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Haryana Assembly Election Results : कम समय में नायब सैनी ने कैसे पलटी बाज़ी

  • नायब सिंह सैनी ने उस समय में पार्टी को बड़ी जीत दिलाई है, जब प्रदेश में सत्ता विरोधी लहर थी
  • हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी ने उत्तराखंड जैसी ही रणनीति अपनाई, बदलाव की रणनीति का भी हुआ असर
  • छोटे से कार्यकाल के दौरान नायब सिंह सैनी द्वारा कई फैसलों ने बदला माहौल

India News Haryana (इंडिया न्यूज), Haryana Assembly Election Results :  हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे ने भारतीय जनता पार्टी को उत्साहित करने वाला परिणाम दिया है। तमाम एग्जिट पोल भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से बाहर करते दिख रहे थे, लेकिन जनादेश पार्टी के पक्ष में आता दिख रहा है। प्रदेश में वोटों की गिनती की प्रक्रिया लगभग आखिरी दौर में पहुंचती दिख रही है। चुनाव परिणामों में भारतीय जनता पार्टी लगातार अपनी बढ़त बनाते दिख रही है। पार्टी 90 विधानसभा सीटों में से लगभग 48 सीट पर जीत हासिल की है। वहीं, कांग्रेस एग्जिट पोल परिणाम में तो जीत दर्ज करती दिखी थी, लेकिन जनादेश उनके पक्ष में नहीं आया है। कांग्रेस ने 37 सीटों पर जीत नरज की वहीं इनेलो-बसपा गठबंधन 2 और अन्य 4 सीटों पर आचार निर्दलीयों ने जीत दर्ज की।

Haryana Assembly Election Results : नायब सैनी के इन फैसलों ने बदला माहौल

अपने छोटे से कार्यकाल के दौरान नायब सिंह सैनी द्वारा कई फैसले लिए गए। 1,20,000 कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने का ऐलान हो चाहे 24 फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की घोषणा, इसके अलावा, महिलाओं को 500 रुपए में गैस सिलेंडर देने की घोषणा भी काम करती हुई नजर आई। ऐन वक्त पर पार्टी ने प्रदेश में सीएम चेहरा बदला. इससे भी फायदा मिलता नजर आया। सैनी सरकार द्वारा सरपंचों को 21 लाख रुपए तक का काम बिना ईटेंडिंग के करवाने को हरी झंडी दिखाई गई। इससे पहले यह सीमा 5 लाख निर्धारित की गई थी, हालांकि, इस पर भी विरोध देखने को मिला था।

खट्टर को हटाना कर गया काम

नायबसिंह सैनी द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान 16 अगस्त को 5 लाख किसानों के खाते में 525 करोड रुपए भेजे गए। गलियारे में यह भी चर्चा हो रही है कि पार्टी द्वारा मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने का भी फायदा हुआ है। यही कारण है कि प्रचार के दौरान भाजपा द्वारा खट्टर को पोस्टरों में जगह नहीं दी गई थी। शुरू से ही सैनी को सीएम चेहरा घोषित किया जा रहा था, जिसका अच्छा खासा सकारात्मक असर देखने को मिला है।

धामी फैक्टर हरियाणा में भी कर गया काम

उल्लेखनीय है कि हरियाणा विधानसभा चुनाव परिणाम ने भारतीय जनता पार्टी की बदली रणनीति पर मुहर लगा दी है। चर्चा उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान हुए बदलावों की हो रही है। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 की घोषणा से करीब 6 माह पहले प्रदेश के नेतृत्व में बदलाव किया गया था। सीएम तीरथ सिंह रावत को हटाकर पार्टी ने पुष्कर सिंह धामी जैसे युवा चेहरे को प्रदेश का नेतृत्व दे दिया गया। उत्तराखंड के चुनावी मैदान में उतरकर समान नागरिक संहिता लागू करने का ऐसा दावा किया। इसके बाद पार्टी के खिलाफ बना रहे एंटी इनकंबैंसी फैक्टर को मात दे दी। पार्टी ने 70 में से 47 सीटों पर जीत दर्ज कर लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की।

पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री बनाए गए

बता दें कि उत्तराखंड में 2017 से 2022 के बीच तीन मुख्यमंत्री बदले गए, पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत सीएम बने। इसके बाद तीरथ सिंह रावत को सीएम बनाया गया। जुलाई 2021 में भाजपा को उन्हें भी हटाना पड़ा। इसके बाद पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री बनाए गए। 3 जुलाई 2021 को उन्होंने उत्तराखंड के 10वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। इसके साथ ही पार्टी ने 45 साल के युवा चेहरे पर भरोसा दिखाकर प्रभावित कर दिया के एक अलग नेतृत्व को बढ़ावा दिया जा रहा है।

महज छह माह से कम समय में प्रदेश में अपने कार्यों से लोगों का भरोसा जीता

उत्तराखंड में 2021 में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ प्रदेश में एंटी इनकंबैंसी फैक्टर बढ़ता दिख रहा था। सरकार के खिलाफ नाराजगी थी। ऐसे में पुष्कर सिंह धामी ने महज छह माह से कम समय में प्रदेश में अपने कार्यों से लोगों का भरोसा जीता। पार्टी ने 47 सीटों पर जीत दर्ज की। धामी फैक्टर का असर यह रहा कि 2022 के विधानसभा चुनाव में एंट्री इनकंबैंसी फैक्टर के बाद भी भाजपा ने 44.30 फीसदी वोट शेयर के साथ 47 सीटों पर जीत दर्ज की। कांग्रेस 37.9 फीसदी वोटों के साथ 19 सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब रही। अन्य के खाते में दो सीटें गई थी। पार्टी की नेतृत्व परिवर्तन की रणनीति वहां खासी कामयाब रही। हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी ने उत्तराखंड जैसी ही रणनीति अपनाई।

नेतृत्व परिवर्तन का असर सीधे तौर पर दिख रहा

हरियाणा प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष के तौर पर वह काम कर रहे थे। इसी दौरान उन्हें मुख्यमंत्री पद सौंप दिया गया। उन्होंने अपनी रणनीति से उस प्रदेश में भाजपा को जीत दिला दी, जहां बदलाव तय माना जा रहा था। तमाम राजनीतिक विशेषज्ञ मानकर चल रहे थे कि भाजपा हरियाणा हारने वाली है। नायब सिंह सैनी ने उस समय में पार्टी को बड़ी जीत दिलाई है, जब प्रदेश में सत्ता विरोधी लहर थी।

बता दें कि वर्ष 2014 में मोदी लहर के बीच भाजपा ने 33.20 फीसदी वोट शेयर के साथ 47 सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने 36.49 फीसदी वोट शेयर के साथ 40 सीटों पर जीत मिली थी। इस बार नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में पार्टी अब तक 39.67 वोट परसेंट के साथ 48 सीटों पर बढ़त बनती दिख रही है।

हर कोई बीजेपी के इस प्रदर्शन पर हैरान

नेतृत्व परिवर्तन का असर सीधे तौर पर दिखा है। भाजपा को पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने जा रही है। हर कोई बीजेपी के इस प्रदर्शन पर हैरान भी है। हालांकि, इसका श्री नायब सिंह सैनी को मिलता नजर आया. केवल 6 महीने से कम के कार्यकाल में उन्होंने भाजपा के खिलाफ चल रही सत्ता विरोधी लहर को कम करने का काम किया. प्रदेश में चल रहे किसान, पहलवान और जवान के स्थानीय मुद्दों को धूमिल करने में उन्होंने काफी हद तक सफलता प्राप्त की. भाजपा स्थानीय मुद्दों पर चुनाव लड़ रही थी। खास तौर पर नौकरियों के मुद्दे पर वह कांग्रेस को धता बताती नजर आई।

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Anurekha Lambra

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