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Haryana Politics on Elections : एक-दूसरे की सियासी तबीयत को नासाज बता रहे राजनीतिक दल, दिग्गज भी चर्चा में 

  • बीरेंद्र सिंह रैली के जरिए दिखाएंगे ताकत

India News (इंडिया न्यूज़), Haryana Politics on Elections, चंडीगढ़ : देश में अगले साल लोकसभा चुनाव होने जा रहे हैं। इसके अलावा इस साल पांच राज्यों और अगले साल हरियाणा में विधानसभा चुनाव लंबित हैं। सभी राजनीतिक दल इनकी तैयारियों में जुटे हैं। प्रदेश में सत्ताधारी भाजपा की कोशिश है कि प्रदेश में लगातार तीसरी बार सरकार बनाई जाए। वहीं सत्ता में सहयोगी जजपा और धुर विरोधी इनेलो भी अपने अपने स्तर पर सक्रिय हैं। जजपा पड़ोसी राज्य राजस्थान में भी सियासी जमीन की तलाश में हाथ पैर मार रही है।

राजनीतिक दल सत्ता और अस्तित्व की लड़ाई में एक-दूसरे की सियासी तबीयत को नासाज बता रहे हैं, वहीं इन दिनों उन सियासी चेहरों की भी सबसे ज्यादा चर्चा है जो राजनीतिक घरानों से है, लेकिन फिलहाल सत्ता से दूर हैं। मुख्य रूप से नेता प्रतिपक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा कई कारणों के चलते निरंतर प्रदेश के सियासी गलियारों में काफद चर्चा में हैं। वहीं पिछले कुछ समय से अपनी ही पार्टी में बैकफुट पर चल रहे चौधरी बीरेंद्र सिंह को लेकर भी सुगबुगाहटों का दौर जारी है।

बीरेंद्र सिंह ऊहापोह की स्थिति में, रैली के जरिए ताकत दिखाने की कोशिश…

कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह पार्टी में काफी असमंजस की स्थिति में दिख रहे हैं। काफी समय से वो खुद को भाजपा में असहज महसूस कर रहे हैं। इसी कड़ी में उन्होंने 2 अक्टूबर को जींद में रैली रखी है। बिना भाजपा के हो रही इस रैली को लेकर उनका दावा है कि ये प्रदेश की राजनीति में बड़ा बदलाव लाएगी। बेशक वो रैली को पूरी तरह से गैर राजनीतिक कह रहे हैं लेकिन कहीं न कहीं ये राजनीतिक रंग तो लिए हुए ही है।

उन्होंने समर्थकों को बिना किसी राजनीतिक पार्टी के झंडे और तिरंगे के साथ आने के लिए कहा है। इस आयोजन के जरिए उनकी चाह है कि वो जाटलैंड में अपनी ताकत दिखाएं और उचाना सीट पर अपना दावा मजबूत करें। साथ ही कोशिश है कि वो रैली के जरिए पार्टी हाईकमान तक सीधी पहुंच बनाएं। फिलहाल वो अपने पत्ते नहीं खोल रहे हैं और कोशिश है कि सांसद बेटे को किसी भी हालत में प्रदेश की राजनीति में मजबूती से स्थापित करना है।

रणजीत सिंह बोले- हुड्डा का रुतबा है, वो किसी के दबाव में काम क्यों करें

वहीं इनेलो की रैली में कांग्रेस के न जाने के पीछे भूपेंद्र सिंह हुड्डा को कारण माना जा रहा है और इस बात से शायद ही कोई इत्तेफाक न रखे। इसको लेकर कैबिनेट मिनिस्टर रणजीत सिंह चौटाला से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस बात में कोई दो राय नहीं है कि हुड्डा का अपना वजूद और रुतबा है। वो अलग से पार्टी बनाकर भी चुनाव लड़े तो कम से कम 20 सीट जीत जाएंगे। वो किसी के नीचे क्यों काम करें। हुड्डा मजबूत नेता हैं और वो किसी के दबाव में आकर काम क्यों करें। बीरेंद्र सिंह को लेकर बोले वो उतावलेपन में फैसले लेते हैं। हालांकि ये भी किसी से छिपा नहीं है कि फिलहाल हुड्डा का हरियाणा कांग्रेस में एकतरफा बोलबाला है। पार्टी हाईकमान को हरियाणा में उनके कद का अहसास है। वहीं कांग्रेस दिग्गजों रणदीप सुरजेवाला, कुमारी सैलेजा और किरण चौधरी (एसआरके) से हुड्डा का छत्तीस का आंकड़ा जारी है।

इनेलो लड़ रही अस्तित्व की लड़ाई, अभय बोले-क्षेत्रीय दल जरूरी

इंडियन नेशनल लोकदल के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला

कभी सत्ता के शीर्ष पर रही इनेलो की कोशिश है कि अपना पुराना दौर लाए। फिलहाल पार्टी के पास एक ही विधायक अभय सिंह चौटाला हैं और उनकी कोशिश है कि किसी ही हालत में पार्टी का अस्तित्व बना रहे। अभय चौटाला लगातार कह रहे हैं कि आने वाले चुनाव में पार्टी पुराना जलवा दिखाएगी, पार्टी सरकार बनाएगी। वहीं इसको लेकर उनके भतीजे व जजपा नेता डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला लगातार कह रहे हैं कि इनेलो खत्म हो जाएगी। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के उनकी रैली में न आने पर कह चुके हैं कि प्रदेश के हित में क्षेत्रीय दलों का रहना जरूरी है। चाहे भाजपा हो या कांग्रेस, दोनों क्षेत्रीय दलों को खत्म करना चाहती हैं लेकिन राज्य के लोगों का भला क्षेत्रीय दल ही कर सकते हैं।

जजपा की हरियाणा के अलावा राजस्थान में पैर जमाने की जुगत

वहीं जजपा नेता और डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला लगातार राजस्थान में पैर जमाने की कोशिश कर रहे हैं। इसको लेकर 25 सितंबर को वहां रैली का आयोजन किया गया है तो अब पार्टी द्वारा कई सीटों पर रोड रोड शो निकालने की तैयारी हो रही है। पार्टी का लगातार दावा है कि वो 25 से 30 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और इन सीटों पर पार्टी का खासा प्रभाव है, लेकिन राजनीतिक जानकारों का मानना है कि धरातल पर चीजें आसान नहीं हैं। पार्टी ये भी लगातार कह रही है कि अगर भाजपा गठबंधन में लड़ती है तो ठीक है, नहीं तो अकेले लड़ने का भी विकल्प पार्टी के पास है ही। वहीं जजपा को लेकर दुष्यंत चौटाला के चाचा और इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला का कहना है कि हरियाणा में पार्टी का आने वाले चुनाव में सफाया होना तय है। राजस्थान में जजपा के एक्टिव होने पर कैबिनेट मिनिस्टर रणजीत सिंह बोले कि चांद पर हर साइंटिस्ट जाना चाहता है लेकिन संभव नहीं।

मुख्य मुकाबला भाजपा व कांग्रेस में ही

चूंकि अभी विधानसभा चुनाव में समय है। राजनीतिक जानकारों और केबिनेट मिनिस्टर रणजीत सिंह का मानना है कि हरियाणा में मुकाबला मुख्य रूप् से भाजपा व मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के बीच ही है। जजपा, इनेलो और आम आदमी पार्टी भी लगातार कोशिश कर रहे हैं लेकिन वो बड़ी भूमिका में नजर नहीं आ रहे। कैबिनेट मिनिस्टर सिंह भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि हरियाणा में सत्ता के लिए सीधी लड़ाई कांग्रेस और भाजपा में ही है। बाकी दूसरे दल कहीं नहीं ठहरते। जहां तक आप की बात है तो वो कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएगी। पार्टी की हरियाणा में जितनी भी वोट आएंगी, वो कांग्रेस वोट बैंक से टूटकर आप में शिफ्ट होंगी।
Amit Sood

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Amit Sood

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