इशिका ठाकुर, Haryana : अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के पावन पर्व पर ब्रह्मसरोवर के घाटों पर विभिन्न राज्यों की लोक संस्कृति के अलग-अलग रंग देखने को मिल रहे हैं। बता दें कि 19 नवंबर से कई राज्यों के कलाकार अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव पर अपने-अपने प्रदेशों की लोक कला के साथ जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। इस महोत्सव पर आने के लिए देश का प्रत्येक कलाकार आतुर रहता है। इस वर्ष कोरोना महामारी के बाद फिर से ब्रह्मसरोवर के तट पर लोक संस्कृति को देखने का अवसर मिला है।
उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक कला केन्द्र (एनजेडसीसी) की तरफ से विभिन्न राज्यों के कलाकार अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में पहुंच चुके है। यह कलाकार लगातार 6 दिसंबर तक अपनी लोक संस्कृति की छठा बिखेरने का काम करेंगे। अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव पर आज भी विभिन्न राज्यों की कला का संगम उमड़ा और विभिन्न राज्यों की कला के संगम के बीच कलाकार अपने-अपने राज्य की कला का बखूबी बखान किया।
कलाकारों का कहना है कि कोरोना काल में बेशक वह अपने घरों में कैद हो गए थे, मगर उन्होंने अपनी कला को फिर भी जिंदा रखा, कला के माध्यम से ही आज वह भी जिंदा हैं और अपनी कला को विदेशों तक पहुंचा रहे हैं। गीता महोत्सव में पहुंचे कलाकारों का कहना था कि अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव एक ऐसा जरिया है, जहां पर वह पहुंचकर अपनी कला का बखूबी मंचन करते हैं।
विभिन्न राज्यों की अलग-अलग कलाकारों ने कहा कि कोरोना काल में उन्होंने आनलाइन माध्यम से अपनी कला का प्रदर्शन करना जारी रखा। इससे उनको अपनी कला को निखारने का मौका भी मिला। अब वह फिर से गीता महोत्सव में पहुंचकर अपनी कला को आमजन को दिखाने का काम कर रहे हैं। इस दौरान एनजेडसीसी के अधिकारी भूपिंद्र सिंह, मोहिंद्र और रविंद्र शर्मा ने बताया कि महोत्सव में जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, वेस्ट बंगाल, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और आसाम आदि राज्यों के कलाकार अपने-अपने प्रदेशों की लोक संस्कृति को प्रदर्शित करने का काम कर रहे हैं।
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