डॉ. रविंद्र मलिक, India News (इंडिया न्यूज़), Haryana Politics, चंडीगढ़ : हरियाणा में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं। साथ ही यह भी चर्चा है कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ हो सकते हैं। इसको देखते हुए सभी दल खुद को मजबूत करने और सत्ता में आने के लिए हर कोशिश में जुटे हैं। प्रदेश की सियासत में इन दिनों व्यापक स्तर पर उठापटक जारी है। प्रदेश की सियासत में फिलहाल इन दिनों सबसे ज्यादा चर्चा चौटाला परिवार की हो रही है।
यूं तो चौटाला परिवार किसी परिचय का मोहताज नहीं है, लेकिन इन दिनों चौटाला परिवार की ओर चर्चा अधिक है। परिवार के सभी बड़े सक्रिय राजनीति में अपनी मौजूदगी दर्ज करवा रहे हैं तो वही सत्ताधारी भाजपा भी चौटाला परिवार के तमाम खेमों को कसौटी पर कस रही है। परिवार का एक धड़ा जननायक जनता पार्टी तो पहले ही सत्ता में सहयोगी है तो इनेलो सत्ता में आने के लिए प्रयास कर रही है। गौरतलब है कि प्रदेश में इनेलो और जजपा चौधरी देवीलाल के नाम पर राजनीति कर रही है।
ओमप्रकाश चौटाला के खिलाफ राजनीति में आए उनके भाई रणजीत सिंह चौटाला की सियासी धमक इन दिनों प्रदेश की राजनीति में हर जगह सुनाई दे रही है। वर्तमान भाजपा सरकार में उनकी काफी पूछ है।भाजपा लगातार उनका कद बढ़ा रही है। 18 जून को ही सिरसा में मंच पर अमित शाह ने निर्दलीय विधायक रणजीत चौटाला को बुलवाया। गृह मंत्री ने रैली खत्म होने के बाद उनके निवास पर मुलाकात भी की। उम्मीद की जा रही है कि भाजपा रणजीत सिंह चौटाला को विधानसभा और लोकसभा चुनाव में कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती ह। वहीं अमित शाह के उनके घर पर बैठक को लेकर रणजीत सिंह से पूछा तो उनकी आंखों में चमक आ गई और बोले कि रैली में सबने मेरा राजनीतिक कद देख लिया।
ओपी चौटाला के भतीजे और जगदीश चौटाला के बेटे आदित्य चौटाला को भी भाजपा इन दिनों काफी भाव दे रही है। सिरसा रैली से कुछ दिन पहले आदित्य चौटाला को हरियाणा कृषि और मार्केटिंग बोर्ड का चेयरमैन लगाया गया था। फिर सिरसा रैली के महज 3 दिन बाद ही उनको हरियाणा कृषि मार्केटिंग बोर्ड के चेयरमैन आदित्य चौटाला को नेशनल काउंसिल ऑफ स्टेट एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड का सीनियर वाइस चेयरमैन नियुक्त किया।
बता दें कि सीनियर वाइस चेयरमैन को ही चेयरमैन बनाने का नियम है और सीनियर वाइस चेयरमैन का कार्यकाल पांच साल का होता है। इसके अलावा कृषि और मार्केटिंग बोर्ड से संबंधित पॉलिसी बनाने में सीनियर वाइस चेयरमैन की भूमिका रहती है। चौधरी देवीलाल के पोते आदित्य चौटाला भाजपा के जिलाध्यक्ष भी हैं। सिरसा में भाजपा का एक धड़ा पद से उनको हटाने की मांग कर रहा था। उनको अब नई जिम्मेदारी दिए जाने के बाद विरोधी गुट को कड़ा झटका लगा है।
वहीं चौटाला परिवार में 4 धड़े राजनीतिक रूप से सक्रिय हैं। ओपी चौटाला और उनके छोटे बेटे अभय इनेलो ने प्राण फूंकने की कोशिश कर रहे हैं। उनके बड़े बेटे अजय चौटाला ने इनेलो से अलग होने के बाद जजपा बनाई और उनके बेटे दुष्यंत भाजपा के साथ गठबंध सरकार में डिप्टी सीएम हैं। ओपी चौटाला की खिलाफत में राजनीति में उतरे छोटे भाई रणजीत चौटाला निर्दलीय विधायक हैं और भाजपा कोटे से मंत्री बनाए गए हैं।
78 साल की आयु के बाद उनकी सियासी महत्वाकांक्षा हिलोरे मार रही है। ओपी चौटाला के तीसरे भाई जगदीश चौटाला के बेटे आदित्य चौटाला ने पिछली बार भाजपा से चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए। रणजीत सिंह और आदित्य चौटाला के ओपी चौटाला से रिश्तों में कड़वाहट है। भाजपा की जजपा से इन दिनों कम ही पट रही है और इनेलो भी खिलाफत में है। ऐसे में अब भाजपा रणजीत और आदित्य को मजबूत कर सियासी संतुलन बना रही है।
सदन के अंदर और बाहर इनेलो व भाजपा आमने-सामने रहे हैं। इनेलो विधायक अभय चौटाला ने कई मुद्दों पर खुलकर सरकार पर हमला बोला है, लेकिन वर्तमान सियासी हालात के मद्देनजर चीजों में बदलाव देखने को मिल रहा है। अमित शाह की सिरसा रैली के दौरान जिस तरह का रुख उन्होंने दिखाया, उससे साफ है कि भाजपा सत्ता में आने के लिए हरसंभव ऑप्शन साथ रखकर चल रही है। अमित शाह ने इनेलो के खिलाफ कोई भी शब्द बोलने से परहेज किया। उन्होंने केवल भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ जमकर बोला। वहीं स्टेज से देवीलाल का नाम बोलकर पूरे चौटाला परिवार को साधने की कोशिश की।
भाजपा को भी इस बात का इल्म है कि आने वाला चुनाव आसान नहीं रहने वाला। ऐसे में किसी भी विपक्षी दल की जरूरत किसी भी समय पड़ सकती है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भावी राजनीति के मद्देनजर अमित शाह ने इनेलो के खिलाफ बोलने से गुरेज किया। चूंकि ओपी चौटाला और अभय चौटाला प्रदेश और देश की राजनीति में बड़ा नाम है तो अमित शाह द्वारा उनकी आलोचना न किया जाना एक बार तो किसके गले ही नहीं उतरा। लेकिन राजनीति में कब क्या हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता।
वहीं जानकारी दे दें कि भाजपा और चौधरी देवीलाल के परिवार का पुराना रिश्ता है। 1987 के चुनावों में तत्कालीन लोकदल के साथ भाजपा का गठबंधन रहा। इसके बाद 1999 में भाजपा का हरियाणा विकास पार्टी के साथ गठबंधन था, लेकिन भाजपा ने हविपा से गठबंधन तोड़कर ओपी चौटाला की पार्टी इनेलो से गठबंधन किया। तब ओपी चौटाला मुख्यमंत्री बने।।1999 के लोकसभा चुनाव में इस गठबंधन ने 10 सीटें जीती। हालांकि 2004 में यह गठबंधन टूट गयाar। अब ओपी चौटाला के पोते दुष्यंत चौटाला गठबंधन के सहयोगी हैं। इस लिहाज से एक बार फिर से भविष्य में चौटाला परिवार और भाजपा के बीच सियासी गठजोड़ से इनकार नहीं किया जा सकता।
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