India News Haryana (इंडिया न्यूज), High Court’s Decision : पति-पत्नी के एक मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है आरपीसी की धारा-125 के तहत अगर पत्नी सक्षम है और गुजारा भत्ता मांग रही है तो वह उसकी हकदार नहीं है। जी हां, भरण-पोषण के प्रावधान का दुरुपयोग कर सक्षम पत्नियों को घर पर आराम से बैठने की अनुमति किसी भी तरह से नहीं दी जा सकती।
जानकारी के अनुसार जींद निवासी एक पत्नी ने हाईकोर्ट में पारिवारिक न्यायालय के आदेश के खिलाफ याचिका डाली थी जिस पर हाईकोर्ट ने कहा कि महिला का पति फैक्टरी में काम करता है और उसकी आमदनी भी काफी कम है, ऐसे में उस पर बच्चों की भी बड़ी जिम्मेदारी है। कोर्ट ने पुन: कहा कि यह महिला अपना भरण पोषण खुद कर सकती है तो ऐसे में वह किस हक से गुजारा भत्ता मांग रही है।
हाईकोर्ट ने अपील पर फैसला सुनाते हुए कहा कि आईपीसी की धारा 125 का उद्देश्य पीड़ित पत्नियां जो अपना भरण-पोषण करने में पूरी तरह से असमर्थ हैं, उन्हें सहायता देनी है लेकिन जब पति काम करता है और अपने और अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करता है तो प्रावधान का दुरुपयोग कर सक्षम पत्नियों को घर पर बेकार बैठने की अनुमति किसी भी कीमत पर नहीं दी जा सकती और न ही वह गुजारा भत्ता पाने की हकदार होगी।
हाईकोर्ट ने कहा कि साक्ष्यों के आधार पर पारिवारिक न्यायालय इस निष्कर्ष पर पहुंचा था कि महिला ने 2014 में बिना किसी कारण के घर छोड़ दिया था। शादी के बाद उनके 2 बच्चे भी पैदा हुए जिनकी अभी तक पति तक पति ही देखभाल कर रहा है। यह भी मालूम हुआ है कि जब महिला ने घर छोड़ा तो बच्चे उस समय बच्चे 1 से तीन वर्ष की आयु के थे लेकिन उसने नाबालिग बच्चों की अभिरक्षा के लिए कोई आवेदन दायर नहीं किया था। कोर्ट ने साफ किया कि पत्नी का सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्य है कि वह अपना भरण-पोषण करे, क्योंकि वह सक्षम है।
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