India News Haryana (इंडिया न्यूज), Haryana Polls 2024 : हरियाणा भौगोलिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से कई हिस्सों में बंटा हुआ है। भौगोलिक दृष्टि से 22 जिलों वाले हरियाणा की पहचान प्रमुख रूप से अहीरवाल, बांगर-बागड़ और तीसरी जीटी रोड बेल्ट के रूप में होती है और इन सभी बेल्ट का राजनीतिक मिजाज व्यापक स्तर एक-दूसरे से जुदा है।
साल 2014 में पहली बार हरियाणा में सरकार बनाने में सफल रहने वाली भगवा पार्टी भाजपा को मुख्य रूप से जीटी रोड बेल्ट सत्ता में लेकर आई तो अहीरवाल बेल्ट का भी इसमें बड़ा योगदान रहा। तीन प्रमुख बेल्टों के अलावा 4 और छोटी-छोटी बेल्ट हैं, जिनका राजनीति में अपना असर रहता है। अबकी बार भी सभी राजनीतिक दलों की नजर जीत और हार जीटी रोड बेल्ट और अहीरवाल पर टिकी हुई है। उपरोक्त के अलावा राज्य की बांगर, बागड़, खादर-नरदक, देसवाली (जाट बाहुल्य), मेवाती और दक्षिण हरियाणा की बेल्ट का भी राजनीतिक रूप से कहीं न कहीं एक महत्व है।
राजस्थान की सीमा से सटे अहीरवाल ने प्रदेश की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाई है। पिछले कुछ समय से इस इलाके में भाजपा का होल्ड होने के चलते पार्टी दो बार सरकार बनाने में सफल रही। अहीरवाल में सालों से पानी बड़ा मुद्दा रहा है। पीने के पानी की कमी के अलावा यहां पर खेतों की नहरी पानी से सिंचाई नहीं हो पा रही, जिससे जमीन बंजर है।
अब तक छह बार सांसद रह चुके केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत का अहीरवाल में ठीक-ठाक होल्ड है। पिछले चार बार से वह लगातार सांसद हैं। इनके अलावा, यहां कांग्रेस के कैप्टन अजय यादव, पूर्व मंत्री रामबिलास शर्मा, राव दान सिंह और राव नरबीर के साथ अभय सिंह यादव का प्रभाव भी रहता है। इतना ही नहीं इस बेल्ट में केंद्र की अग्निवीर योजना की जमकर मुखालफत होने और बेल्ट में पार्टी नेताओं में आपसी खाई बढ़ने के चलते भाजपा बैकफुट पर नजर आ रही है।
मेवात में नूंह व आसपास का मुस्लिम बाहुल्य इलाका शामिल है, जहां पर अधिकतर मुस्लिम नेताओं का ही प्रभाव है। इस क्षेत्र में बढ़ती अपराध दर और इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी के अलावा पानी की समस्या बड़े अहम मुद्दे हैं जिनका दशकों से समाधान नहीं हो पाया। दिल्ली के नजदीक होने और एनसीआर में होने के बावजूद यहां पर विकास नहीं हो पाया। आज भी यहां के लोग स्वास्थ्य सेवाओं के लिए तरस रहे हैं।
यहां से तीनों विधायक कांग्रेस के हैं। नेताओं की बात करें तो कांग्रेस के आफताब अहमद और भाजपा नेता जाकिर हुसैन का यहां पर प्रभाव है। यह भी बता दे कि पिछले साल ब्रज मंडल यात्रा के चलते यहां पर जो हिंसा हुई, उसको लेकर भी बीजेपी बैकफुट पर है। पिछले लोकसभा चुनाव में भी यहां के मुस्लिम समुदाय ने लामबंद होकर भाजपा के खिलाफ वोट किया था।
जीटी रोड बेल्ट के नाम से पहचान रखने वाली खादर-नरदक बेल्ट में उत्तरी हरियाणा के उपजाऊ भूमि वाले करनाल, कुरुक्षेत्र, अंबाला, यमुनानगर और पंचकूला जिले शामिल हैं, जहां भाजपा का प्रभाव ज्यादा माना जाता है। इन जिलों में लोग हर साल यमुना नदी, टांगरी और मारकंडा नदी में बाढ़ और हर साल नदियों के साथ लगती फसलें खराब होने से परेशान हैं। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल और कार्यवाहक मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी करनाल से चुनाव जीते हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा को कई लोकसभा सीटों के तहत आने वाली विधानसभा सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था।
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बांगर इलाके में हरियाणा के कैथल और जींद जिले आते हैं, जहां पर हमेशा से विकास की कमी और बढ़ता नशा बड़े मुद्दे रहे हैं। उचाना हलके को बांगर की राजधानी कहा जाता है। अक्खड़पन और बेबाकी के लिए मशहूर बांगर बेल्ट अधिकतर सरकारों में बांगर की हिस्सेदारी रहने के बावजूद यहां पर मूलभूत सुविधाओं और विकास की कमी हमेशा से महसूस की जाती रही है। हालांकि इस बेल्ट से कभी कोई नेता सीएम की कुर्सी पर काबिज नहीं हुआ। यहां से कोई नेता प्रदेश का मुखिया नहीं बन सका। सिर्फ ओमप्रकाश चौटाला नरवाना से विधायक होते हुए सीएम बने थे, लेकिन उनका मुख्य क्षेत्र सिरसा रहा है। बीरेंद्र सिंह और रणदीप सुरजेवाला इस क्षेत्र के दो बड़े चेहरे हैं, लेकिन प्रदेश का मुखिया नहीं बन सके।
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