इशिका ठाकुर, करनाल।
हरियाणा सरकार ने गेहूं की तूड़ी को दूसरे प्रदेशों में भेजे जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके चलते हरियाणा के सीमावर्ती राज्य में गेहूं की तूड़ी लेकर जाने वाले किसानों के खिलाफ पुलिस द्वारा अब कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जा रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष गेहूं की तूड़ी की कीमतों में लगातार उछाल आ रहा है और पिछले वर्षों के मुकाबले इस वर्ष तूड़ी की प्रोडक्शन लगभग 30% कम हुई है, जिसको देखते हुए प्रदेश सरकार ने गेहूं की तूड़ी को हरियाणा के साथ लगते राज्य में बेचने के लिए ले जाने पर प्रतिबंध लगाया है। सरकार के आदेशों की उल्लंघना करने वाले किसानों के खिलाफ करनाल पुलिस द्वारा करनाल से उत्तर प्रदेश की ओर जाने वाले रास्तों पर नाके लगाकर ट्रैक्टर ट्रॉली आदि वाहनों की अब लगातार चेकिंग की जा रही है तथा सरकार के आदेशों की पालना न करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा रही है। प्रशासन के अनुसार सरकार द्वारा यह कदम लगातार बढ़ रही तूड़ी की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए उठाया गया है। वहीं दूसरी और किसानों का कहना है कि ये किसानों की फसल है। इसके वो कहीं भी बेचे, सरकार को पाबंदी नहीं लगानी चाहिए। किसानों में इसका लेकर रोष बना हुआ है।
किसानों का कहना है कि सरकार को ये आदेश गलत है। इस बार गेहूं की पैदावार कम हुई है। तूड़ी व पराली को किसान दूसरे राज्यों में बेचकर कुछ पैसे कमा लेता तो क्या फर्क पड़ जाएगा। इससे गेहूं की पैदावार कम होने से जो किसानों को नुकसान हुआ है, उसकी कुछ भरपाई हो जाएगी। किसानों का यह भी कहना है कि जब सरकार ने पॉलिसी बनाई है कि वो फसल को कहीं भी बेच सकते हैं। सरकार ने गेहूं की पैदावार कम होने के उपरांत भी किसानों को अभी तक कोई बोनस नहीं दिया तो आखिर किसानों को भी अपने नुकसान की कहीं ना कहीं भरपाई करनी ही होगी। ऐसे में सरकार अपने ही द्वारा बनाए हुए नियमों से कैसे पीछे हट सकती है।
किसानों का कहना है कि उनके ऊपर दोहरी मार पड़ी है, पहले बरसात की वजह से इस बार गेहूं का उत्पादन कम हुआ है, जिससे प्रति एकड़ 18 से 20 हजार का नुकसान है। किसान को उम्मीद थी कि वह 8 से 10 हजार रुपए की रिकवरी कर लेगा, लेकिन इस आदेश के बाद उसकी यह उम्मीद भी टूट चुकी है।
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