India News (इंडिया न्यूज़), Hooda Attacks E-Tendering, चंडीगढ़ : प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने पर पंचायतों को ठेकेदारों के हवाले करने वाली व भ्रष्टाचार की जननी ई-टेंडरिंग व्यवस्था को खत्म किया जाएगा। साथ ही पंचायती राज में विधायकों के हस्तक्षेप और राइट टू रिकॉल के प्रावधान वापस लिए जाएंगे, ताकि पंचायतों की स्वतंत्रता सुनिश्चित हो सके। ये ऐलान किया है पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने।
हुड्डा टोहाना में प्रदेश के तमाम सरपंचों द्वारा बुलाई पंचायती राज अधिकार बचाओ रैली को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। रैली में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष चौधरी उदयभान ने भी विशेष तौर पर शिरकत की। इस मौके पर पहुंचे तमाम पंचायत प्रतिनिधियों और हजारों की तादाद में मौजूद जनता ने हरियाणा की सत्ता से बीजेपी-जेजेपी को उखाड़कर फेंकने की शपथ ली।
हुड्डा ने कहा कि ग्राम पंचायत छोटी नहीं बल्कि असली सरकार होती है। महात्मा गांधी ने ग्राम स्वराज की परिकल्पना की थी, जिसको कांग्रेस ने अमलीजामा पहनाया। इसके लिए जिस वक्त संविधान 73 और 74वां संशोधन हुआ उस वक्त वह बतौर सांसद लोकसभा में मौजूद थे। इस संशोधन में पंचायतों को पूरी शक्ति देने का प्रावधान किया गया था। लेकिन बीजेपी-जेजेपी ने ई-टेंडरिंग, विधायकों के हस्तक्षेप व राइट टू रिकॉल जैसी व्यवस्था को लागू करके इन अधिकारों पर कुठाराघात करने का काम किया। अगर सरकार राइट टू रिकॉल लाना चाहती है तो इसे सबसे पहले विधायक व सांसदों पर लागू करना चाहिए।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि बीजेपी-जेजेपी लोकतांत्रिक संस्थाओं में विश्वास नहीं रखती और सब कुछ ठेकेदारों के हवाले करना चाहती है, ताकि वह दोनों हाथों से जनता के पैसों को लूट सके और किसी को जवाब भी न देना पड़े। सच्चाई यह है कि गांवों के विकास के लिए जो कार्य चुनी हुई पंचायतें कर सकती हैं वह कोई ठेकेदार या अधिकारी नहीं कर सकता।
उन्होंने बताया कि 2005 में जब प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनी तो ज्यादातर गांव में कच्ची गलियां थीं, गांव की सड़कें और पगडंडिया कच्ची थीं। लेकिन कांग्रेस ने पंचायतों पर भरोसा किया और बुनियादी ढांचे का सुधार करने के लिए 20,000 करोड़ रुपए का खर्च किया। साथ ही ग्रामीण विकास आयोग और वित्त आयोग बनाया गया।
वित्त आयोग की सिफारिश से पहली बार पंचायत को सीधा 12,000 करोड़ रुपए भेजे गए, इसका नतीजा यह हुआ कि 2014 तक प्रदेश के हर गांव में गलियां, सड़कें, पगडंडी पक्की थीं। गांव में सीमेंटेड सड़कें बनाने की शुररुआत कांग्रेस कार्यकाल में ही हुई थी। आदर्श गांव विकसित करने की पहल भी तभी हुई थी। इसका नतीजा यह हुआ कि हरियाणा का ग्रामीण विकास पूरे देश के लिए एक आदर्श मॉडल की तरह उभरा, जिससे बाकी राज्यों ने भी सीख ली।
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