डॉ. रविंद्र मलिक, India News (इंडिया न्यूज़), Haryana Lok Sabha Elections 2024, चंडीगढ़ : देश में लोकसभा चुनाव की घोषणा कभी भी हो सकती है और चुनाव की तैयारी में हरियाणा में भी सभी राजनीतिक दल पूरी ताकत झोंक रहे हैं। हरियाणा में भाजपा जहां तीसरी बार सरकार बनाने के लिए प्रयास कर रही है तो वहीं मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस करीब एक दशक से सत्ता से दूरी और वनवास को खत्म करने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि लोकसभा चुनाव में जीत काफी हद तक कैंडिडेट के चेहरे और जातीय समीकरणों पर निर्भर करेगी। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि हरियाणा की राजनीति में जातीय समीकरण एक अहम भूमिका निभाते हैं। इसी कड़ी में यह भी सामने आया है कि सत्ताधारी भाजपा की लोकसभा उम्मीदवारों के नाम कुछ सीट पर जातीय समीकरणों के मद्देनजर फाइनल होगी। हरियाणा में कई परिस्थितियां ऐसी हैं जहां कुछ सीट पर भाजपा के अलावा अन्य सियासी दल भी जातीय समीकरणों को नजरअंदाज नहीं कर सकते और ऐसा करने की स्थिति में उनको पराजय का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा भाजपा सहयोगी जजपा के साथ गठबंधन के भविष्य को लेकर भी लगातार मंथन की मुद्रा में है
हरियाणा में अंबाला और सिरसा दो आरक्षित सीट हैं जहां से एससी समुदाय के कैंडिडेट को ही खड़ा किया जा सकता है। इन सीट पर कैंडिडेट का नाम फाइनल करने के लिए भाजपा को काफी माथापच्ची और मंथन करना पड़ रहा है। अंबाला सीट पर पूर्व व दिवंगत सांसद रतन लाल कटारिया की पत्नी बंतो कटारिया, कृष्ण बेदी, पूर्व डीजीपी बीएस संधू और अमर सिंह टिकट के दावेदार है वहीं दूसरी तरफ सिरसा सीट पर तो ज्यादा कंपटीशन की स्थिति बनी हुई हुई।
सिरसा सीट पर पार्टी की वर्तमान सांसद सुनीता दुग्गल के अलावा, पिछले दिनों आम आदमी पार्टी का दामन छोड़ भाजपा का दामन थामने वाले अशोक तंवर भी टिकट के तगड़े दावेदार हैं। इनके अलावा पूर्व आईपीएस वी कामराज, एडीजीपी श्रीकांत जाधव और रविंद्र बलियाला में टिकट के लिए कतार में हैं।
हरियाणा की राजनीति में जातीय समीकरणों के लिहाज से जाट समुदाय व्यापक रूप से प्रभावी है। यह बात किसी से छुपी नहीं है कि भाजपा और जाट समुदाय में कोई अच्छी खासी ट्यूनिंग नहीं और दोनों कई मुद्दों पर लंबे समय से आमने सामने है। भारतीय जनता पार्टी को भी इस बात का अच्छे से इल्म है कि लंबे समय से पार्टी से नाराज चल रहे जाट समुदाय के नाराज रहने से पार्टी को नुकसान है। ऐसे में पार्टी जाट बहुल लोकसभा सीटों पर विशेष फोकस कर रही है ताकि वहां ऐसे उम्मीदवार उतारे जा सकें जो जाट वोटर को अपनी तरफ आकर्षित कर सके।
जाट डोमिनेटेड रोहतक और सोनीपत लोकसभा सीट पर पिछली बार बेशक भाजपा ब्राह्मण कैंडिडेट उतार चुनाव में उतरकर सीट जीतने में सफल रही लेकिन अब की बार पहले की तुलना में हालत बदले बदले नजर आ रहे हैं । रोहतक सीट से सांसद अरविंद शर्मा, ओपी धनखड़ और बाबा बालकनाथ टिकट के दावेदार हैं तो वहीं सोनीपत सीट से सांसद रमेश कौशिक, मोहन बड़ौली, राजीव जैन और योगेश्वर दत्त टिकट के लिए कतार में हैं। इसके अलावा जाट बहुल भिवानी महेंद्रगढ़ सीट पर पार्टी से सांसद धर्मबीर, ओपी धनखड़, सुधा यादव और अभय सिंह यादव कतार में हैं। इसके अलावा हिसार सीट से सांसद बृजेंद्र, कुलदीप बिश्नोई, कैप्टन अभिमन्यु, रणबीर गंगवा टिकट मांग रहे हैं।
जीटी रोड बेल्ट पर पड़ने वाली कुरुक्षेत्र और करनाल सीट पर भी जातीय समीकरण अहम हैं। करनाल सीट पर कई बार ब्राह्मण कैंडिडेट ज्यादा चुनाव जीते हैं। अबकी बार यहां से भाजपा से पंजाबी समुदाय से आने वाले सिटिंग एमपी सांसद संजय भाटिया, एडवोकेट वेदपाल और विधायक हरविंद्र कल्याण टिकट के दावेदार हैं। साथ लगती कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट पर भी सबकी टकटकी है। इस सीट पर ज्यादातर समय सैनी समुदाय का कैंडिडेट रहा है। भाजपा से अबकी बार यहां से सिटिंग सांसद नायब सैनी और पूर्व विधायक पवन सैनी टिकट के दावेदार हैं।
पीपीपी के आधार पर जातीय आंकड़ों के अनुसार हरियाणा में एससी वर्ग के कुल 1368365 परिवार हैं। ये कुल परिवारों का 20.71 फीसदी है। वहीं बीसी ए वर्ग के परिवारों की बात करें तो इनकी संख्या 1123852 हैं जो कुल परिवारों का 16.52 फीसदी बैठता है। बीसी बी वर्ग की बात करें तो इनकी संख्या 869079 है जो कि कुल जनसंख्या का 12.78 फीसद है। ये भी बता दें कि प्रदेश में 72 लाख परिवारों ने पीपीपी बनवाने के लिए आवेदन किया। इनमें से 68 लाख परिवारों का डाटा वेरीफाई हो चुका है।
एससी व बीसी वर्ग आंकड़ा देखते हुए साफ है कि ये दोनो वर्ग डिसाइडिंग फैक्टर साबित होने वाले हैं। हरियाणा में एससी व बीसी वर्ग की बात करें तो कुल जनसंख्या का ये करीब 51 फीसदी हैं। पीपीपी के आधार पर प्रदेश की कुल संख्या 2 करोड़ 83 लाख है। इनमें से एससी वर्ग के लोगों की संख्या 5861131 है और कुल का 20.71 प्रतिशत है। ऐसे में प्रदेश की कुल जनसंख्या का पांचवां हिस्सा एससी वर्ग का है। बीसी ए वर्ग के लोगों की संख्या 4793312 है जो कुल जनसंख्या का 16.93 फीसदी हैं।
इनके अलावा बीसी बी कैटेगरी की संख्या 3797306 है। ये जनसंख्या का 13.41 फीसदी है। बता दें कि पिछले साल आईएएस और मुख्यमंत्री के प्रिंसिपल सेक्रेटरी वी. उमाशंकर ने परिवार पहचान पत्र के बारे में और परिवारों के डाटा को किस प्रकार से एकत्रित किया और अपडेट किया था। तमाम पहलुओं को देखते हुए भाजपा की कोशिश होगी कि हर हाल में एससी और ओबीसी वोटर्स को लुभाया जाए।
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