी विशेषज्ञों के सहयोग से किसानों को सूचना के प्रसार और तकनीकी इनपुट और जानकारी प्रदान करने के लिए एक नोडल बिंदु भी होंगे। यह गुणवत्ता नियंत्रण और प्रमाणन उपायों को शुरू करके किसानों को अपनी उपज का मूल्य जोड़ने में भी मदद करेगा।
हरियाणा में कृषि क्षेत्र में फसल विविधीकरण एक बड़ा गेम चेंजर बन गया है। मेरा पानी मेरी विरासत योजना भी इस क्षेत्र में काफी अहम भूमिका निभा रही है। हरियाणा सरकार की इस अनूठी योजना के सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं। किसानों का रुझान धान जैसी अधिक पानी से तैयार होने वाली फसलों की बजाय अन्य फसलों की ओर बढ़ा है। राज्य में लगभग 37 लाख एकड़ में धान की खेती की जाती है जो गिरते भू-जल स्तर का मुख्य कारण है। हालांकि हरियाणा सरकार की मेरा पानी मेरी विरासत योजना के तहत वर्ष 2021 में 32196 किसानों ने 51874 एकड़ क्षेत्र में धान के स्थान पर अन्य फसलों की बुआई की और 7000 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि का लाभ लिया। उल्लेखनीय है कि इस योजना के तहत धान के स्थान पर कम पानी से तैयार होने वाली अन्य वैकल्पिक फसलों को अपनाने पर किसानों को 7 हजार रुपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जाती है। फसल विविधीकरण के इस मॉडल की संसद में भी सराहना हुई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के किसानों को फसलों के विविधीकरण के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसान हितैषी योजनाओं और नीतियों को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस दिशा में विभाग की आईटी टीम को मजबूत किया जा रहा है ताकि किसानों की विभिन्न समस्याओं पर नजर रखने के साथ ही उनका जल्द से जल्द समाधान निकाला जा सके।
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