डॉ. रविंद्र मलिक, Haryana News: हरियाणा के राज्यसभा चुनाव में बिल्कुल वैसा ही हुआ, जिसका अनुमान हर कोई लगा रहा था। भाजपा व जजपा समर्थित बेहद मजबूत निर्दलीय उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा ने कांग्रेस के दिग्गज नेता अजय माकन को राज्यसभा चुनाव में पटखनी दे दी। चुनाव को लेकर 10 जून को हुई वोटिंग के बाद देर रात और अगले दिन 11 जून अलसुबह करीब ढाई बजे तक पूरी उठापटक जारी रही। चूंकि मुकाबला कांटे का हो चुका था, लेकिन कार्तिकेय शर्मा का संघर्ष काम आया। भाजपा के उम्मीदवार कृष्ण लाल पंवार आसानी से चुनाव जीते तो वहीं बचे हुए सरप्लस वोट कार्तिकेय के खाते में चले गए और इसके बाद जो घटित हुआ, वह अपने आप में इतिहास बन गया है। वहीं कांग्रेस के विधायक कुलदीप बिश्नोई शुरू से ही भाजपा के पक्ष में नजर आ रहे थे और उन्होंने खुलकर कार्तिकेय के पक्ष में वोट किया। वहीं अब जब कार्तिकेय राज्यसभा पहुंच गए हैं तो उनके राजनीतिक करियर का ये बेहतरीन आगाज है।
बता दें कि हरियाणा विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं। इनमें से एक निर्दलीय बलराज कुंडू ने वोटिंग नहीं की। वहीं कांग्रेस की 1 वोट रदहो गई। ऐसे अब बची 88 वोटों में से हर उम्मीदवार को कम से कम एक तिहाई से ज्यादा वोट लेने थे। एक वोट को तकनीकी रूप से 100 वोट के रूप में माना जाता है तो ऐसे में कुल 8800 वोट में जीत का एक तिहाई से ज्यादा हिस्सा उम्मीदार को लेना जरूरी था। भाजपा को कुल 36 यानी 3600 वोट पड़े। भाजपा को 29.34 फीसद वोट की जरुरत थी। वहीं निर्दलीय उम्मीदवार कार्तिकेय को 23 यानी 2300 वोट पड़े और भाजपा के बचे हुए 6.66 फीसद यानी 660 वोट भी उनको मिले। ये वोट उनको बतौर सेकंड परेफरेंस यानी दूसरी प्राथमिकता के रूप में मिले थे। उनको स्कोर 29.66 हो गया। वहीं कांग्रेस को 29 यानी 2900 वोट मिले। पहले दो स्थानों पर भाजपा व निर्दलीय कार्तिकेय रहे तो वहीं कांग्रेस तीसरे स्थान पर रहने के चलते चुनाव हार गई।
यह भी बता दें कि कुलदीप बिश्नोई की नाराजगी कांग्रेस को भार पड़ गई। बिश्नोई ने एक तरह से पहले ही इशारा कर दिया था कि वो किसको वोट डालेंगे। बिश्नोई सबसे पहले वोटिंग करने वालों में थे। उनके वोट डालते ही चर्चा शुरू हो गई थी कि उन्होंने भाजपा को वोट डाला है। ये भी जानकारी सामने आई कि वोटिंग सेंटर में कांग्रेस की तरफ से चुनाव एजेंट व पार्टी के राज्य प्रभारी विवेक बंसल ने उनका वोट रद करने की मांग की थी, लेकिन ऐसा नहीं पाया और उनका वोट भाजपा समर्थित कार्तिकेय के समर्थन में चला गया। बाद में जब कांग्रेस का एक वोट रद हो गया तो यही वोट उस पर भारी पड़ गया जो उसको हार के मुहाने तक ले गया।
वहीं अब ये सवाल रह-रहकर उठा है कि कांग्रेस के किस विधायक का वोट रद हुआ है। ये किसी के कहने पर हुआ है या फिर गलती से ऐसा हो गया। कारण चाहे कुछ भी रहा, लेकिन कांग्रेस के एक गलत वोट ने अजय माकन की राज्यसभा सीट से उनको मरहूम कर दिया। अब नजर इस बात पर रहेगी किसके ऊपर शक की सुई घूमेगी।
कार्तिकेय शर्मा की राजनीतिक पारी का सफल आगाज हो गया है। लिहाज अब वो राज्यसभा पहुंच गए हैं तो वहां वे हरियाणा के मुद्दों को उठाएंगे। उनको चुनाव के पीछे पूरी रणनीति उनके पिता व पूर्व कैबिनेट मिनिस्टर विनोद शर्मा ने बनाई और वो कांग्रेस को बांधने में सफल रहे। उनके राजनीतिक कौशल से कौन परिचित नहीं है। कभी एक समय भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले विनोद शर्मा ने साबित कर दिया कि सियासी गलियारों में आज भी कोई उनका सानी नहीं है और उनकी राजनीतिक धार आज भी उतनी ही तेज है।
कांग्रेस के दो विधायकों पर जजपा की तरफ से चुनावी एजेंट बनाए गए दिग्विजय चौटाला ने गलत तरीके से वोटिंग के आरोप लगाए थे और इसके बाद मामला निर्वाचन आयोग, दिल्ली पहुंच गया। वहां मामले को लेकर सुनवाई होनी थी, लेकिन इससे पहले महाराष्ट्र के राज्यसभा चुनाव में कुछ इसी तरह के मामले की सुनवाई पहले होनी निर्धारित हुई। देर शाम चुनाव आयोग ने दिग्विजय चौटाला द्वारा उठाई गई आपत्ति को क्लीयर कर दिया। इसके बाद जब हरियाणा में वोटों की गिनती शुरू हुई तो करीब सवा दो बजे कार्तिकेय के जीतने की जानकारी सामने आई। इसके बाद चुनाव आयोग के सीईओ अनुराग अग्रवाल ने भी इसको कंफर्म कर दिया। इसके बाद करीब ढ़ाई बजे कांग्रेस के विधायक बीबी बतरा ने साफ किया कि उनके उम्मीदवार तीसरे स्थान पर हैं और कार्तिकेय चुनाव जीत गए हैं। ऐसे में जहां 10 जून को शाम 5 बजे काउंटिंग शुरू होनी थी, करीब 12 बजकर 40 मिनट पर शुरू हुई।
कांग्रेस पार्टी के कई नेताओं ने वोटों की फाइनल गिनती से पहले ही सोशल मीडिया पर पार्टी के अजय माकन की जीत को लेकर पोस्ट डालनी शुरू कर दी। कांग्रेस के सोशल मीडिया अकाउंट पर भी इसी तरह की जानकार सामने आई। पार्टी के सीनियर नेताओं के अकाउंट पर निरंतर इस तरह की पोस्ट वायरल हुई, लेकिन जैसे ही फाइनल रिजल्ट आया तो कांग्रेस नेताओं की हालत पतली हो गई। पार्टी के नेताओं ने यह कह के पीछा छुड़ाया कि वोटों की काउंटिंग को लेकर उनको गलतफहमी हो गई थी।
इस बात में कोई संदेह नहीं है कि सीएम मनोहर लाल खुलकर कार्तिकेय शर्मा के साथ शुरू से ही थे। उन्होंने कार्तिकेय को बधाई दी और कहा कि वो प्रदेश के मुद्दों को राज्यसभा में उठाएंगे। ये प्रदेश के लिए गर्व की बात है कि वो हर समस्या व आमजन से जुड़े मुद्दों को वहां उठाएंगे। वहीं ये बता दें कि चुनाव जीतने के बाद खुद सीएम व कार्तिकेय दोनों एक साथ मीडिया से मुखातिब हुए। इस दौरान भाजपा के जीते हुए उम्मीदवार कृष्ण लाल पंवार भी मौजूद रहे। चुनाव जीतने के बाद सीएम ने उनको लड्डू खिलाकर मुंह भी मीठा करवाया।
10 जून को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि भाजपा उम्मीदवार व समर्थित निर्दलीय कार्तिकेय चुनाव जरूर जीतेंगे। इस दरम्यान कांग्रेस के दो विधायकों के खिलाफ वोटिंग के दौरान गोपनीयता लीक करने का मामला चुनाव आयोग में लंबित था, लेकिन जिस आत्मविश्वास से सीएम ने पहले ही जीत का दावा किया, उससे कहीं ने कहीं पहले ही साफ हो गया था कि कार्तिकेय चुनाव जीतेंगे।
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वहीं भाजपा की तरफ वोटिंग करने वाले कांग्रेस के विधायक कुलदीप बिश्नोई ने चुनाव में अहम भूमिका निभाई। ऐसे में जहां एक तरह से कांग्रेस से उनकी विदाई या कहें बर्खास्तगी तय मानी जा रही है तो वहीं दूसरी तरफ उनके भाजपा ज्वाइन करने की भी पूरी संभावनाएं हैं। सीएम मनोहर लाल ने एक सवाल के जवाब में कहा कि कुलदीप ने पहले ही अपनी अंतरात्मा की आवाज पर वोट करने को कह दिया था और वो खुलकर उनके साथ थे। अगर वह भाजपा ज्वाइन करने के इच्छुक हैं तो उनके लिए दरवाजे हर वक्त खुले हैं और वो पार्टी ज्वाइन कर सकते हैं।
10 जून को दिन में ही वोटिंग के दौरान कांग्रेस के विधायकों के वोट रद होने की चर्चा जमकर जारी थी। भाजपा को समर्थन देने वाले निर्दलीय रणधीर गोलन ने वोट डालने के बाद पोलिंग बूथ से बाहर निकलते कहा कि कांग्रेस के विधायकों के एक या दो वोट रद होने तय हैं। बाकी जो हुआ वो सबके सामने है और अंत में पार्टी का एक वोट रद पाया गया।
चौटाला फैमिली ने कार्तिकेय की जीत में बेहद अहम भूमिका निभाई। जजपा ने उनको शुरू में समर्थन दिया और पार्टी के सभी 10 विधायकों ने उनको पक्ष में वोटिंग की। पार्टी नेता व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला उनके साथ मजबूती से खड़े थे तो वहीं उनको भाई दिग्विजय चौटाला ने चुनाव में वोटिंग के दौरान चुनाव एजेंट की भूमिका निभाई और इस दौरान वो बेहद मजबूती से डटे दिखाई दिए। वहीं दूसरी तरफ बेशक दोनों भाईयों की चाचा व इनेलो विधायक अभय चौटाला से बेशक छत्तीस का आंकड़ा हो, लेकिन पूरे चौटाला परिवार ने कार्तिकेय के पक्ष में एकजुटता दिखाई। अभय चौटाला ने 9 जून को भी कार्तिकेय के पक्ष में वोटिंग की घोषणा कर दी थी और 10 जून को उनके पक्ष में वोटिंग की। इस तरह से चौटाला परिवार ने एकजुटता से उनके पक्ष में वोटिंग की।
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