पनीपत के नगर निगम के नक्शे में वार्ड-24 की चार कालोनियों की जमीन पर 60 मीटर चौड़ा प्रस्तावित वेस्टर्न पेरिफेरल रोड गुजर रहा है। इसके साथ ही 50 मीटर चौड़ी ग्रीन बेल्ट का प्रोजेक्ट भी प्रस्तावित है। इस वजह से इन चार कालोनियों के करीब तीन हजार घरों की रजिस्ट्री रुक गई है। यहां रह रहे परिवारों को भय है कि वेस्टर्न पेरिफेरल रोड के लिए यदि उनके मकान गिराए गए तो वे कहां जाएंगे। लोगो की चेतावनी करेंगे धरना- प्रदर्शन।
चार कालोनी के लोगों ने नगर निगम और जिला प्रशासन को 30 अगस्त तक का अल्टीमेटम दिया था । उनकी मांग है कि या तो सरकार व प्रशासन उनके एरिया को वैध कर उनकी रजिस्ट्री करवाए नहीं तो वे अपने बच्चों, महिलाओं व बुजुर्गों समेत लघु सचिवालय के बाहर रोड जाम कर धरना प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे। गौरतलब है कि कुलदीप नगर, अर्जुन नगर, भारत नगर और गोपाल कॉलोनी के लोगों को वेस्टर्न फेरिफेरल रोड के वर्ष 2015 से प्रस्तावित होने का पता तब चला जब वे लोग अपने घरों की रजिस्ट्री कराने पहुंचे। उन्हें बताया कि प्रस्तावित हाईवे की वजह से उनके मकानों की रजिस्ट्री नहीं हो सकती। इन कालोनियों के खसरा नंबर भी अवैध घोषित कर दिए गए हैं। जबकि इससे पहले इन्हीं खसरे नंबर के आधार पर नगर निगम हाउस टैक्स वसूलता आ रहा है। इनकी प्रॉपर्टी आईडी तक बनाई गईं। इन चारों कालोनियों के 90 प्रतिशत मकान सिर्फ एग्रीमेंट पर खरीदे गए हैं।
कालोनियों के लोग आयुक्त, ग्रामीण विधायक और सीनियर डिप्टी मेयर से गुहार लगाने पहुंचे। इन कालोनियों के लोग वीरवार को ग्रामीण विधायक महिपाल ढांडा, निगम आयुक्त आरके सिंह और सीनियर डिप्टी मेयर से मिले और उनके मकानों को बचाने की गुहार लगाई। विधायक मिल नहीं पाए, आयुक्त ने उनकी शिकायत लेकर जांच करवाने का आश्वासन दिया। सीनियर डिप्टी मेयर ने सीएम के संज्ञान में मामला लाकर कार्रवाई का आश्वासन दिया । लोगों का सवाल है कि अगर उनकी कॉलोनी अवैध थीं तो निगम ने यहां सड़क, पानी, बिजली की सुविधाएं कैसे दे दीं। प्रॉपर्टी टैक्स कैसे वसूला और प्रॉपर्टी आईडी कैसे बन रही हैं। बिजली मीटर और खंभे तक कैसे लगाए गए। जब वर्ष 2018 में 79 कॉलोनियों के साथ इन चार कालोनियों को नियमित कर दिया था तो अब अवैध कैसे हो गईं। नगर निगम के रिकार्ड में प्रस्तावित हाईवे का नक्शा 2015 का बना हुआ है। इस डिजिटल नक्शे में कालोनियों खसरे नंबर वाली जगह पर प्रोजेक्ट को दर्शाया गया है। इस नक्शे पर निगम के जेई, एमई और एक्सईएन तक के हस्ताक्षर हैं, लेकिन निगम आयुक्त के हस्ताक्षर नहीं है।