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Haryana Cabinet Meeting : अब 10 और फसलों की होगी एमएसपी पर खरीद

  • मंत्रिमंडल ने कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पर लगाई मोहर
  • 14 शहीदों के आश्रितों को नौकरी देने की दी मंजूरी

India News Haryana (इंडिया न्यूज़), Haryana Cabinet Meeting : हरियाणा मंत्रिमंडल की सोमवार को यहां मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में हुई बैठक में कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पर मोहर लगाई। सभी फसलों की एमएसपी पर खरीद करने वाला देश का एकमात्र राज्य बना। हरियाणा के किसानों के हितों में एतिहासिक कदम उठाते हुए नायब सरकार ने सभी फसलों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर करने का निर्णय लिया है। प्रदेश में अब 10 फसलें नामतः रागी, सोयाबीन, कालातिल (नाइजरसीड), कुसुम, जौ, मक्का, ज्वार, जूट, खोपरा और मूंग (समर) की एमएसपी पर खरीद की जाएगी।

इस संबंध में मुख्यमंत्री ने 4 अगस्त को ही कुरुक्षेत्र जिला के थानेसर विधानसभा में आयोजित जनसभा में उक्त घोषणा की थी। घोषणा के मात्र 24 घंटे बाद ही कैबिनेट में दी गई मंजूरी प्रदेश सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

इन फसलों के लिए एमएसपी का दायरा बढ़ाने का उद्देश्य बाजार की कीमतों को स्थिर करना, किसानों के लिए निरंतर आय सुनिश्चित करना और विविध फसलों की खेती को बढ़ावा देना है। हरियाणा सरकार का मुख्य ध्येय यही है कि किसान की आय स्थिर हो और उसमें वृद्धि हो। सरकार के इस निर्णय से फसल विविधिकरण को भी बढ़ावा मिलेगा।

बैठक में सशस्त्र बलों, अर्धसैनिक कर्मियों के युद्ध में हताहत हुए 14 आश्रितों को अनुकंपा आधार पर नियुक्ति प्रदान करने को मंजूरी दी गई। ये नियुक्तियां नीति में छूट देकर दी गई हैं।14 मामलों में से 2 व्यक्तियों को ग्रुप बी पदों पर नियुक्त किया गया है, जबकि 12 को ग्रुप सी पदों पर नियुक्त किया गया है। नीति में छूट के साथ की गई अनुकंपा नियुक्तियां इस प्रकार हैं- सतेंद्र सिंह, अभिनय कुमार, कुमारी खुशबू,  अतुल प्रताप,  अमित कुमार, कुमारी आशा,  प्रीतम सिंह, विक्की दलाल, कुमारी ज्योत्सना, हितेश खटाना,  गुरदीप, रामबीर कुमार, आदित्य कुमार और  रोहित का नाम शामिल है।

Haryana Cabinet Meeting : हरियाणा मंत्रिमंडल ने सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारियों के लिए पेंशन/पारिवारिक पेंशन में संशोधन को दी मंजूरी

  • बैठक में दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग (एसएनजेपीसी) के अनुसार हरियाणा सरकार के सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारियों की पेंशन/पारिवारिक पेंशन (2016 से पूर्व और 2016 के बाद) में संशोधन को स्वीकृति प्रदान की गई।
  • संशोधन के अनुसार, अब 2016 से पूर्व सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारियों के लिए, मौजूदा मूल पेंशन/पारिवारिक पेंशन (31 दिसंबर 2015 तक) को 2.81 के कारक से गुणा करके संशोधित किया जाएगा। वैकल्पिक रूप से, हरियाणा सिविल सेवा (न्यायिक शाखा) और हरियाणा वरिष्ठ न्यायिक सेवा पुनरीक्षित वेतन नियम, 2023 की फिटमेंट तालिका के अनुसार उनके वेतन को नोशनली निर्धारित करके पेंशन/पारिवारिक पेंशन को संशोधित किया जा सकता है।
  • 2016 के बाद सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारियों के लिए, पेंशन गणना हरियाणा सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 2016 के नियम 34 के प्रावधानों के तहत होगी। इसके अलावा, समय-समय पर जारी आदेशों के अनुसार पेंशन/पारिवारिक पेंशन की अतिरिक्त राशि पर महंगाई राहत स्वीकार्य होगी। मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा 20 लाख रुपये होगी, जब भी महंगाई भत्ते में वृद्घि होगी, मूल वेतन का 50 प्रतिशत बढ़ेगा और ग्रेच्युटी की सीमा में 25 प्रतिशत की बढ़ौतरी की जाएगी।

हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबंधन) अधिनियम, 2014 में संशोधन के लिए अध्यादेश लाने की तैयारी

बैठक में हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबंधन) अधिनियम, 2014 में संशोधन करने के लिए हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबंधन) संशोधन अध्यादेश, 2024 के प्रारूप को मंजूरी दी गई।

प्रस्तावित ड्राफ्ट अध्यादेश के अनुसार, अब हरियाणा सिख गुरुद्वारा न्यायिक आयोग का अध्यक्ष उच्च न्यायालय का न्यायाधीश होगा, यदि उसे नियुक्त किया जाता है, और यदि उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त नहीं किया जाता है, तो जिला न्यायाधीश को  नियुक्त किया जा सकता है। अगर जिला न्यायाधीश को भी आयोग का अध्यक्ष नियुक्त नहीं किया जाता है, तो आयोग के तीन चयनित सदस्यों में से एक को वरिष्ठता (यह वरिष्ठता सेवा में रहने की हो या बार में प्रैक्टिस की ) के आधार पर अध्यक्ष नियुक्त किया जाएगा। ड्राफ्ट के अनुसार अध्यक्ष या सदस्य का कार्यकाल उसके कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से पांच वर्ष होगा।

वर्तमान में, अध्यक्ष को इस योग्यता के साथ नियुक्त किया जाता है कि उसकी सेवानिवृत्ति या इस्तीफे के समय, वह एक जिला न्यायाधीश था और उसकी सेवानिवृत्ति पर इस रूप में 10 वर्ष से कम का कार्यकाल नहीं था। हरियाणा सिख गुरुद्वारा न्यायिक आयोग एक अर्ध-न्यायिक प्राधिकरण है, जिसके निर्णय अंतिम होते हैं। गुरुद्वारा संपत्ति, उसके फंड तथा गुरुद्वारा कमेटी, कार्यकारी बोर्ड या किसी अन्य संस्था के बीच चल रहे  झगड़ों से संबंधित विवादों का निर्णय आयोग द्वारा किया जाना है। इसलिए यह उचित समझा गया है कि आयोग के सदस्य और अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति के लिए उच्च न्यायालय के न्यायाधीश पर भी विचार किया जाना चाहिए। इसके अलावा, अध्यादेश में धारा-46 की उप-धारा (1) के खंड (iv) में दी गई 65 वर्ष की आयु की ऊपरी सीमा को भी हटा दिया गया है। उक्त संशोधन वर्ष 2014 के हरियाणा अधिनियम 22 की धारा 46 में किया गया है।

बस स्टैंडों पर ठेकेदार/दुकानदारों के हित में सरकार ने बनाई किराया/समायोजन/वापसी योजना

कोविड-19 की रोकथाम के लिए लगाए गए प्रतिबंधों के कारण उत्पन्न वित्तीय संकट से राहत देने के लिए हरियाणा सरकार ने रोडवेज के सभी बस स्टैंडों पर ठेकेदार/दुकानदारों के हित में किराया/समायोजन/वापसी योजना तैयार की है। मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस योजना के प्रारूप को मंजूरी प्रदान की गई है।

भारत सरकार द्वारा कोविड-19 के दौरान पूरे देश में 22 मार्च, 2020 से 31 मई, 2020 तक लॉकडाउन लगाया था तथा 1 जून, 2020 से गतिविधियों पर आंशिक प्रतिबंध था। इसी अवधि के दौरान हरियाणा रोडवेज के बस अड्डों पर बसों के आवागमन बंद होने के कारण दुकानों का कारोबार सीधे तौर पर प्रभावित हुआ। इसलिए ऐसे ठेकेदार/दुकानदारों के हित में सरकार ने किराया/समायोजन/वापसी योजना बनाई है। यह योजना हरियाणा सरकार ने जारी की है, लेकिन यह किराया/समायोजन/वापसी 1 अप्रैल, 2020 से 31 जुलाई, 2020 तक की अवधि के लिए होगी।

योजना के अनुसार, सभी ठेकेदार/दुकानदार, जो 20 मार्च, 2020 को संबंधित महाप्रबंधक, हरियाणा रोडवेज के साथ एक वैध अनुबंध के अंतर्गत हरियाणा रोडवेज के बस अड्डों पर अपना व्यवसाय कर रहे थे, वे 1 अप्रैल, 2020 से 30 जून, 2020 तक की अवधि के लिए दुकान/व्यवसाय किराए पर शत-प्रतिशत छूट के लिए पात्र होंगे। इसके अलावा, 1 जुलाई, 2020 से 31 जुलाई 2020 तक के किराए में 50 प्रतिशत छूट के पात्र होंगे।
जिन ठेकेदारों/दुकानदारों ने कोविड-19 के दौरान 1 अप्रैल, 2020 से 30 जून, 2020 तथा और 1 जुलाई से 31 जुलाई 2020 तक की अवधि के दौरान किराए का भुगतान नहीं किया है और विभाग ने ऐसे ठेकेदारों/दुकानदारों के खिलाफ किराया वसूली के लिए कार्यवाही शुरू कर दी है, इस तरह के किसी भी विभागीय अथवा न्यायालय में लंबित मामलों का निपटारा उपरोक्त योजना के प्रावधानों के अनुसार किया जाएगा।

खनन विभाग के अधिकारियों को भी होगी चालान करने की शक्ति

बैठक में हरियाणा मोटर वाहन नियम, 1993 के तहत चालान करने की शक्ति प्रदान करने के संबंध में एक प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। अब खनन अधिकारी या इससे उच्च रैंक के अधिकारियों के पास खनन सामग्री ले जाने वाले माल वाहकों के चालान करने की शक्ति होगी। हरियाणा राज्य में मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के प्रावधानों को लागू करने के लिए, हरियाणा मोटर वाहन नियम, 1993 के नियम 225 के तहत स्थापित मोटर वाहन विभाग को खनन विभाग के अधिकारियों, जो खनन अधिकारी के पद से नीचे के न हों, को चालान करने की शक्तियां देकर पुनर्गठित किया जाना आवश्यक है। मोटर वाहन विभाग के पुनर्गठन से विभाग द्वारा जांच की प्रक्रिया को सुदृढ़ बनाने में सहायता मिलेगी तथा उक्त अधिनियम के प्रावधानों को राज्य में अधिक प्रभावी ढंग से लागू किया जा सकेगा।
Amit Sood

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