इंडिया न्यूज, चंडीगढ़ :
Haryana is Developing Under Leadership of CM Manohar Lal : हरियाणा एक-हरियाणवी एक के आदर्श पर चलते हुए मनोहर सरकार ने पिछले 7 सालों में राज्य में एक समान विकास सुनिश्चित किया है। आज प्रदेश के हर नागरिक को सभी मूलभूत सुविधाएं बड़ी सरलता और समयबद्धता से मिल रही है, जिससे उनका जीवनस्तर ऊंचा उठा है और ईज आफ लीविंग इंडेक्स में हरियाणा प्रगति कर रहा है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के कुशल नेतृत्व में राज्य सरकार ने भाई-भतीजावाद, क्षेत्रवाद और जातिवाद को दरकिनार करके पूरे प्रदेश का एक समान विकास करवाया है।
एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि राज्य सरकार ने प्रदेशवासियों को बेहतर आवासीय सुविधाएं मुहैया करवाने की दिशा में बेहतरीन कार्य किया है। चाहे सड़क तंत्र को विकसित करना हो, सीवरेज व्यवस्था सुदृढ़ करनो हो, अपशिष्ट प्रबंधन, बारिश के पानी की निकासी इत्यादि व्यवस्थाओं को सुनिश्चित कर लोगों के जीवन को बदला है।
इन सुविधाओं को मुहैया करवाने के लिए सरकार द्वारा नगर निगम, नगर परिषद और नगरपालिकाओं के अधीन आने वाले क्षेत्रों में विकास शुल्क लगाया जाता है। पिछले 7 वर्षों में प्रदेश में जिस प्रकार से विकास की गति बढ़ी है, यह कई मायनों में सराहनीय है।
राज्य सरकार ने अब विकास शुल्कों में एकरूपता लाने के लिए विकास शुल्कों में संशोधन किया है। पहले 50 करोड़ रुपये की संपत्ति हो या 50 लाख रुपये की संपत्ति हो, दोनों पर एक जैसा विकास शुल्क लगता था। यह संपत्ति मालिकों के लिए सही नहीं था। इसी भेदभाव को खत्म करने के लिए विकास शुल्कों में संशोधन किया गया है। प्रवक्ता ने बताया कि सरकार को विकास शुल्क के माध्यम से जो राजस्व प्राप्त होगा, वह उसी क्षेत्र के विकास पर खर्च किया जाएगा, ताकि स्थानीय निवासियों को बुनियादी सुविधाएं मिल सकें।
कुछ लोगों द्वारा विकास शुल्कों में संशोधन को गलत प्रचारित किया जा रहा है, क्योंकि प्रत्येक क्षेत्र का कलेक्टर रेट वहां की जमीन की भौगोलिक स्थिति और मूल्य सूचकांक के अनुसार भिन्न-भिन्न हैं। गुरुग्राम में जहां एक 1 लाख रुपये प्रति गज का कलेक्टर रेट है, वहीं जींद में 2000 रुपये प्रति गज का रेट भी है। उनके कहे अनुसान यदि 100 वर्ग गज के मकान का नक्शा पास करवाने के लिए यदि 1.50 से 2 लाख रुपये तक फीस देनी पड़ रही है, तो इसका मतलब है कि 100 वर्ग गज के प्लॉट की कीमत 1.50 से 2 करोड़ रुपये होनी चाहिए, जो संभव नहीं है।
प्रवक्ता ने बताया कि विकास शुल्क में पहली बार संशोधन नहीं किए गए हैं, बल्कि वर्ष 1992 से 2003, वर्ष 2013 से 2018 तक भी समय-समय पर विकास शुल्क संशोधित किए गए हैं। यह समय एवं जरूरत के हिसाब से एक निरंतर प्रक्रिया है। यह दरें विकास कार्यों और मूल्य सूचकांक में होने वाली बढ़ोतरी के अनुपात में तय की जाती रही हैं। यह सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा है।
राज्य सरकार का लक्ष्य संतुलित, मजबूत और पारदर्शी गुणवत्ता विकास सुनिश्चित करना है, इसलिए यह महसूस किया गया कि विकास शुल्क ऐसे कार्यों को निष्पादित करने के लिए आवश्यक संसाधनों के मूल्य सूचकांक के अनुपात में होने चाहिए। विकास का उद्देश्य पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति तक सभी सुविधाएं पहुंचाना और लोगों की जरूरतों, इच्छाओं और आकांक्षाओं के अनुरूप सर्वोत्तम कार्यों का क्रियान्वयन सुनिश्चित करना है।
प्रवक्ता ने बताया कि देश की राजकोषीय व्यवस्था में अनुशासन लाने के लिये तथा सरकारी खर्च तथा घाटे जैसे कारकों पर नजर रखने के लिये राजकोषीय जवाबदेही एवं बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) कानून पूरे देश में लागू है। राजस्व और राजकोषिय घाटे को कम करने के लिए इस अधिनियम के तहत ही रेट में संशोधन किया जाता है। हरियाणा के अलावा अन्य राज्य में इसी अधिनियम का अनुपालन कर दरों में संशोधन करते हैं।
प्रवक्ता ने बताया कि सरकार ने लोगों को पीने का पानी, बिजली उपलब्ध करवाने से लेकर सड़कों का निर्माण और सीवरेज व्यवस्था मुहैया करवाने हेतु वर्षों पुराने नियमों में संशोधन कर विभिन्न सुविधाओं का क्रियान्वयन आसान किया है। शहरों का पुराना नगरपालिका क्षेत्र अत्यधिक आबादी वाला हो गया था ।
इसमें संकरी गलियां / सड़कें, पार्किंग की कम जगह, अवैध निर्माण, अतिक्रमण और आवश्यक नागरिक बुनियादी ढांचे का अभाव होने के कारण समय-समय पर विकास शुल्क में संशोधन करने की भी आवश्यकता महसूस हुई, ताकि ऐसे क्षेत्रों में नागरिक सुविधाएं और बुनियादी ढांचे जैसे जल निकासी, सीवरेज, पार्किंग स्थान, खुले स्थान, हरे भरे स्थान, वनस्पति आदि मुहैया करवाई जा सकें।
प्रवक्ता ने बताया कि वर्षों से चली आ रही लाल डोरा की प्रथा को खत्म करने का काम हरियाणा सरकार ने किया। मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने 26 जनवरी 2020 को गांवों को लाल डोरा मुक्त करने की शुरूआत का थी ताकि लोगों को उनकी संपत्ति का मालिकाना हक मिल सके। इसके बाद केंद्र सरकार ने हरियाणा की इस पहल को सराहा और आज पूरे देश में स्वामित्व योजना को लागू किया जा रहा है। अब लोगों को अपनी संपत्ति का मालिकाना हक मिलने से उन्हें कई तरह की सुविधाएं मिलने लगी हैं।
प्रवक्ता ने बताया कि राज्य सरकार ने प्रदेशवासियों को बड़ी राहत प्रदान करते हुए हाल ही में पैट्रोल और डीजल पर वैट घटाया है। सरकार ने नवंबर 2021 को अधिसूचना जारी कर पेट्रोल एवं डीजल की बिक्री पर वैट की दर को क्रमश: 25 प्रतिशत से घटाकर 18.20 प्रतिशत और 16.40 प्रतिशत से घटाकर 16 प्रतिशत कर दिया था। इससे पेट्रोल एवं डीजल पर आबकारी शुल्क में क्रमश: 5 रुपये और 10 रुपये की कटौती हुई थी।
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