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Haryana Tourism Department : टूरिस्ट कॉम्पलेक्स और रेस्टोरेंट्स को प्राइवेट कंपनियों को देंगे लीज पर

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  • शुरुआत में एथनिक इंडिया राई, फिर फरीदाबाद का मेगपी, गुरुग्राम का शमा, रोहतक का मायना और अंबाला का किंगफिशर टूरिस्ट कॉम्पलेक्स को लीज पर दिया जाएगा
  • घाटे में चल रहे टूरिज्म विभाग के कॉम्पलेक्स और रेस्टोरेंट्स को निजी हाथों में देने की तैयारी
  • मामले को लेकर चीफ सेक्रेटरी की अध्य़क्षता में हुई बैठक 

India News (इंडिया न्यूज़), Haryana Tourism Department, चंडीगढ़ : हरियाणा के टूरिज्म विभाग के अंडर आने वाले टूरिस्ट कॉम्पलेक्स व रेस्टोरेंट्स लंबे समय से खराब हालत में हैं। घाटे से उभरने के लिए तमाम प्रयास किए गए, लेकिन बात सिरे नहीं चढ़ पाई। विभाग का घाटा साल दर साल बढ़ता जा रहा है। इसी कड़ी में सामने आया है कि पर्यटन विभाग ने इसके अंडर आने वाले 5 टूरिस्ट कॉम्पलेक्स व परिसर को प्राइवेट प्लेयर्स को लीज पर देने का निर्णय लिया है और प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।

इसको लेकर पांच पर्यटन विभाग के पांच कॉम्पलेक्स का चयन कर लिया गया है लेकिन फिलहाल बतौर ट्रायल एक ही परिसर को नई प्रक्रिया के तहत लाने की प्लानिंग है। इसको लेकर प्राइवेट कंपनियों व होटल संचालकों से एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) मांगा गया है। जो भी कॉम्पलेक्स को लीज पर लेकर इनके संचालन में रुचि रखते हैं वो इसके लिए आवेदन कर सकते हैं। बता दें कि कोरोना दौर में भी पर्यटन को व्यापक पैमाने पर नुकसान पहुंचा था। उस वक्त कोरोना और आर्थिक तंगी के चलते निगम को 35 करोड़ रुपए का अनुदान सरकार ने दिया था।

एथनिक इंडिया कॉम्पलेक्स परिसर को बतौर ट्रायल दिया जाएगा लीज पर

निगम द्वारा शुरुआती चरण में पांच टूरिस्ट कॉम्पलेक्स को लीज पर देने की प्लानिंग है। इनमें सोनीपत के राई स्थित एथनिक इंडिया टूरिस्ट कॉम्पलेक्स को बतौर ट्रायल चुना गया है। इसके अलावा चार टूरिस्ट कॉम्पलेक्स अन्य जिलों में हैं जिनमें फरीदाबाद का मेगपी, गुरुग्राम का शमा, रोहतक का मायना और अंबाला स्थित किंगफिशर टूरिस्ट कॉम्पलेक्स शामिल है। इनको राई कांप्लेक्स के ट्रायल के बाद शामिल किया जाएगा। ये भी बता दें कि ये सभी टूरिस्ट कॉम्पलेक्स बेहद प्राइम लोकेशन पर हैं। ज्यादातर तो नेशनल हाईवे पर हैं जहां टूरिस्ट का ठीक ठाक आना-जाना है। हालांकि ये भी भविष्य के गर्भ में है कि क्या प्राइवेट प्लेयर व कंपनियां सही तरीके से चला पाएंगे।

चीफ सेक्रेटरी की अध्यक्षता में सेक्रेटरीज की बैठक

विभाग द्वारा प्राप्त जानकारी में सामने आया है कि टूरिस्ट कॉम्पलेक्स व रेस्टोरेंट्स को लीज पर देने की प्रक्रिया को लेकर चीफ सेक्रेटरी की अध्यक्षता में कमेटी ऑफ सेक्रेटरीज (सीओएसआई) की बैठक हो चुकी है। पिछले महीने 22 नवंबर को इस बैठक में तमाम पहलुओं पर चर्चा हुई और ये देखा जाएगा कि कितनी कंपनियां या प्राइवेट प्लेयर्स टूरिस्ट कॉम्पलेक्स को लीज पर लेने में रुचि रखते हैं। इसके बाद आवेदनों की छंटनी होगी।

11 प्लस 11 साल की लीज पर देने की प्लानिंग

विभाग से प्राप्त जानकारी में सामने आया है कि टूरिस्ट कॉम्पलेक्स को 11 साल प्लस 11 साल पैटर्न पर लीज पर देने की प्लानिंग है। इसमें उपरोक्त समय के लिए लाइसेंस व लीज पर दिया जाएगा। ये शॉर्ट टर्म लीज पैटर्न है। इसके अलावा 39 प्लस 39 साल पैटर्न पर लीज पर प्रॉपर्टी या होटल दिए जाते हैं। एथनिक इंडिया राई को 2008 पॉलिसी के तहत लीज पर दिया जाएगा। सरकार तमाम तकनीकी पहलुओं पर मंथन करने के बाद ही लीज पैटर्न को हरी झंडी देती है।

पर्यटन निगम के अंडर 47 टूरिस्ट प्लेस, बढ़ता घाटा चिंता का विषय

ये भी बता दें कि पर्यटन निगम की स्थापना सितंबर 1974 में कंपनी एक्ट के तहत की गई थी और शुरुआत में निगम के पास संसाधनों की कमी भी व्यापक स्तर पर थी लेकिन वर्तमान में पर्यटन निगम के 47 टूरिस्ट कॉम्पलेक्स हैं। सभी रेस्टोरेंट और बार का काम निगम के अंडर आता है। इसके अलावा पर्यटन निगम के पास कई जगह टूरिस्ट टैक्सी और पेट्रोल पंप का संचालन भी है।

इनके अलावा स्विमिंग पूल, हेल्थ क्लब और गोल्फ क्लब का संचालन भी किया जाता है। पर्यटन के पास कई होटल व परिसर ऐसे भी हैं जहां झील है जैसे करनाल और रोहतक आदि टूरिस्ट कॉम्पलेक्स। इनको लेकर बोटिंग का काम भी पर्यटन निगम के अधीन आता है। इतने सब होने के बावजूद निगम पर्यटकों को आकर्षित करने की किसी पुख्ता योजना को अमलीजामा नहीं पहना सका।

टूरिस्ट कॉम्पलेक्स के घाटे के पीछे नेता, अधिकारी भी कारण

टूरिज्म विभाग के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि यूं तो टूरिस्ट कॉम्पलेक्स के घाटे में रहने के पीछे कई कारण हैं। इनमें घाटे में होने का बड़ा कारण नेता, मंत्री, सांसद, विधायक और अधिकारी भी हैं। इन पर्यटन निगमों में काम करने वाले कर्मचारियों व अधिकारी भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं। आगे अधिकारी ने जानकारी दी कि ये पुरानी परंपरा रही है कि मंत्री, अफसर, सांसद और विधायक तथा उनके गनमैन, समर्थक व खास लोग इन कॉम्पलेक्स में निशुल्क भोजन का आनंद लेते हैं। रहने-सोने के लिए कमरे खुलवा लेते हैं। इस तरह की रवायत लंबे समय से चली आ रही है। इस दिशा में सुधार की जरूरत है।

टूरिस्ट कॉम्पलेक्स के घाटे के पीछे महंगे कमरे, स्टाफ की कमी, कोरोना भी कारण

विदेशी और भारतीय पर्यटकों को हरियाणा में लाने की खास योजनाएं भी विभाग द्वारा अभी धरातल पर उतर नहीं पाई हैं। टूरिस्ट कॉम्पलेक्स के घाटे के पीछे कई कारण हैं। टूरिस्ट कॉम्पलेक्स में एक रात्रि ठहराव का रेंट कम से कम 2 हजार से भी ज्यादा है और ये 4 हजार तक है। वहीं सुईट का रेंट कहीं ज्यादा है। इसके अलावा ज्यादातर टूरिस्ट कॉम्पलेक्स में उच्च स्तर की सुविधाएं भी नहीं हैं।

इसके अलावा कॉम्पलेक्स व रेस्टोरेंट्स में काम कर रहे स्टाफ का भी व्यापक पैमाने पर टोटा है। कोरोना दौर में तो टूरिज्म को बड़े पैमाने पर झटका लगा। ये भी बता दें कि साल 2020 में राज्य सरकार ने भारी नुकसान को देखते हुए राज्य में हरियाणा पर्यटन निगम के तहत सभी 47 होटल-रेस्तरां परिसरों को 20 से 25 साल की लीज अवधि के लिए निजी हाथों में देने का प्रस्ताव तैयार किया लेकिन उस वक्त पर्यटन निगम के अध्यक्ष रणधीर गोलन और पर्यटन मंत्री कंवर पाल गुर्जर के बीच मामले पर मतभेद हो गए।

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