डॉ. रविंद्र मलिक, India News (इंडिया न्यूज़), Haryana Political Turmoil 2023, चंडीगढ़ : साल 2023 अलविदा कहने को है। पूरे साल के दौरान हरियाणा में कई बड़े घटनाक्रम घटित हुए। राजनीतिक गलियारों में कई मुद्दे सालभर चर्चा में रहे तो साल के आखिरी महीने में पांच राज्य में संपन्न हुई विधानसभा चुनाव के नतीजों की गूंज हरियाणा की राजनीति में भी सुनाई दी। साल 2022 में घटित हुए घटनाक्रमों में पर एक सरसरी नजर …
हरियाणा की सियासत में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कांग्रेस में ही धुर विरोधी माने जाने वाली कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला और किरण चौधरी जुलाई-2023 में एकजुट हुए और एसआरके खेमे के रूप में सामने आए। उनका हुड्डा से अलग चलने का अभियान साल 2023 में अंत तक भी जारी रहा।
तीनों एक समय खुद भी राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई में आमने सामने रहे, लेकिन वो हरियाणा कांग्रेस में हुड्डा के एकतरफा बलबूते के आगे खुद को असहज व असहाय महसूस कर रहे थे। मजबूरन उनको एक होना पड़ा, लेकिन हुड्डा को कमजोर करने और खुद को मजबूत करने में उनको कोई खास सफलता नहीं मिली। हुड्डा खेमा हरियाणा कांग्रेस में एकतरफा हावी बना रहा।
मेवात के नूंह में 31 जुलाई को एक बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना हरियाणा के इतिहास से जुड़ी, जिसने बाद में सियासी रंग भी ले लिया। जिले में 31 जुलाई, 2023 को हिंदू संगठनों द्वारा निकाली गई ब्रज मंडल धाम जलाभिषेक यात्रा के दौरान हिंसा और आगजनी हुई। इस मामले में जहां जिला प्रशासन की तत्परता पर सवाल खड़े हुए थे, वहीं कांग्रेस के विधायक मामन खान भी कटघरे में खड़े नजर आए।
मामले में उनकी गिरफ्तारी हुई और बाद में जमानत मिल गई। इस मामले में उनको पुलिस ने गिरफ्तार भी किया था। हालांकि बाद में वे जमानत पर रिहा हो गए। इस मुद्दे को लेकर सत्ताधारी भाजपा व कांग्रेस एक-दूसरे को घेरते नजर आए। मामले में सबसे अहम ये पहलू रहा है कि प्रदेश के होम मिनिस्टर अनिल विज और होम सेक्रेटरी टीवीएसएन प्रसाद व सीआईडी चीफ आलोक मित्तल आमने-सामने रहे।
अक्टूबर 2023 में ओपी धनखड़ की रवानगी की बाद हरियाणा बीजेपी को नया अध्यक्ष मिला। कुरुक्षेत्र के सांसद नायब सैनी को बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया। नायब सैनी को मुख्यमंत्री मनोहर लाल के करीबी होने का फायदा मिला। ओबीसी वोटरों को लुभाने की जुगत के रूप में इस कदम को देखा गया। जल्द ही प्रदेश भाजपा में संगठनात्मक बदलाव भी है। मुख्यमंत्री मनोहर ने एक बार फिर साबित किया कि हरियाणा भाजपा में वो ही सर्वेसर्वा हैं और आगामी चुनाव उनके नेतृत्व में होंगे।
भाजपा सरकार के कार्यकाल में होम मिनिस्टर अनिल विज का सीएम मनोहर लाल व अधिकारियों के साथ विवाद किसी न किसी रूप में सामने आता रहा है। करीब ढाई महीने तक तो उन्होंने सीएम के सीपीएस व रिटायर्ड आईएएस आरके खुल्लर द्वारा विभागीय हस्तक्षेप का हवाला दे स्वास्थ्य विभाग की फाइलें ही नहीं देखी।
मामले के चलते आरके खुल्लर की पत्नी व तत्कालीन हेल्थ डीजी सोनिया त्रिखा खुल्लर की पद से रवानगी हो गई लेकिन सीएम ने एक तीर से दो निशाने साध कूटनीतिक व राजनीतिक परिपक्वता की बानगी पेश की। सोनिया खुल्लर को पद से हटाकर विज की नाराजगी दूर की तो वहीं यहां हटाए जाने के बाद उनको एचपीएससी का मेंबर बनाकर वफादार सीपीएस आरके खुल्लर को भी नाराज नहीं होने दिया।
नवंबर माह में यमुनानगर और अंबाला में जहरीली शराब ने 20 लोगों की जिंदगी लील ली। मामले को लेकर विपक्षी पार्टियों ने सदन के अंदर और बाहर दोनों जगह सरकार को जमकर घेरा। हरियाणा के यमुनानगर और अंबाला में जहरीली शराब के मामले में 20 लोगों की जान गई।
इस मामले में प्रदेश की तमाम विपक्षी पार्टियों के निशाने पर सत्ताधारी बीजेपी रही। विपक्ष इस मामले में सरकार पर आरोप लगाता रहा कि यह सब कुछ सरकार की लापरवाही की वजह से हुआ है। हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान भी इस मुद्दे पर जमकर बहस हुई। विपक्ष सरकार पर इस मामले में गंभीर न होने का आरोप लगाता रहा।
नवंबर में सत्ता में सहयोगी जजपा राजस्थान के चुनाव रण में उतरी। पार्टी ने राजस्थान में 25 सीटों पर उम्मीदवार उतारे, जिनमें से कई का नामांकन रद हो गया। फाइनली 19 कैंडिडेट्स के रिजल्ट और सभी सीटों पर पार्टी की शर्मनाक हार हुई। हालांकि पार्टी ने वहां नवांगतुक होने का हवाला देते हुए इसे अच्छी शुरुआत बताया।
इसके अलावा राजस्थान चुनाव के नतीजों के बाद भाजपा व जजपा के गठबंधन के टूटने व बने रहने पर भी चर्चा बलवती हुई। इससे पहले भी सालभर गठबंधन के टूटने को लेकर चर्चाएं बनी रही। क्योंकि इस मामले में बीजेपी के नेताओं के लगातार ऐसे बयान आते रहे, जिससे हमेशा यह लगता रहा कि भाजपा और जजपा का गठबंधन कभी भी टूट सकता है। साल भर नेताओं के बयानों ने इस मुद्दे को गर्म रखा।
दिसंबर में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के नतीजों को हरियाणा से भी जोड़कर देखा जा रहा है। भाजपा तीन बड़े राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने में सफल रही और पार्टी ने इन नतीजों का असर हरियाणा पर भी पड़ने का दावा किया। वहीं कांग्रेस दिग्गज भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि राजस्थान में पार्टी का वोट बैंक बढ़ा है और जिन सीटों पर उन्होंने प्रचार किया, वहां व्यापक पैमाने पर कांग्रेस सीट जीतने में सफल रही।
पिछले करीब 5 दशकों से पंजाब और हरियाणा की सियासत का प्रमुख मुद्दा सतलुज यमुना लिंक (एसवाईएल) का मुद्दा 2023 के अंत तक भी सुर्खियों में बना रहा। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के पक्ष में फैसला सुनाया था, लेकिन पंजाब ने आदेश को इंप्लीमेंट नहीं किया और अभी भी दोनों राज्य मसले पर आमने-सामने हैं।
चंडीगढ़ में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की अध्यक्षता में हुई बैठक में हरियाणा व पंजाब दोनों के सीएम ने भाग लिया, लेकिन स्थिति की तस रही। एक तरफ हरियाणा लगातार कह रहा है कि सतलुज यमुना लिंक नहर का निर्माण होना चाहिए। लेकिन पंजाब बिल्कुल भी इस नहर के निर्माण के लिए तैयार नहीं है। पंजाब का कहना है कि उसके पास किसी को भी देने के लिए एक भी बूंद पानी नहीं है। मामले पर पंजाब के सभी दल एकजुट हैं तो हरियाणा में भी राजनीतिक रूप से स्थिति समान है।
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