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High Court’s Decision : मां व्यभिचारी तो भी नाबालिग बच्चे की कस्टडी का हक, जानें पूरा मामला

• LAST UPDATED : September 19, 2024
  • पति पक्ष का आरोप – महिला एक व्यभिचारी, उसका चरित्र सही नहीं

India News Haryana (इंडिया न्यूज), High Court’s Decision : मां व्यभिचारी है तो भी नाबालिग बच्चे की कस्टडी की हकदार होगी। जी हां, ऐसे ही मामले में हरियाणा-पंजाब की हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है। बता दें कि याचिकाकर्ता ने पिहोवा की फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का रुख किया था। याचिका में बताया था कि उस के 2 बच्चे हैं जो पति-पत्नी में विवाद के चलते दादा-दादी के पास रहते हैं। पति पक्ष का साफ आरोप था कि महिला एक व्यभिचारी है। उसका चरित्र सही नहीं है।

लेकिन पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया कि मां का व्यभिचारी होना नाबालिग बच्चे की कस्टडी लेने में कोई बाधा नहीं है, क्योंकि कोई भी महिला बच्चों को मातृ प्रेम देने में सक्षम है। हाईकोर्ट ने बच्चों की कस्टडी मां को सौंपने का आदेश दिया और फैमिली कोर्ट में नए सिरे से कस्टडी पर निर्णय लेने के लिए भेज दिया।

High Court’s Decision : फैमिली कोर्ट पिहोवा के आदेश को दी थी चुनाैती

मामले पर नजर डालें तो उक्त महिला ने पिहोवा फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी जिसके तहत उसे उसके दोनों बच्चों (3 और 6 वर्ष) की कस्टडी देने से इन्कार किया गया था। दंपति 2016 से अलग रह रहे हैं। तब से बच्चे अपने पिता और दादा-दादी के पास ही रह रहे हैं।

महिला के अधिवक्ता ने यह भी दलील दी थी कि बच्चों के साथ उनके दादा-दादी दुर्व्यवहार करते हैं। महिला ने साफ किया कि वह व्यभिचारी नहीं है। हाईकोर्ट ने फिलहाल बच्चों के पिता और दादा-दादी को निर्देश दिया कि वे फैमिली कोर्ट के नए आदेश तक बच्चों की कस्टडी मां को सौंप दें।

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