India News (इंडिया न्यूज़), Hindi language in Courts, चंडीगढ़ : 1 नवंबर, 2023 को हरियाणा की स्थापना हुए पूरे 57 वर्ष हो गए हैं। भारतीय संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित पंजाब पुनर्गठन अधिनियम (कानून), 1966 को 18 सितम्बर 1966 को देश के तत्कालीन राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त हुई थी, हालांकि उक्त कानून की धारा 2 (बी) के अनुसार वह 1 नवंबर, 1966 की तारीख से लागू हुआ एवं उसी दिन से तत्कालीन संयुक्त पंजाब राज्य से अलग हुआ पृथक हरियाणा प्रदेश अस्तित्व में आया। आज से करीब 19 वर्ष पूर्व दिसम्बर, 2004 प्रदेश की तत्कालीन ओपी चौटाला सरकार द्वारा प्रदेश विधानसभा मार्फत हरियाणा राजभाषा अधिनियम, 1969 में संशोधन करवाकर पंजाबी भाषा को हरियाणा की दूसरी राजभाषा का दर्जा प्रदान किया गया था। यह संशोधन कानून 15 दिसम्बर 2004 से लागू तो हो गया था।
जहां तक प्रदेश में स्थापित जिला/सेशंस एवं अन्य अधीनस्थ न्यायालयों (मजिस्ट्रेट अदालतों) के दैनिक कामकाज का विषय है तो आज से साढ़े तीन वर्ष पूर्व 11 मई, 2020 को हरियाणा सरकार के गजट में हरियाणा राजभाषा (संशोधन) कानून, 2020 को नोटिफाई (अधिसूचित) किया गया था जिसे मार्च, 2020 में हरियाणा विधानसभा द्वारा विधेयक के तौर पर पारित किया गया था एवं 31 मार्च, 2020 को उसे हरियाणा के तत्कालीन राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य की स्वीकृति प्राप्त हुई थी।
उपरोक्त संशोधन कानून द्वारा हरियाणा राजभाषा अधिनियम, 1969 में एक नई धारा 3 ए जोड़कर हरियाणा प्रदेश के सभी सिविल (दीवानी) और क्रिमिनल (दंडनीय) न्यायालयों, अदालतों, जो पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के अधीन हैं, सभी राजस्व (रेवेन्यू ), रेंट (किराया) अदालतों एवं राज्य सरकार द्वारा गठित अन्य सभी प्रकार की कोर्टों और ट्रिब्यूनलों के आधिकारिक काम-काज में हिंदी भाषा का प्रयोग करने सम्बन्धी प्रावधान किया गया। हालांकि उक्त संशोधन कानून 11 मई, 2020 से नहीं परन्तु इसकी धारा 1 (2) के अनुसार वह उस तारीख से लागू होगा जो कि हरियाणा सरकार द्वारा निर्धारित कर एक अलग नोटिफिकेशन जारी कर अधिसूचित की जाएगी। गत वर्ष दिसम्बर, 2022 में प्रदेश के सूचना, लोक सम्पर्क, भाषा और संस्कृति विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव अनुराग अग्रवाल, आईएएस द्वारा उपरोक्त राजभाषा संशोधन कानून की धारा 1 (2) में उक्त संशोधन कानून लागू करने की उक्त तारीख 1 अप्रैल 2023 निर्धारित की गई।
बहरहाल, संशोधन कानून में यह भी उल्लेख है कि उसके लागू होने की तिथि के 6 माह के भीतर राज्य सरकार द्वारा सभी प्रदेश के सभी उक्त न्यायालयों के स्टाफ को इस सम्बन्ध में आवश्यक अवसंरचना (संसाधन) और प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। इस प्रकार राज्य सरकार द्वारा नियत एवं अधिसूचित की गयी तिथि अर्थात आज से 7 महीने पूर्व 1 अप्रैल 2023 से उक्त संशोधन कानून लागू तो हो गया है परन्तु प्रदेश सरकार द्वारा अदालतों के जजों/अधिकारियों और कर्मचारियों को इंफ्रास्ट्रक्चर और ट्रेनिंग आदि उपलब्ध करवाने के बाद ही यह वास्तविक और जमीनी तौर पर क्रियानवित हो पायेगा जिससे प्रदेश में स्थापित विभिन्न अदालतों का दैनिक कामकाज हिन्दी? भाषा में संभव हो सकेगा।
एक्सपर्ट का कहना है कि प्रदेश में वकीलों का एक वर्ग ऐसा भी है जो जिला एवं अधीनस्थ अदालतों में हिंदी भाषा के प्रयोग सम्बन्धी कानून बनने से सहज नहीं है एवं इसका पुरजोर विरोध करता रहा है, इसलिए उक्त कानून को पहले वर्ष 2020 में सुप्रीम कोर्ट में और फिर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी हालांकि दोनों अदालतों ने उक्त कानून को लागू करने पर स्टे नहीं दिया. जून 2020 को भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायधीश शरद बोबडे ने हालांकि इस संबंध में याचिका के दौरान मौखिक तौर पर कथित टिप्पणी की थी कि अदालतों में हिंदी भाषा लागू करने में किसी को ऐतराज नहीं होना चाहिए क्योंकि हमारे देश में अधिकांश लोग अंग्रेजी भाषा में सहज नहीं है।
जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट- पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट एवं कानूनी विश्लेषक हेमंत कुमार ने आधिकारिक जानकारी एकत्रित कर बताया कि आज से ठीक 55 वर्ष पूर्व 31 अकतूबर 1968 को प्रदेश की तत्कालीन बंसी लाल सरकार द्वारा हरियाणा राजभाषा अध्यादेश, 1968 मार्फत 26 जनवरी 1969 से हरियाणा में हिंदी को? प्रदेश की आधिकारिक भाषा ( राजभाषा) का दर्जा प्रदान करने का कानूनी प्रावधान किया गया था। फरवरी, 1969 में हरियाणा विधानसभा द्वारा उपरोक्त अध्यादेश को विधेयक के तौर पर पारित किया गया जिसके बाद 23 फरवरी 1969 को उसे तत्कालीन राज्यपाल की स्वीकृति प्राप्त हुई एवं 5 मार्च 1969 हरियाणा राजभाषा अधिनियम, 1969 के रूप में उसकी गजट नोटिफिकेशन प्रकशित कर दी गई।
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