इंडिया न्यूज, Haryana News: हरियाणा सरकार ने प्रदेश में एचआईवी पीड़ित मरीजों को सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड के तहत रेडियोलॉजिकल जांच जैसी स्वास्थ्य सुविधाएं नि:शुल्क प्रदान करने का निर्णय लिया है। एचआईवी पीड़ित मरीजों को यह सुविधा प्रदान करने के लिए उन्हें राज्य की उन 7 श्रेणियों में शामिल किया गया है, जिन्हें पीपीपी मोड के तहत विभिन्न स्वास्थ्य सुविधाएं नि:शुल्क प्रदान की जा रही हैं।
स्वास्थ्य विभाग के एक प्रवक्ता ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस आशय के एक प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। इस स्वीकृति के उपरांत अब एचआईवी पीड़ित मरीजोंं को पीपीपी मोड के तहत सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध करवाई जा रही यूएसजी, सीटी स्कैन और एमआरआई सहित सभी प्रयोगशाला जांच एवं रेडियोलॉजिकल जांच की सुविधा भी नि:शुल्क उपलब्ध करवाई जाएगी।
पीपीपी मोड के तहत विभिन्न स्वास्थ्य सुविधाएं नि:शुल्क प्राप्त करने वाली सात श्रेणियों में राज्य के बीपीएल एवं शहरी मलीन बस्तियों के मरीज, राज्य सरकार से निशक्तता भत्ता प्राप्त कर रहे मरीज, किसी भी नि:शुल्क श्रेणी में नहीं आने वाले मरीज, अनुसूचित जाति श्रेणी के मरीज, हरियाणा सरकार की आरक्षण नीति के अनुसार आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के मरीज, सडक दुर्घटना के शिकार लावारिस व्यक्ति और राज्य सरकार के कर्मचारी, पेंशनभोगी और उनके आश्रित शामिल हैं। उन्होंने बताया कि एचआईवी पीड़ित मरीजों को इसमें आठवीं श्रेणी के रूप में शामिल किया गया है।
वर्तमान में एचआईवी से पीड़ित लगभग 22000 मरीज एंटीरिट्रोवायरल थैरेपी (एआरटी) ले रहे हैं। इसके अतिरिक्त, इनमें लगभग 300 मरीज प्रति मास बढ़ रहे हैं। एआरटी सेंटर, पीजीआईएमएस, रोहतक से प्राप्त जानकारी के अनुसार ऐसे कुल मरीजों में से लगभग 2 से 3 प्रतिशत एचआईवी पीड़ितों को ही रेडियोलॉजिकल जांच की आवश्यकता पड़ती है। इस प्रकार, वार्षिक आधार पर एचआईवी पीड़ितों के प्रबंधन के दौरान लगभग 700 से 800 एचआईवी पीड़ितों को रेडियोलॉजिकल जांच की आवश्यकता पड़ेगी।
राज्य में विभिन्न अस्पतालों ने पीपीपी मोड के तहत चलाए जा रहे केन्द्रों में विभिन्न रेडियोलॉजिकल जांच की मौजूदा दरों के आधार पर लगभग 70 लाख रुपए प्रतिवर्ष प्रति मरीज का खर्च आएगा। प्रवक्ता ने बताया कि पीपीपी मोड के तहत इन सात श्रेणियों को नि:शुल्क स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा 45 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान किया गया है। उन्होंने बताया कि एचआईवी पीड़ित पर व्यय होने वाले लगभग 70 लाख रुपए प्रतिवर्ष प्रति मरीज के खर्च को इसी बजट में से पूरा किया जाएगा।
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