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Mewat: जनसंख्या दिवस विशेष…

नूंह मेवात/कासिम खान

मेवात के स्वास्थ्य विभाग में लोगों को जागरूक करने के लिए सरकारी गाड़ियों में माइक लगा कर प्रचार करना शुरू कर दिया है. ताकि लोग ज्यादा से ज्यादा परिवार नियोजन के साधनों को अपनाकर अपने जीवन को खुशहाल बना सकें. देश की कुल जनसंख्या 130 करोड़ से अधिक है और हरियाणा के मेवात जिले की जनसंख्या तकरीबन 14 लाख है. भारतवर्ष की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है.

हरियाणा(haryana) का मुस्लिम बाहुल्य जिला मेवात भी जनसंख्या के मामले में राज्य में सबसे पहले पायदान पर है. फर्टिलिटी रेट में सूबे के सभी जिलों से तकरीबन दोगुना फर्टिलिटी रेट मेवात जिले का अधिक है. स्वास्थ्य विभाग के लिए यही बात चिंता बढ़ाने वाली है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक पहले के मुकाबले हालात तेजी से बदल रहे हैं, लेकिन जितनी अपेक्षा स्वास्थ्य विभाग को है, उससे कहीं कम जागरूकता लोगों में दिखाई पड़ रही है. विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर डॉक्टर प्रवीण राज तंवर उप सिविल सर्जन से खास बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि परिवार नियोजन के साधन अब लोग इस जिले में बच्चों में अंतर रखने के लिए अपनाने लगे हैं. खास कर बच्चों की पैदाइश में गैप के लिए महिलाएं इंजेक्शन लगवाने के लिए आगे आ रही हैं, लेकिन नसबंदी के केस अभी भी राज्य के सबसे कम इस जिले में देखने को मिल रहे हैं.

बच्चों की संख्या हर कपल पर इस जिले में अधिक है. बच्चों में गैप नहीं होने की वजह से खून की कमी एवं मातृ शिशु – मृत्यु दर के आंकड़े भी पिछले कुछ सालों में इस जिले में अच्छे नहीं रहे हैं. चिकित्सकों के मुताबिक मेवात जिले में जब महिलाओं की पहली डिलीवरी होती है. उस समय पूरी तरह स्वस्थ होती हैं और खून की मात्रा भी काफी अधिक होती है, लेकिन अगले बच्चे के जन्म में अंतर कम होने की वजह से महिलाओं के बच्चों में लगातार खून की कमी इस जिले में देखने को मिलती है. अमूमन हर साल महिला बच्चों को जन्म देती है. इसी वजह से बच्चे को जन्म  देते समय माता और शिशु की मौत का खतरा बना रहता है.

 

जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए बार – बार कदम उठाए जाते हैं, लेकिन कुछ जिलों में अब पहले की भांति हालात बदल रहे हैं. यह स्वास्थ्य विभाग से लेकर मेवात जिले के लिए बेहद अच्छा संकेत है. कम बच्चों की पैदाइश की वजह से माता-पिता उनको बेहतर ढंग से लालन-पालन करने के अलावा अच्छी शिक्षा दिला सकते हैं, लेकिन कई बार ज्यादा बच्चे होने की वजह से ना तो उनका लालन-पालन, माता-पिता ठीक ढंग से कर पाते हैं और ना ही उनकी पढ़ाई पर उतना ध्यान दिया जाता है. जितना आज के समय में दिया जाना चाहिए. विश्व जनसंख्या दिवस पर यह प्रण लेना चाहिए की कम बच्चे पैदा करने के साथ-साथ बच्चों की पैदाइश में माता – पिता को जागरूक रहते हुए अंतर रखना चाहिए, तभी स्वस्थ भारत का निर्माण हो सकता है.

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