चंडीगढ़/विपिन परमार
मुख्यमंत्री ने प्रस्ताव किया पेश, समाज का कोई भी वर्ग या संगठन किसी राजनैतिक पार्टी के नेता के बहिष्कार की घोषणा करता है तो सदन करेगा निंदा.
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बजट सत्र के दौरान एक पंक्ति का प्रस्ताव पेश किया – समाज का कोई भी वर्ग या संगठन किसी राजनैतिक पार्टी के नेता के बहिष्कार की घोषणा करता है तो यह सदन उसकी निंदा करता है। मुख्यमंत्री ने यह भी प्रस्ताव रखा कि यदि आवश्यक हो तो सदन में प्रस्ताव पर वोटिंग करवाई जाए।
सदन में यह प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित हुआ। भाजपा और निर्दलीय विधायकों ने मेज थपथपाकर प्रस्ताव का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए जितनी जिम्मेदारी सत्ता पक्ष की होती है उतनी ही जिम्मेदारी विपक्ष की भी होती है।
विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने कहा कि लोकतंत्र पर हमला अगर होता है तो उसकी सुरक्षा की जिम्मेवारी सत्ता और विपक्ष दोनों की है।
हालांकि विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने कहा कि निंदा प्रस्ताव लाने का कोई औचित्य नहीं था। कानून व्यवस्था बनाना सरकार का काम है। हुड्डा ने कहा कि यह सदन में लाने वाला प्रस्ताव नहीं था। उन्होंने सत्ता पक्ष के इस आरोप का भी खंडन किया कि कांग्रेस पार्टी या इसके नेता किसी संगठन या वर्ग को राजनेताओं का बहिष्कार करने के लिए उकसा रहा है। हुड्डा ने कहा कि ना तो उकसाया जा रहा है और ना ही किसी को उकसाने के लिए कहा जा रहा है।
हालांकि निंदा प्रस्ताव वाले इस मसले पर वोटिंग के समय कांग्रेस पार्टी के विधायकों ने सदन से वॉकआउट कर दिया।