डॉ रविंद्र मलिक, चंडीगढ़ :
Haryana Chief Secretary Retired : हरियाणा के चीफ सेक्रेटरी विजय वर्धन का कार्यकाल आज यानी कि 30 नवंबर, 2021 को पूरा हो रहा है औऱ उनके एक्सटेंशन की संभावना नगण्य ही है। ऐसे में अब पद के लिए दावेदार अन्य अधिकारियों पर निगाहें टिकी हैं कि कौन नया चीफ सेक्रेटरी बनेगा।
पद के सबसे बड़े दावेदार संजीव कौशल बताए जा रहे हैं। हालांकि कुल चार सीनियर अधिकारी पद की दौड़ में आगे बताए जा रहे हैं । इसके पीछे दो कारण मुख्य रूप से माने जा रहे हैं कि एक तो अन्य दावेदारों की तुलना में कौशल की रिटायरमेंट में ज्यादा समय बचा है। दूसरा कारण है कि मुख्यमंत्री के कई प्रोजेक्ट्स व योजनाओं को उन्होंने बेहद ही सूझबूझ ना केवल आगे बढ़ाया बल्कि सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई है।
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वहीं ये भी बता दें कि आईएएस विजय वर्धन को प्रदेश का 34 वां चीफ सेक्रेटरी बनाया गया था। उनसे पहले केशनी आनंद अरोड़ा इस पर विराजमान थी और वो प्रदेश की 5 वीं महिला चीफ सेक्रेटरी थी। गौरतलब है कि चीफ सेक्रेटरी का पद प्रदेश की अफसरशाही में सबसे बड़ा पद है। जो भी बड़े प्रोजेक्ट्स या काम हैं, उनकी सबकी फाइल उनकी टेबल से होकर गुजरती है। ऐसे में समझना आसान है कि चीफ सेक्रेटरी का पद कितना अहम और बड़ी जिम्मेदारी वाला है।
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कौशल के अलावा तीन और आईएएस भी पद के दावेदार की लिस्ट में हैं। इनमें सीनियर आईएएस पीके दास, वीएस कुंडू और आलोक निगम का नाम शामिल है। इनमें से दो 2022 में रिटायर हो रहे हैं। वहीं संजीव कौशल साल 2024 में रिटायर होंगे। अगर बचे हुए कार्यकाल की बात करें तो आलोक निगम इसी साल 30 नवंबर यानी कि चीफ सेक्रेटरी विजय वर्धन के साथ ही रिटायर हो रहे हैं। वहीं वहीं पीके दास व वीएस कुंडू अगल साल रिटायर हो रहे हैं।
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यूं तो कौशल को प्रशासनिक गलियारों का खासा अनुभव है। इसके अलावा उनका विधायकों, मंत्रियों के साथ उनके अच्छे संबंध हैं जो सरकार को चलाने में बेहद काम आता है। उनको मंत्रियों के सामंजस्य बैठाकर प्रशासनिक कार्यों को निर्बाध गति से आगे बढ़ाना अच्छे से आता है जो उनके पल्स प्वाइंट में काउंट होना लाजिमी है। सबसे उपर जैसा कि पहले ही बता चुके हैं कि मुख्यमंत्री की कई महत्वाकांक्षी योजनाओं को अमली जामा पहनाने में उन्होंने अच्छा खासा रोल अदा किया है।
उन्होंने लाल डोरे की समस्या को खत्म करने में अहम भूमिका निभाई और प्रदेश के राजस्व रिकॉर्ड को डिजिटल प्रारुप देने में अग्रणी रोल अदा किया। इसके चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल की तारीफ भी की। बता दें कि फिलहाल कौशल वित्तायुक्त एवं एसीएस (एडिशनल चीफ सेक्रेटरी) , आपदा प्रबंधन विभाग के पद पर हैं। उनके भाई सर्वेश कौशल पंजाब सरकार में चीफ सेक्रेटरी रह चुके हैं।
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सीनियर आईएएस और एसीएस पीके दास की गिनती भी प्रदेश के मंझे हुए अधिकारियों में होती है। वो धरती पकड़ अधिकारी हैं। प्रशासनिक काम के साथ साथ उनकी राजनीतिक उठा-पटक की नब्ज वो अच्छे से जानते हैं। विधायकों व मंत्रियों से भी उनकी खासी पटती है। वो अपने पूरे कार्यकाल के दौरान अब तक अलग अलग पदों पर करीब करीब पूरे हरियाणा में काम कर चुके हैं। वो एजुकेशन और बिजली विभाग में भी अहम जिम्मेदारियां वहन कर चुके हैं। अगर वो चीफ सेक्रेटरी नहीं बनते हैं तो सबसे अहम पद यानी कि वित्तायुक्त और एसीएस, राजस्व व आपदा प्रबंधन का पद सबसे तगड़ा दावेदार माना जा रहा है।
वहीं सीनियर आईएएस वीसी कुंडू भी पद के दावेदारों में शामिल हैं और उनकी बेहतरीन प्रशासनिक कार्यशैली से भी हर कोई अवगत है। लेकिन यहां कई पहलू हैं जो आड़े आ रहे हैं। लेकिन एक्सपर्ट्स की माने तो इसके पीछे एक पुराना मामला बताया जा रहा है। उनकी बेटी के भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला के साथ हुआ विवाद आड़े आना बताया जा रहा है। हालांकि ये भी सामने आ रहा है कि सरकार ऐसी किसी भी विवादित प्रशासनिक अप्वाइंटमेंट से गुरेज करेगी जो कि दिक्कत खड़ी कर सकती है। हालांकि उनको एफसीआर भी तैनात किया जा सकता है।
यूं तो चीफ सेक्रेटरी की नियुक्ति में कोई भी सरकार कई खासियत देखती है। इसमें एक और पहलू अहम है, वो है चीफ सेक्रेटरी को राजशाही यानी कि विधायकों, सांसदों और मंत्रियों के साथ सामंजस्य बैठाकर बिना किसी आपसी वाद विवाद या मतभेद के आगे बढ़ना है। ऐसे कई मौके आए हैं जब सीनियर अधिकारियों पर विधायकों की अनदेखी के आरोप लगे हैं। चूंकि अब उपरोक्त में कोई अधिकारी ज्यादा बड़ा दावेदार तो कोई छोटा दावेदार बताया जा रहा है। लेकिन इतना तय है कि नए चीफ सेक्रेटरी की नियुक्ति में ये पहलू भी अहम भूमिका निभाएगा ।
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