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Haryana Cabinet : हरियाणा कैबिनेट ने कई मसौदों को दी मंजूरी

• LAST UPDATED : August 5, 2023
  • शिक्षक स्थानांतरण नीति 2023 के मसौदे को दी

  • शहीद डीएसपी के बेटे को अनुकंपा के आधार पर डीएसपी लगाने को मंजूरी

India News (इंडिया न्यूज़), Haryana Cabinet, चंडीगढ़ : नई नीति का उद्देश्य छात्रों के शैक्षणिक हितों की रक्षा और शिक्षकों व स्कूल प्रमुखों का न्यायसंगत एवं मांग-आधारित वितरण सुनिश्चित करना है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में वीरवार को यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक कई महत्वपूर्ण मसौदों को मंजूरी दी।

बैठक में 5 जून, 2017 को जारी शिक्षक स्थानांतरण नीति, 2016 को निरस्त करते हुए शिक्षक स्थानांतरण नीति, 2023 के मसौदे को मंजूरी प्रदान की गई। इस नई नीति का उद्देश्य छात्रों के शैक्षणिक हितों की रक्षा करने, कर्मचारियों में नौकरी की संतुष्टि को बढ़ाने और निष्पक्ष व पारदर्शी तरीके से शिक्षकों व स्कूलों के प्रमुखों का न्यायसंगत, मांग-आधारित वितरण सुनिश्चित करना है।शिक्षक स्थानांतरण नीति वर्ष 2016 में अधिसूचित की गई थी और वर्ष 2017 में संशोधित की गई थी। बाद में समय-समय पर इसमें कुछ बदलाव भी किए गए। समय के साथ विभाग ने वर्तमान नीति को लागू करने में कुछ चुनौतियों का अनुभव किया।

इसलिए इस नीति को निरस्त करने तथा कुछ मौजूदा प्रावधानों में संशोधन करके और कुछ नए प्रावधान शामिल करते हुए नीति को संक्षिप्त और सटीक बनाकर एक नई नीति लाने पर विचार किया गया। नई नीति के के तहत एक शिक्षक एक स्कूल में अधिकतम पांच साल तक रह सकता है और पात्र नियमित शिक्षक और अतिथि शिक्षक न्यूनतम 10 शैक्षणिक ब्लॉक चुन सकते हैं।

नियमित और अतिथि शिक्षकों दोनों की पसंद पर विचार करके प्रत्येक पद हेतु प्रत्येक ब्लॉक के लिए सामान्यीकरण किया जाएगा । इसके अलावा जिला काडर होने के कारण सी एंड वी शिक्षकों को मिलेगी प्राथमिकता। सभी योग्य ईएसएचएम को अनिवार्य रूप से ईएसएचएम के साथ-साथ टीजीटी के पद का विकल्प भी भरना होगा। ईएसएचएम के लिए चयनित योग्य रिक्ति आवंटित करते समय ईएसएचएम के पद के विकल्प को प्राथमिकता दी जाएगी। ईएसएचएम के सभी पदों को आवंटित करने के बाद ही शेष ईएसएचएम को टीजीटी के पदों पर आवंटित किया जाएगा।अच्छे परिणाम प्रदर्शन का लाभ केवल प्रिंसिपल और हेड मास्टर को स्कूल के परिणाम के आधार पर देने का प्रावधान प्रस्तावित किया गया है। इसके अलावा भी कई अन्य प्रावधान है।

सशस्त्र पुलिस बलों के लिए अनुकंपा नीति में संशोधन

राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस नीति में संशोधन लाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। यह नीति भविष्य में युद्ध से हताहत होने वाले सैनिकों के सदस्यों पर लागू होगी। संशोधित नीति के अनुसार रक्षा अधिकारियों/गृह मंत्रालय द्वारा सशस्त्र बल या केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के सदस्य को किसी भी ऑपरेशन या किसी निर्दिष्ट क्षेत्र में ऑपरेशन के दौरान युद्ध/आईईडी विस्फोट/आतंकवादी या उग्रवादी हमलों/सीमा झड़पों और एम.टी. कार्डियक अरेस्ट, हवाई दुर्घटना और प्राकृतिक आपदाओं में असाधारण साहस और कर्तव्य पालन के प्रति समर्पण की मांग करने, संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में वास्तविक आधिकारिक कर्तव्यों के प्रदर्शन के दौरान जैसी विभिन्न प्रकार की घटनाओं में मृत्यु होने वाले शहीदों के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान की जाएगी।

इससे पहले 30 मई 2014 और 28 सितंबर 2018 की पिछली नीतियों के अनुसार नौकरियां केवल उन शहीदों के आश्रितों को प्रदान की जाती थीं जो सीमा पर झड़पों, आतंकवादी हमलों या दंगों में मारे जाते थे और जिन्हें रक्षा मंत्रालय या गृह मंत्रालय द्वारा शहीद घोषित किया जाता था।इसके अलावा अब अनुकंपा नियुक्ति नीति के पात्र परिवार के सदस्यों की परिभाषा को भी बढ़ाया गया है। संशोधित नीति के तहत अनुकंपा नियुक्ति के प्रयोजन के लिए युद्ध से हताहत के परिवार में पति/पत्नी शामिल हैं, यदि पति या पत्नी नियुक्ति नहीं चाहते हैं, तो विवाहित या अविवाहित बच्चों में से एक को लाभ दिया जा सकता है। इसमें कानूनी रूप से गोद लिए गए बच्चे भी शामिल किए गए हैं, बशर्ते कि मृत सैनिक/युद्ध में हताहत व्यक्ति ने जीवित अवस्था में ही बच्चा गोद लिया हो।

शहीद डीएसपी के बेटे अनुकंपा के आधार पर डीएसपी बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी

बैठक में एक्स ग्रेशिया रूल, 2019 में विशेष केस के रूप में छूट प्रदान करते हुए डी.एस.पी. शहीद सुरेंद्र सिंह के पुत्र सिद्धार्थ को अनुकंपा आधार पर डी.एस.पी. नियुक्ति प्रदान करने के संबंध में एक प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
डीएसपी श्री सुरेंद्र सिंह को अवैध खनन की रोकथाम के लिए तावडू में लगाया गया था। जहाँ ड्यूटी के दौरान कुछ असामाजिक तत्वों ने उन पर डंपर से हमला कर दिया और दुर्भाग्यवश उनकी मौके पर ही मौत हो गयी। राज्य सरकार ने उन्हें शहीद का दर्जा दिया और मुख्यमंत्री ने उनके बेटे को इस पद पर नियुक्त करने की घोषणा की है।

हरियाणा ने अनियमित जमा योजना अधिनियम, 2019 पर प्रतिबंध लगाने के लिए बनाए नियम

कारोबार के सामान्य क्रम में ली गई जमा राशि के अलावा अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक व्यापक तंत्र प्रदान करने और जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए, हरियाणा ने अनियमित जमा योजना अधिनियम, 2019 पर प्रतिबंध लगाने के लिए नियम बनाए गए हैं। इन नियमों को हरियाणा अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध नियम, 2023 कहा जाएगा और ये आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशन की तिथि से लागू होंगे।

राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में एक प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई। हरियाणा में अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध नियम, 2023 में प्रावधान है कि अनियमित जमा पर प्रतिबंध लगाया जाए और प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोई भी जमा लेने वाला अनियमित जमा योजना के अनुसरण में भागीदारी या नामांकन या जमा स्वीकार करने के लिए किसी भी प्रकार के विज्ञापन जारी नहीं करेगा।स्वयं सहायता समूहों के लिए सीमा- जहां समय-समय पर भुगतान या सीमा के साथ सहयोग करने वाले स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के सदस्यों द्वारा की गई कोई राशि, जमा के लिए एसएचजी के प्रति सदस्य 10,000 रुपये प्रति मास की सीमा होगी।

संलग्न संपत्ति की कुर्की और प्रशासन का तरीका

जहां सक्षम प्राधिकारी समझे कि किसी भी कारण जमा लेने वाले अधिनियम की धारा-3 के उल्लंघन में जमा की मांग कर रहा है तो सक्षम प्राधिकारी जमा राशि या सम्पत्ति की अस्थाई कुर्की का अंतरिम आदेश पारित कर सकेगा। जमा लेने वाले द्वारा अधिगृहीत सम्पत्ति और अधिनियम की धारा-7 की उपधारा (3) के तहत जमा लेने वाले के नाम पर या जमा लेने वाले की ओर से किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर अर्जित धन या अन्य संपत्ति कुर्क की जाने वाली संपत्ति के विवरण का उल्लेख करना होगा।

बाजार विकास सहायता (एमडीए) योजना में संशोधन को मंजूरी

बैठक हुई जिसमे “हरियाणा उद्यम एवं रोजगार नीति (एचईईपी)-2020” के तहत अधिसूचित “बाजार विकास सहायता (एमडीए) योजना” में संशोधन के संबंध में मंजूरी दी गई। राज्य सरकार ने पहले की विभिन्न अस्पष्टताओं पर विचार करते हुए मौजूदा “बाजार विकास सहायता योजना” को और अधिक स्पष्ट किया है। नए संशोधन के अनुसार, सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों को अंतर्राष्ट्रीय मेलों में भाग लेने के लिए 50,000 रुपए तथा राष्ट्रीय मेलों के लिए 25,000 रुपए तक का बोर्डिंग शुल्क प्रदान किया जाएगा।

इस योजना में पहले अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी के लिए बोर्डिंग की प्रतिपूर्ति निर्दिष्ट नहीं की गई थी और राष्ट्रीय प्रदर्शनी के लिए अधिकतम कैपिंग भी निर्दिष्ट नहीं की गई थी। राज्य सरकार ने इसे स्पष्ट कर दिया है जिसके अनुसार प्रोडक्ट लिट्रेचर/डिस्प्ले मैटेरियल में प्रोडक्ट से संबंधित विज्ञापन/प्रचार सामग्री शुल्क शामिल होंगे। यहां पर प्रोडक्ट का अर्थ विजिटिंग कार्ड, कैटलॉग, पैम्फलेट, पत्रक, ब्रोशर, स्टिकर, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया आदि है। इसमें प्रदर्शित किए जाने वाले प्रोडक्ट्स की लागत शामिल नहीं होगी।नए संशोधन के अनुसार, किसी भी प्रदर्शनी के खर्च का दावा करने के लिए केवल पंजीकृत किराया विलेख/लीज डीड पर ही विचार किया जाएगा।

पदमा नीति की अधिसूचना में संशोधन को स्वीकृति प्रदान की गई

बैठक में एमएसएमई के त्वरित विकास के लिए अग्रिम कार्यक्रम (पदमा) नीति की अधिसूचना में संशोधन को स्वीकृति प्रदान की गई। संशोधन के उपरांत प्रत्येक ब्लॉक के लिए, न्यूनतम 25 एकड़ क्षेत्र को कवर करने वाला एक नया एमएसएमई औद्योगिक क्लस्टर विकसित किया जाएगा, जो पहले 100 एकड़ का था। प्रत्येक एमएसएमई क्लस्टर में अन्य सक्षम बुनियादी ढांचे के साथ न्यूनतम 20 सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) का गठन किया जा सकेगा। परियोजना के लिए भूमि की व्यवस्था राज्य सरकार या कार्यक्रम में भाग लेने के इच्छुक निजी डेवलपर्स द्वारा या खरीद के माध्यम से या कम से कम 30 वर्षों के पट्टे पर की जा सकती है।

राज्य सरकार कार्यान्वयन एजेंसी के लिए राज्य औद्योगिक बुनियादी ढांचा विकास योजना (एसआईडीएस) या निजी कार्यान्वयन एजेंसी (आईए) के लिए पदमा क्लस्टर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट स्कीम (पीसीआईडीएस) के तहत विकासशील एजेंसी द्वारा राज्य सरकार से 50 प्रतिशत से 85 प्रतिशत की वित्तीय सहायता प्राप्त की जा सकेगी जो अधिकतम 50 करोड़ रुपये होगा। इसके अलावा, नए संशोधन के अनुसार, पदमा क्लस्टर स्थापित करने में निजी एजेंसियों को सक्षम बनाने और नए और संभावित उद्यमियों को पदमा क्लस्टर के भीतर इकाइयां स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए 1,000 करोड़ रुपये का बजट परिव्यय निर्धारित किया गया है।

पदमा क्लस्टर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट स्कीम (पीसीआईडीएस) जो पदमा क्लस्टरों में बुनियादी, कोर और सक्षम सामान्य बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए निजी क्रियान्वयन एजेंसी को 50 प्रतिशत से 85 प्रतिशत, अधिकतम 50 करोड़ रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। इसके अलावा, पदमा वेंचर कैपिटल फंड योजना सूक्ष्म और लघु उद्यमों को इक्विटी/अर्ध-इक्विटी/इक्विटी जैसे संरचित उपकरणों के माध्यम से विकास पूंजी प्रदान करेगी। राज्य सरकार पदमा क्लस्टर के अंदर एमएसई इकाइयों को समर्थन देने के लिए इस योजना के तहत 50 करोड़ रुपये का एक रिवॉल्विंग वेंचर कैपिटल फंड स्थापित करेगी।

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