कांग्रेस को छोडऩे का दुख किया जनता के सामने बयां
India News (इंडिया न्यूज़), Former Union Minister Birendra Singh, चंडीगढ़ : जींद। पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने कहा कि अगर हरियाणा में भाजपा और जजपा का गठबंधन रहेगा तो बीरेंद्र सिंह पार्टी में नही रहेंगे। अगर उनका फैसला किसान और कमेरे वर्ग के साथ हो तो उनका साथ देना। अगर नही हो तो उनका साथ छोड़ देना। अगर भाजपा को गलतफहमी हो कि जेजेपी उनको वोट दिलवा देगी तो इस गलतफहमी को दूर कर लेना। क्योंकि जब इन्न लोगां नै अपणी ही वोट नी मिलणी तो ताम्हनै के दिलवावेगी।
पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह सोमवार को एकलव्य स्टेडियम में आयोजित मेरी आवाज सुनो कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। बीरेंद्र सिंह ने बिना दुष्यंत चौटाला का नाम लिए कहा कि जेजेपी जब हरियाणा में आई थी तो लोगों को उनमें देवीलाल नजर आने लगे थे लेकिन जितना भ्रष्टाचार जेजेपी ने किया है उतना बडा धोखा किसी ने भी राजनीति में जनता के साथ नहीं किया है। लोग उनके पास आकर बोलते हैं कि सीधे जाओ तो आठ प्रतिशत और बिचौलिए को लेकर जाओ तो दस प्रतिशत देना पड़ता है। अगर भाजपा सही तरीके से हरियाणा में चुनाव लडना चाहती है तो जजपा को बाहर का रास्ता दिखाना होगा। इसके बाद फिर से लोग भाजपा की बात सुनने लग जाएंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि कई भाजपा के बड़े नेता यह बोलते हैं कि बीरेंद्र सिंह को भाजपा ने इतना बड़ा सम्मान दिया कि सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में शामिल हुए लेकिन वो भाजपा को बताना चाहते हैं कि बीरेंद्र सिंह, राव इंद्रजीत, कृष्ण पंवार, रमेश कौशिक ने ही भाजपा की हरियाणा में ज्योत जलाने का काम किया था। उनके बिना हरियाणा में कुछ नहीं था। वो पार्टी छोड़ कर आए थे और फिर भाजपा को सत्ता में लाने का काम किया। जिस पर भाजपा ने उन्हें यह सम्मान दिया था।
मेरी आवाज सुनो रैली के मंच से बीरेंद्र सिंह ने कांग्रेस को छोडऩे का दुख बयां करते हुए कहा कि जो आप लोग चाहते हैं, वो वहीं करेंगे। उन्होंने 42 साल कांग्रेस में पूरी निष्ठा और ईमानदारी से काम किया। जिस पर कांग्रेस ने भी उन्हें पूरा सम्मान दिया। स्व. राजीव गांधी और सोनिया गांधी का जितना साथ और जितना विश्वास उन्हें मिला, उतना आजतक भी हरियाणा में कांग्रेस के किसी भी नेता को नहीं मिला है। उन्होंने कांग्रेस छोडऩे का कारण बताते हुए कहा कि उनके पास केबिनेट मिनिस्टर पद की राष्ट्रपति भवन से चि_ी तक आ गई थी। हजारों लोग उन्हें बधाई देने के लिए भी पहुंच गए थे। पांच बजे शपथ ग्रहण समारोह था और 12 बजे उनके पास आए कि अभी आपको मंत्रीमंडल में नहीं लिया जा रहा है। जिससे वो बहुत आहत हो गए। इसके बाद वो जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की केबिनेट में गए तो उन्होंने यहां भी कांग्रेस को छोडऩे की बात बताई और कहा कि पार्टी ने पूरा मान-सम्मान नहीं दिया। बावजूद इसके उन्होंने एक साल तक पार्टी नहीं छोड़ी। वो सोनिया गांधी से भी मिले लेकिन सुनवाई नहीं हुई। बावजूद इसके उन्होंने प्रधानमंत्री के सम्मुख स्पष्ट किया कि वो कभी भी राजीव गांधी या सोनिया गांधी के खिलाफ कोई गलत बात नहीं कहेंगे और आजतक वो इस सिद्धांत पर अडिग हैं।
बीरेंद्र सिंह ने कहा कि भाजपा पार्टी ने भी उन्हें बहुत सम्मन दिया लेकिन एक बात उनके स्वभाव में है और डीएनए का हिस्सा है। मन में जो बात है वह कहे बिना हटते नहीं हैं। वो भाजपा के अकेले ऐसे आदमी थे, जिसने किसनों का समर्थन किया था। महिला पहलवानों के साथ भी वह खड़े हुए लेकिन भाजपा ने ये कभी नहीं कहा कि आप ये उलटे काम क्यों कर रहे हो।
बीरेंद्र सिंह ने कहा कि कार्यक्रम में किसी का झंडा और डंडा नहीं हैं। वह न तो किसी पार्टी या नेता की बुराई करेंगे और न ही किसी का गुणगान करेंगे। लोगों की भीड़ ने उन पर बहुत बड़ा उपकार किया है। वह चाहते हैं कि ऐसे मंच की स्थापना हो, जिसमें गरीब और कमेरे वर्ग का भला हो। युवाओं को रोजगार मिले। हमें आजादी तो इसलिए मिली थी कि हम गरीब को नीचे से उठा कर बराबरी पर लाएंगे, किसान का भला होगा। लेकिन 76 साल की आजादी में किसान और कमेरा वर्ग आज भी गरीबी का शिकार है। हजारों लाखों गरीब और कमेरे दबे हुए लोगों की आवाज को वह अपने मुंह से बोल रहे हैं।
बीरेंद्र सिंह ने कहा कि कहा जा रहा है कि भारत दुनिया में तीसरी बड़ी आर्थिक ताकत बन कर उभर सकता है। लेकिन यह पैसों अमीरों की जेब में जाएगा। कुछ घरानों में जाएगा। ऐसी ताकत का वह क्या करेंगे, जब किसान और कमेरा वर्ग गरीब ही रह जाएगा तो तीसरी आर्थिक ताकत का कोई मतलब नहीं रहता। जब सीमेंट, लोहे, कपड़े का रेट बढ़े, तब महंगाई नहीं बढ़ती लेकिन जब धान का रेट बढ़ाने की बात आती है तो ऊपर बड़े ओहदों बैठे अधिकारी, कृषि अर्थशास्त्री कहते हैं कि महंगाई बढ़ जाएगी। किसानों को सबसिडी, किसान सम्मान निधि नहीं चाहिए। उन्हें तो अपनी फसलों के सही दाम चाहिएं। उन्हें सरकार के अहसान की कोई जरूरत नहीं है।
बीरेंद्र सिंह ने महिलाओं को लेकर कहा कि वह महिलाओं को पुरुषों से बराबरी पर ही नहीं उस से भी आगे ले जाना चाहते हैं। जितनी भी महिलाएं नौकरियों में हैं, उनकी सेलरी आदमियों से 33 गुणा बढा दी जानी चाहिए।
कोई पुरूष दस हजार रुपये सेलरी ले रहा है तो महिला को 13 हजार रुपये सेलरी दी जानी चाहिए।
युवा विदेशों की तरफ पलायन कर रहे हैं। वह कहते हैं कि किसी की भी सरकार हो, बच्चों के भविष्य का ख्याल रखना जरूरी है। नौजवानों का प्रजातंत्र से मन पीछे हटने लगा है। कह रहे हैं कि कब तक झूठे नारों के सहारे वह चलेंगे। गांव में, शहर में और दिल्ली जैसे बड़े सिटी में पढ़ाई में फर्क नजर आ रहा है, ये कौन सी शिक्षा नीति है। शिक्षा नीति को समान होना चाहिए।
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