डॉ. रविंद्र मलिक, Haryana News : हरियाणा में इस साल जुलाई में अवैध खनन को रोकने पहुंचे डीएसपी सुरेंद्र सिंह (DSP Surendra Singh) की बेहद निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई थी। इस मामले में आरोपियों को तो पकड़ लिया गया। वहीं इसी कड़ी में सामने आया है कि अवैध खनन न केवल बड़े पैमाने पर हो रहा है, बल्कि इस दौरान ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने पहुंच रहे पुलिस मुलाजिमों पर भी हमले हो रहे हैं।
सरकारी आंकड़ों में यह भी सामने आया है कि अवैध खनन रोकने पहुंची पुलिस वालों पर हमले की बड़े पैमाने पर हुए हैं। हालांकि पुलिस कार्रवाई तो कर रही है, लेकिन बावजूद इसके खनन माफिया अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे। हर महीने किसी न किसी जिले से पुलिसवालों पर हमला करने या उनके काम में खनन माफिया द्वारा बाधा डालने की जानकारी सामने आती रहती है।
हरियाणा के करीब आधा दर्जन ऐसे जिले हैं, जहां पर खनन संबंधी गतिविधियां बड़े पैमाने पर होती है। मुख्य रूप से इन जिलों में फरीदाबाद, पलवल, यमुना नगर गुरुग्राम, नारनौल और नूंह शामिल हैं। इन जिलों में साल 2019 से लेकर 30 जून-2022 तक 4121 वाहन सीज किए गए हैं।
यमुनानगर में सबसे ज्यादा 1332 वाहनों को सीज किया गया है। इसके बाद गुरुग्राम और नूंह में 1106 वाहनों को पकड़ा गया है तो वहीं महेंद्रगढ़-नारनौल में 854 वाहनों को पकड़ा है। महेंद्रगढ़ और नारनौल में 854 वाहनों, इनमें से 713 वाहनों को सुपरदारी के बाद छोड़ दिया गया। वहीं 2344 वाहनों की अपील या पेनलटी के बाद छोड़ा गया।
वहीं यह जानकारी सामने आई है कि खनन माफिया के हौसले इतने बुलंद हैं कि वह अवैध खनन को रोकने पहुंच रही पुलिस को भी नहीं छोड़ रहे। साल 2019 से लेकर 2022 तक खनन माफिया के हमलों में 60 पुलिस वाले घायल हुए हैं, जोकि स्थिति की गंभीरता को स्पष्ट बताता है।
खनन माफिया की गतिविधियों को रोकने के दौरान साल 2019 में 6 पुलिसवाले घायल हुए। इसके बाद 2020 में 29 पुलिसवाले घायल हुए तो वहीं 2021 में 13 पुलिसकर्मियों को चोट पहुंची। इस साल जहां एक डीएसपी की हत्या कर दी गई वहीं अन्य पुुलिस कर्मचारी भी घायल हो चुके हैं। वहीं ये भी सामने आया है कि इन वाहनों की पेनल्टी से 60 करोड़ से ज्यादा की राशि सरकारी खजाने में आई है।
वहीं पुलिस पर हमला करने के मामले में 2019 से लेकर 22 तक 79 केस दर्ज हुए हैं। 2019 में 10, 2020 में 31, 2021 में 25 और 2022 में अब तक 13 के खिलाफ केस दर्ज किए गए हैं। उपरोक्त अवधि में 227 लोगों को गिरफ्तार किया। 2019 में 33 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। वहीं 2020 में 88 आरोपियों, 2021 में 78, 2022 में अब तक 28 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। इसके बावजूद खनन माफिया के माल में कोई खौफ नहीं है और निरंतर पुलिस पर हमले हो रहे हैं।
अवैध खनन को लेकर 2014 से लेकर जुलाई 2022 तक कुल 4664 केस दर्ज हुए हैं। साल 2021 में सबसे ज्यादा 1054 मामले दर्ज हुए हैं तो वहीं इसके बाद सबसे ज्यादा 758 मामले 2014 में दर्ज हुए थे। सन 2015 में 457, 2016 में 169, 2017 में 559, 2018 में 460, 2019 में 452, 2020 में 305 और साल 2022 में 31 जुलाई तक 450 मामले दर्ज हुए हैं।
वहीं यह भी बता दें कि साल 2014 से लेकर जुलाई 2022 तक कुल 6091 लोगों को अवैध खनन में लिप्त पाए जाने पर पकड़ा है। सबसे ज्यादा आरोपी साल 2014 में पकड़े गए हैं। उस सोल्जर्स 51 लोगों को पकड़ा गया था तो उसके बाद अवैध खनन में संलिप्त 1078 लोगों को 2 साल 2021 में पकड़ा।
साल 2015 में 698 साल 2016 में जो 74 साल 2017 में 905, साल 2018 में 683, साल 2019 में 604 ,साल 2020 में 359 और साल 2022 में अब तक 31 जुलाई तक 335 गाड़ियों को पकड़ा गया है। इसके अलावा उपरोक्त अवधि में ही अवैध खनन में संयुक्त पाई गई 4653 वाहन को जब भी किया गया है सबसे ज्यादा 1121 वाहन 2021 में सीज किए गए थे। इसके बाद सन् 2014 में 694 साल 2015 में 352 साल 2016 में जो 44 साल 2017 में 482 साल 2018 में 386 साल 2019 में 323 साल 2020 में 853 साल 2022 में 30 जुलाई तक 299 वाहनों को जब्त किया गया है।
अनिल विज, होम मिनिस्टर का कहना है कि पुलिस अवैध खनन में संलिप्त लोगों पर निरंतर कार्रवाई कर रही है। दोषियों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा। अवैध खनन को रोकने के लिए समय-समय पर पुलिस ड्राइव भी कंडक्ट की जाती है।
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