इंडिया न्यूज, पंचकूला :
Hpsc Recruitment Fraud Case : हरियाणा के युवाओं का सपना होता है, कि उन्हें सरकार नौकरी मिले, जिसके लिए युवा जोर शोर से तैयारी भी करते हैं, लेेकिन उसके बाद भी उन्हें नौकरी नहीं मिल पाती है। क्यों कि असल में उनके हिस्से की नौकरी तो करोडों रुपए में बिक चुकी होती है। ये सारा गेम यहां हरियाणा स्टॉफ सलेक्शन कमीशन में डिप्टी सैक्रेटरी अनिल नागर और एप्लीकेशन पोर्टल से लेकर पेपर चैकिंग, कोड बनाने वाली कंपनी के कारीदें करते थे।
इस मामलें का भांडाफोड होने के बाद अब, मंगलवार को एचपीएससी के पूर्व डिप्टी सैक्रेटरी सहित तीन आरोपियों को पंचकूला कोर्ट में पेश किया गया। वहीं इन तीनों से अभी तक की हुई पूछताछ में कई अहम खुलासे हुए हैं, जिसमें सामने आया है, कि पिछले कुछ महीनों में इन आरोपियों की दो एचसीएस अधिकारियों की सीटों, से लेकर 9 डेंटल सर्जन की सीटों के लिए डीलिंग हुई थी। जबकि बाकी अन्य भर्तियों में हुए भ्रष्ट्राचार पर विजिलेंस की टीम जांच कर रही है।
असल में एचपीएससी के पूर्व डिप्टी सैक्रेटरी अनिल नागर, अशिवनी और नवीन कुमार को चार दिनों के पुलिस रिमांड के बाद मंगलवार को पंचकूला कोर्ट में पेश किया गया। जहां विजिलेंस की ओर से ओर पुलिस रिमांड की मांग की गई, लेकिन कोर्ट ने बचाव पक्ष की दलीलों को सुनते हुए इन्हें न्याययिक हिरासत में अंबाला जेल में भेज दिया है।
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विजिलेंस के सूत्रों के अनुसार और कोर्ट में दिए हल्फनामे के अनुसार एचसीएच अधिकारी अनिल नागर की ओर से कबूल किया गया है, कि वो भर्तियों में करपशन करने में शामिल था। यहां पोस्टिंग होने के बाद नागर के कार्यकाल में हुई बाकी भर्तियों की भी स्कैनिंग की जा रही है। देखा जा रहा है, कि किस किस भर्ती में उसका क्या रोल रहा है। उसने कबूल किया है, कि उसने पेपर बनाने वाली, पेपर लेने वाली, चैकिंग करने वाली और पोर्टल को मेंटेन करने वाली कंपनी के साथ उसकी सांठगांठ थी।
वो उसके कर्मचारियों और अधिकारियों के साथ मिलकर अपने मन के मुताबिक ही सारा सिलेक्शन करता था। क्यों कि पेपर देने वालों को पहले ही कहा जाता था, कि वो अपने पेपर में 30 से 35 उन सवालों का सही से जवाब दें, जो उन्हें आता हो। उसके बाद वो खाली पेपर छोड़कर आए, जिसके बाद एजेंसी के कारीदें उसे आनर की के जरिए भर देते थे। ऐसे में जिन लोगों से डील हुई होती है, उनके पेपर में नंबर ज्यादा आते हैं। ऐसे में इंटरव्यू में कम नंबर आने का उन पर कोई असर ही नहीं पडता है।
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विजिलेंस की जांच में सामने आया है, कि मोटे तौर पर इन लोगों की ओर से करीब 3 से साढे तीन करोड रुपए लोगों से नौकरी के नाम पर वसूले गए हैं। जिसमें लोगों से रुपए लेकर उनके पेपर सही तरीके से करवाए जाते थे। ऐसे में ये भी बडी बात सामने आई हैै, कि हाल ही में हुई डेंटल सर्जन की भर्ती में 9 डेंटज सर्जन कैंडीडेट्स के साथ डील की गई थी। उन से रुपए लिए गए थे, इसके अलावा कुछ समय पहले एचसीएस पेपर मामले में दो कैंडीडेट्स से डील हुई थी।
इसके अलावा एक बडी भर्ती पर के बारें में भी कुछ जानकारी हासिल हुई है, जिसे लेकर एचपीएससी के अधिकारियों को बता दिया गया है, ऐसे में निर्णय सरकार पर छोडा गया हैै, कि वो इस मामलेें में क्या एक्शन लें। क्यों कि रिश्वत देने वाले कैंडीडेट्स की नौकरी तो जाएगी ही जाएगी। इसके अलावा बाकी जिन कैंडीडेट्स ने इमानदारी के साथ ये पेपर दिए हैं। उन्हें कोई नुकसान ना हो। इस बारे में भी सोचा जा रहा है।
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मंगलवार को जब नागर और बाकी आरोपियों को पंचकूला कोर्ट में पेश किया गया, तो यहां विजिलेंस की ओर से कहा गया, कि वो हरियाणा के अलग अलग जिलों में आरोपियों को लेकर जाना चाहते हैं। हरियाणा के कई जिलों से कैंडिडेट के साथ डीलिंग की गई थी, जिस पर बचाव पक्ष की ओर से कहा गया, कि अभी तक के पुलिस रिमांड के दौरान आरोपियों को पंचकूला से बाहर नहीं ले जाया गया है। जिस पर कोर्ट ने विजिलेंस के अधिकारियों को डॉक्यूमेंट्स दिखाने के लिए कहा गया, जिस पर वो समय पर फाइल नहीं दिखा पाए, ऐसे में कोर्ट ने विजिलेंस के अधिकारियों को फटकार भी लगाई। वहीं आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
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असल में हरियाणा विजिलेंस के पास हिसार के रहने वाले नरेंद्र सिंह ने विजिलेंस के पास शिकायत दी थी। बताया गया , कि हरियाणा में एचपीएससी में नौकरी लगवाने के नाम पर बडा खेल हाे रहा है। एचपीएससी के लिए पेपर बनाने वाली, पोर्टल हैंडल करने वाली, पेपर चैक करने वाली जसबीर सिंह सॉफ्टवेयर एजेंसी और उसके कारीदें भर्ती के नाम पर धांधली कर रहे हैं। जिसमें नरेंद्र और उसके तीन दोस्तों ने इस बारें में सबूतों को जुटाया।
ये एजेंसी वर्ष 2012- 2013से एचपीएससी के लिए काम कर रही है, लेकिन वर्ष 2021 में इसकी नीयत पर शक हुआ, तो इसे बदल दिया गया। जिसके बाद ये एजेंसी दोबारा से जुगाड लगाकर काम लेने लगी, अलग अलग कई कंपनियों का नाम रखा गया और काम लिया गया।
नरेंद्र अनुसार उन्होंने इस कंपनी के कर्मचारी नवीन से कॉन्टेक्ट किया। जिसके बाद नरेंद्र, सोमबीर, बृजेश ने नवीन के कहने पर डेंटल सर्जन के कैडीडेट को तलाश करना शुरू किया। दो कैडीडेट की तलाश की गई, प्लानिंग के अनुसार पेपर में 30- 35 सवालाें का जवाब दिया गया, बाकी खाली छोड दिया गया। जिसके बाद एक कैंडीडेट को पास करने और दूसरे को फेल करने की बात हुई। क्यों कि एक ने 30 सवाल सही किए, तो दूसरे के ज्यादा गलत जवाब थे, ऐसे में पेपर को सही करने के बाद वो भी वो मैरीट लिस्ट में नहीं आ रहा था।
तय किए गए एक कैडींडेट के लिए 35 लाख रुपए की बात हुई, जिसके बाद सोमबीर और नवीन ने आपस में बात की। जिसके बाद 20 लाख रुपए की रिश्वत को नवीन ने अशिवनी और एचपीएससी के लिए काम करने वाली एजेंसी के मालिक जसबीर बलहारा के मालिक के नाम पर लिए। ये रुपए लेते हुए विजिलेंस ने उसे रेड हैंड सेक्टर 5से पकडा था। जिसके बाद उसने बताया कि इस पूरे मामलें में अश्विनी ही एचपीएससी के लिए रिजल्ट तैयार करता था, लिहाजा उसका भी इसमें हिस्सा था।
– जांच के दौरान सामने आया था, कि डैंटल सर्जन कैंडीडेट्स के लिए रुपए लिए गए थे। ऐसे में इन सभी के रोलनंबर पहले ही आ गए थे। रिकॉर्ड के अनुसार रोलनंबर25723, 27420, 24388, 24919, 21438, 21925, 24028, 25494 के कैंडीडेट्स से डीलिंग की गई थी। अब इन कैडीडेट्स पर विजिलेंस जांच की तलवार लटक गई है। क्यों कि इनकी ओर से भी नौकरी लेने के लिए रुपए दिए गए हैं। वहीं एचसीएस के प्री पेपर में 20 – 20 लाख रुपए लेकर पेपर पास करवाया गया था।
इसके अलावा इन आरोपियों ने 40 स्टॉफ नर्स, 4 वीएलडीए, करीब 15-16 एएनएम, के एवज में वर्ष 2021 में करीब 10- 10 लाख रुपए लिए गए थे। वहीं सबसे बडी बात यह है, कि इस पूरे नैक्सेस में शामिल एचसीएस अधिकारी अनिल नागर की आेर से जो रिश्वत के रुपए लिए गए थे, वो उन्होंने अपने एक दोस्त सतीश गर्ग के घर से बरामद किए हैं। जिसमें सेक्टर 4 स्थित मकान नंबर 993 से 66 लाख रुपए बरामद किए गए थे।
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सोमवार को भी विजिलेंस की टीम। रिमांड अवधी के द्वौरान एचसीएस अधिकारी अनिल नागर को पंचकूला सेक्टर 4 स्थित हरियाणा लोक सेवा आयोग पहुंची थी। भर्ती फर्जीवाड़े में संलिप्त आयोग के पूर्व उपसचिव अधिकारी अनिल नागर सहित अन्य आरोपियों को लेकर टीम पहुंची थी। एचपीएससी कार्यालय से विजिलेंस की टीम ने दस्तावेज अपने कब्जे में लिए थे।
हरियाणा लोक सेवा आयोग (एचपीएससी) के एक उप-सचिव और दो अन्य को डेंटल सर्जन भर्ती परीक्षा में शामिल हुए उम्मीदवारों के अंकों में हेराफेरी करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। एचपीएससी ने 26 सितंबर को यह परीक्षा आयोजित की थी। 17 नवंबर को इस मामले में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद छापेमारी की गई और भिवानी जिले के नवीन कुमार को 20 लाख रुपये नकद लेते रंगे हाथों पकड़ा गया था।
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सतर्कता अधिकारियों ने झज्जर जिले के निवासी अश्विनी शर्मा को गिरफ्तार किया था, और उसके घर की तलाशी लेने पर 1.07 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की गई थी। सतर्कता ब्यूरो ने हरियाणा लोक सेवा आयोग में उप-सचिव अनिल नागर को भी गिरफ्तार किया था।
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