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Haryana Polls 2024 : महेंद्रगढ़ के चुनावी रण में भाजपा व कांग्रेस में सीधा मुकाबला होने के आसार, तेजी से बदल रहे राजनीतिक समीकरण

• LAST UPDATED : September 23, 2024
  • चुनाव प्रचार में निर्दलीय संदीप सिंह बरकरार नहीं रख पाए शुरुआती बढ़त, इनेलो-बसपा प्रत्याशी भी पिछड़े

India News Haryana (इंडिया न्यूज), Haryana Polls 2024 : महेंद्रगढ़ विधानसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक पारा पूरी तरह से उफान पर नजर आ रहा है। ऐसे में सभी दलों के प्रत्याशियों ने चुनावी माहौल को अपने पक्ष में करने के लिए पूरी ताकत लगा दी है तथा घर-घर वोटर की दहलीज पर नतमस्तक होने को मजबूर है। महेंद्रगढ़ विधानसभा चुनाव में दिन-प्रतिदिन बन व बिगड़ रहे राजनीतिक समीकरणों में सीधे तौर पर मुख्य मुकाबला भाजपा व कांग्रेस में नजर आ रहा है तथा यह भी तय है कि अंतिम समय तक यहां दोनों ही दलों में सीधा मुकाबला देखने को मिलेगा।

भाजपा ने कंवर सिंह यादव पर दांव खेला

अहीर बाहुल्य क्षेत्र में भाजपा ने पहली बार यहां से अहीर समुदाय के कंवर सिंह यादव पर दांव खेलकर कांग्रेस के राव दान सिंह के लिए न केवल मुसीबत खड़ी कर रखी है बल्कि राव दान सिंह को शुरुआती मुकाबले में पटखनी भी दे डाली है। अहीर समुदाय के वोटरों की राव दान सिंह के प्रति नाराजगी के चलते अहीर वोटर अबकी बार कंवर सिंह यादव के पक्ष में डटकर खड़ा हो रहा है, वहीं कांग्रेस प्रत्याशी राव दान सिंह के लिए अपने वर्करों की नाराजगी दूर करना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। कांग्रेस प्रत्याशी पर भ्रष्टाचार के आरोपों, ईडी की कार्रवाई को लेकर भी हलके की जनता अबकी बार उनके विरोध में दिखाई दे रही है।

इस कारण भी वोटर काट रहे कन्नी

वहीं गत पांच वर्ष के विधायक कार्यकाल के दौरान महेंद्रगढ़ की जनता से दूरी व हलके में निष्क्रियता से आम वोटर भी उनसे दूर हुआ है। भाजपा प्रत्याशी कंवर सिंह यादव को सबसे बड़ा फायदा अहीर समुदाय को भाजपा द्वारा इस सीट पर पहली बार प्राथमिकता देने तथा जाना पहचाना नया चेहरा होने के कारण मिल रहा है। पिछले दस वर्ष से निरंतर जनता के सुख दुख में शामिल होना व उनकी साफ सुथरी छवि, साधारण व्यक्तित्व मतदाता को प्रभावित कर रहा है।

अन्य दलों की बात की जाए तो इनेलो बसपा गठबंधन से सुरेंद्र कौशिक मैदान में तो नजर आ रहे है लेकिन उनका वोट बैंक स्थायित्व में तब्दील न होने के कारण चुनाव कमजोर होता जा रहा है वहीं उनके चुनावी कार्यालयों में वर्करों की बजाय चमचागिरी करने वालों की भीड़ अधिक नजर आ रही है। ऐसे में सक्रिय वर्कर भी उनसे दूर हो रहे है। निर्दलीय संदीप सिंह चुनाव को त्रिकोणीय बनाने का प्रयास अवश्य कर रहे है परंतु शायद ही वे इसमें कामयाब हो पाए। वे केवल जाट वोट व एससी वोट बैंक के सहारे चुनाव को आगे बढ़ा रहे है।

उनकी सबसे बड़ी कमजोरी आम मतदाता तक पहुंच की बजाय केवल चुनिंदा वर्करों तक ही सीमित रही है वहीं रूठों को मनाने में भी वे सबसे पीछे चल रहे हैं। बदले चुनावी परिदृश्य में हर मतदाता उम्मीदवार से सीधा संपर्क चाहता है तथा उसे बिचौलिया मंजूर नहीं है। इस मामले में भाजपा के कंवर सिंह यादव ही खरे उतर रहे हैं, उनका हर वोटर तक सीधा संपर्क है वहीं राव दान सिंह दूसरे नंबर पर नजर आ रहे है। राव दान सिंह के चुनाव का जिम्मा उठाने वाले कार्यकर्ता आम मतदाता तक राव दान सिंह की पहुंच सुनिश्चित नहीं कर पा रहे। ऐसे में महेंद्रगढ़ का चुनावी रण दिलचस्प होता जा रहा है तथा यहां कांग्रेस व भाजपा में सीधा मुकाबला होगा, इतना अवश्य तय हो चुका है।
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