इंडिया न्यूज, Chandigarh : किसानों के कल्याण के लिए सदैव तत्पर रहने वाली मनोहर सरकार ने एक बार फिर दिखाया है कि उनके लिए किसानों के हित और उन्हें जोखिम मुक्त करना उनकी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इस दिशा में एक और कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने ई-फसल क्षतिपूर्ति नामक पोर्टल लॉन्च किया। इस पोर्टल के लॉन्च होने से अब किसान स्वयं अपनी फसल नुकसान का ब्यौरा भर सकेंगे।
मुख्यमंत्री ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि इस पोर्टल के शुभारंभ के साथ ही यह फसल नुकसान की स्थिति में आवेदन, सत्यापन और मुआवजा प्रदान करने की प्रणाली में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। इससे पहले किसानों को फसल खराबे का मुआवजा मैनुअल दिया जाता रहा है और वर्षों से चली आ रही मैनुअल मुआवजा प्रणाली को बदलते हुए अब इस पोर्टल के माध्यम से यह मुआवजा भी आनलाइन कर दिया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत पंजीकरण नहीं कराया, उन किसानों को इस सुविधा का लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि आईटी सुधारों के साथ, हमने समाज के हर वर्ग के लिए ईज आॅफ लिविंग की दिशा में काम किया है। उन्होंने कहा कि मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल की अभूतपूर्व सफलता के बाद ई-फसल क्षतिपूर्ति पोर्टल का शुभारम्भ किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पोर्टल के माध्यम से मुआवजा राशि मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पर उपलब्ध करवाए गए काश्तकार के सत्यापित खाते में सीधे जमा करवाई जाएगी। इसके लिए किसानों को मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल के अलावा और कहीं भी पंजीकरण करने की आवश्यकता नहीं है। सम्बन्धित खसरा नम्बर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत पंजीकृत नहीं होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि आग, बाढ़, ओलावृष्टि, सूखा, शीत लहर, भूकम्प, भूस्खलन, बादल फटना, जलभराव, भारी बारिश, कीट का हमला और धूलभरी आंधी के कारण फसल नुकसान पर मुआवजा मिलेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि फसल का मुआवजा 5 स्लैब 0 से 24 प्रतिशत, 25 से 32 प्रतिशत, 33 से 49 प्रतिशत, 50 से 74 प्रतिशत और 75 से 100 प्रतिशत में दिया जाएगा। पटवारी, कानूनगो और तहसीलदार उनके पंजीकृत मोबाइल नंबर से लॉगिन फॉर्म से अपना-अपना लॉगिन करेंगे। वे फसल नुकसान के लिए किसान द्वारा प्रस्तुत आवेदन को देख सकेंगे।
मनोहर लाल ने कहा कि फसल मुआवजे के लिए पंजीकृत क्षेत्र के 4 प्रतिशत हिस्से का उपायुक्त से सत्यापन कराना आवश्यक है। उपायुक्त राशि को आयुक्त के अनुमोदनार्थ भेजेंगे। आयुक्त राशि को नोडल अधिकारी के अनुमोदन के लिए भेजेंगे। नोडल अधिकारी संबंधित जिलों द्वारा भेजी गई राशि के लिए सरकार की स्वीकृति लेंगे और स्वीकृति के बाद राशि सीधे किसान के सत्यापित खाते में डाल दी जाएगी।
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