डॉ. रविंद्र मलिक, India News (इंडिया न्यूज), Haryana BJP-JJP, चंडीगढ़ : हरियाणा में भाजपा और जजपा नेताओं ने कहा कि दोनों के बीच गठबंधन को लेकर कोई दिक्कत नहीं है और दोनों के मेल-जोल वाली सरकार बिना किसी दिक्कत के अपना कार्यकाल पूरा करेगी। भाजपा ने पिछले कुछ समय से जिस तरह का आक्रामक रुख अख्तियार किया हुआ है, उससे सहयोगी जजपा काफी दबाव में नजर आ रही है।
हालांकि सीएम मनोहर लाल साफ कर चुके हैं कि गठबंधन जारी रहेगा और इसको लेकर किसी तरह की कहीं कोई दिक्कत नहीं है। वहीं राजनीतिक जानकारों का मानना है कि दोनों के बीच तीखी बयानबाजी का सिलसिला अब रुकने के आसार कम ही हैं। पार्टी नई रणनीति से एक साथ दो निशाने साध रही है। एक तो वो जजपा पर दबाव बना रही है, दूसरे इसके जरिए अंदर ही अंदर पार्टी से नाराज चल रहे दिग्गजों को उनके दबाव में नहीं आने का साफ संकेत दे रही है। इस कड़ी में 12 जून को छठे निर्दलीय विधायक नयनपाल रावत ने पार्टी प्रभारी बिप्लब देव से मुलाकात की। उनसे पहले पांच निर्दलीय और एक हलोपा विधायक पार्टी प्रभारी से मुलाकात कर चुके हैं।
भाजपा के एक सीनियर नेता ने बताया कि बेशक गठबंधन जारी रहेगा लेकिन इसके समानांतर प्रदेश भाजपा के नेता निरंतर जजपा को घेरेंगे। वो लगातार आक्रामक रहेंगे और इसको जजपा को दबाव में रखने के लिए एक अहम रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
भाजपा नहीं चाहती कि वो राज्य में अपनी सहयोगी के किसी भी तरह के दबाव में रहे। इसकी काट के लिए पार्टी ने राज्य में डिफेंसिव के बजाय अटैकिंग मोड रखा है। एक तरह से पार्टी की अघोषित रणनीति है कि गठबंधन को वो जारी रखेगी लेकिन कहीं न कहीं बार-बार जजपा को अहसास करवाया जाएगा कि भाजपा हमेशा ड्राइविंग सीट पर थी और आगे भी स्टेयरिंग उसके ही हाथ में रहेगा।
ये किसी से छुपा नहीं है कि पार्टी के कई दिग्गज नेता अंदर ही अंदर पार्टी से नाराज चल रहे हैं। इनमें से ज्यादातर वो हैं एक समय कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। उनको केंद्र में मंत्री भी बनाया गया लेकिन वो भाजपा के सांचे में फिट नहीं हो पाए। जजपा के साथ गठबंधन मामले में पार्टी के दिग्गज चौधरी बीरेंद्र सिंह लगातार कह रहे हैं कि भाजपा को जजपा से अलग हो जाना चाहिए।
कहीं न कहीं उनकी जजपा से राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई है। लेकिन भाजपा ने साफ कर दिया कि वो एकतरफा दबाव में कतई नहीं आएगी। वो बीरेंद्र के कहने मात्र से बड़ा कदम नहीं उठाएगी। पार्टी के और दिग्गज राव इंद्रजीत भी पार्टी से कई दफा अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं लेकिन भाजपा ने उनको भी कई दफा अपनी सीमाओं में रहने की नसीहत दी।
मिशन मोदी 2024 को अमलीजामा पहनाने के लिए पार्टी हाईकमान तमाम में राज्यों में वहां की धरातलीय स्थिति का जायजा ले रही है। हरियाणा में अब तक पार्टी हाईकमान से जितने भी निर्दलीय विधायक मिले हैं, उनसे प्रदेश के मौजूदा राजनीतिक माहौल के बारे में जानकारी ली गई। उनसे पूछा गया कि फिलहाल प्रदेश की राजनीतिक आबोहवा कैसी और किसी तरह की राजनीतिक बयार बह रही है।
पार्टी इसके आधार पर आगे की रणनीति बनाएगी। निर्दलीय विधायकों ने पार्टी प्रभारी को जो इंपुट दिया है, उसको गंभीरता से लिया गया है। इसके अलावा ये जानकारी भी जुटाई जा रही है कि पार्टी की प्रदेश में कमजोर कड़ी क्या है और कैसे इनको दूर किया जाए। निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान से पार्टी प्रभारी ने इस बारे में पूछा था तो उन्होंने बिप्लव देव से कहा था कि किसानों और पहलवानों के मुद्दों पर गंभीरता से तत्काल जरुरी कदम उठाने की जरूरत है।
भाजपा के पास 41 विधायक हैं। वहीं सात निर्दलीय में से बलराज कुंडू को छोड़कर सबने अपना समर्थन भाजपा को देख रखा है। इसके अलावा हलोपा के एकमात्र विधायक गोपाल कांडा भी खुलकर पार्टी के साथ हैं। इस तरह से भाजपा के जजपा के अलावा भी 48 विधायकों हैं। निर्दलीयों पूंडरी से रणधीर गोलन, महम से बलराम कुंडू, रानियां से रणजीत सिंह, बादशाहपुर से राकेश दौलताबाद, दादरी से सोमवीर सांगवान, नीलोखेडी से धर्मपाल गोंदर, नयनपाल रावत है। इनमें से पांच विधायकों रणधीर गोलन, राकेश दौलताबाद, सोमबीर सांगवान और धर्मपाल गोंदर ने 8 जून और गोपाल कांडा ने 9 जून को मुलाकात की थी। वहीं नयनपाल रावत ने 12 जून को भाजपा प्रभारी से दिल्ली में मुलाकात की।
जजपा नेता निरंतर संकेत दे रहे हैं कि वो अगला चुनाव गठबंधन में लड़ने के पक्षधर हैं। लेकिन भाजपा इसको लेकर साफ कर रही है कि समय आने पर देखा जाएगा कि क्या करना है। इसी बीच अजय चौटाला ने कहा कि अगर जजपा की प्राथमिकता कांग्रेस को सत्ता से दूर रखना है तो भाजपा और जजपा को मिलकर चुनाव लड़ना होगा। बिना गठबंधन ऐसा मुश्किल होगा। फिलहाल जजपा की प्राथमिकता कांग्रेस को सत्ता से दूर रखना नहीं बल्कि गठबंधन को बनाए रखना है।
बेशक फिलहाल के लिए पार्टी हाईकमान ने साफ कर दिया है कि गठबंधन जारी रहेगा लेकिन प्रदेश भाजपा के कई नेता खुलकर इसका विरोध कर रहे हैं। इसको भी भाजपा की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। पार्टी हाईकमान अपने लेवल पर जो फैसला करे वो सबको मान्य है लेकिन साथ में प्रदेश भाजपा के नेताओं द्वारा जिस तरह से तीखा हमला किया जा रहा है, उसके अपने सियासी मायने हैं। इसके भाजपा निरंतर इस पहलू पर भी काम कर रही है कि बेशक गठबंधन नहीं टूटे, लेकिन निर्दलीयों को भी अपने पाला रखा जाए। उनको छिटकने नहीं दिया जाए। भाजपा द्वारा गठबंधन जारी रखने की घोषणा के बाद कई निर्दलीयों के मंत्री बनने की उम्मीदों को बेशक झटका लगा हो लेकिन भाजपा ने इनको अपने पाले में जोड़े रखा है।
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