Illegal Mining of Sand in Yamuna River: अवैध माइनिंग पर पक्ष और विपक्ष ने उठाए सवाल, नियमों को ताक पर रखकर रेत की माइनिंग

दीपक शर्मा, यमुनानगर:
Illegal Mining of Sand in Yamuna River: भिवानी के डाडम की पहाड़ी पर हुए हादसे के बाद अब माइनिंग पर कई प्रश्न उठाए जा रहे हैं, ना सिर्फ विपक्ष बल्कि भाजपा के भिवानी से सांसद से धर्मवीर सिंह ने भी अवैध माइनिंग पर कई प्रश्न उठाए और इस हादसे के पीछे अवैध तरीके से की जा रही माइनिंग एक बड़ा कारण बताया है। हालांकि डाडम हादसे के बाद इस पूरे मामले की जांच की बात तो कही जा रही है।

लेकिन प्रदेश के अंदर और भी ऐसी कई जगहे हैं जहां अवैध तरीके से माइनिंग धड़ल्ले से चल रही है। एक तरफ जहां डाडम में पहाड़ी को चीरा जा रहा था तो वहीं यमुनानगर में यमुना रेत की अवैध माइनिंग हो रही है। नियमों को ताक पर रखकर अवैध तरीके से दिन- रात यमुना को चीरकर माइनिंग की जा रही है।

यमुना की रेत की कालाबाजारी Illegal Mining of Sand in Yamuna River

हरियाणा में यमुना नदी में रेत का काला कारोबार धड़ल्ले से जारी है, दिन का उजाला हो या रात का अंधेरा, खनन माफिया तमाम नियमों को ताक पर रखकर यमुना नदी को चीर कर धड़ल्ले से रेत का काला कारोबार कर रहे हैं। माइनिंग को लेकर सरकार द्वारा अलग-अलग जगहों पर टेंडर नियम अनुसार दिए गए हैं, लेकिन यह खनन माफिया उन तमाम नियमों को ताक पर रखकर यमुना रेत के काले कारोबार में लगे हैं। जिससे जहां सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है।

यमुना के आसपास के इलाकों में लगातार खतरा भी बढ़ता जा रहा है। नियमों की बात करें तो यमुना के इन इलाकों में केवल सूर्योदय से सूर्यास्त तक यानी दिन में ही खनन की अनुमति है लेकिन यहां जितनी तेजी से दिन में खनन होता है। रात होने के बाद यह खनन माफिया उतनी ही तेज रफ्तार पकड़ लेते हैं क्योंकि रात होने के बाद ही यह होती है, जमुना के रेत की असली कालाबाजारी।

खनन केंद्रों का लिया जायजा Illegal Mining of Sand in Yamuna River

यमुनानगर में अवैध खनन के इस काले कारोबार की हकीकत जानने के लिए इंडिया न्यूज की टीम पहुंची यमुनानगर। जहां टीम ने यमुनानगर में विभिन्न खनन केंद्रों पर जाकर वहां का जायजा लिया व स्थानीय ग्रामीणों और अधिकारियों से चर्चा की।

हरियाणा में 2016 में सरकार द्वारा यमुना में खनन को अनुमति दी गई थी जिसमें अकेले यमुनानगर में 22 कांट्रेक्टर को यमुना नदी में खनन के लिए अनुमति दी गई थी। जिसके लिए बकायदा सरकार के राजस्व में इन 22 ठेकेदारों से तकरीबन 145 करोड़ 18 लाख रुपए रॉयल्टी के तौर पर प्रति वर्ष मिलता था। जिसमें 3 वर्ष बाद नियमों के अनुसार और 25% की वृद्धि हुई जो कि अब तकरीबन 180 करोड रुपए सालाना है, जिसके बदले यह कंपनियां यमुना क्षेत्र में खनन करके रेत को बाजार में बेचते हैं।

कंपनियों को खनन के लिए सूर्य उदय से सूर्यास्त तक का ही समय होता है, लेकिन यह कंपनियां तमाम नियमों को ताक पर रखकर सूर्यास्त के बाद धड़ल्ले से अवैध खनन करती हैं। टेंडर के वक्त हर कंपनी को यमुना नदी का एक सीमित एरिया अधिकृत किया जाता है जहां से वह जितना चाहे रेत निकाल सकते हैं।

शाम होते ही खनन तेज हो जाता है Illegal Mining of Sand in Yamuna River

सामाजिक कार्यकर्ता और पेशे से वकील वरयाम सिंह ने बताया कि यमुना के किनारों से केवल 3 मीटर गहराई तक की खुदाई कर सकते हैं लेकिन ऐसे में ठेकेदार तमाम नियमों को दरकिनार कर शाम होते ही खनन को और तेज कर देते हैं जिसमें एक बड़ा कारण है। सरकार को दिए जाने वाले राजस्व में चोरी, क्योंकि जितना भी रेता यहां से खनन होकर निकलता है बकायदा उसका सालाना टेंडर के इलावा 5% जीएसटी के तौर पर सरकार के खाते में जाता है।

इसके अलावा 10% आर आर का देना होता है, और दिन में यहां सरकार के द्वारा E-Ravana ( ई-रवाना ) ऐप के जरिए तमाम वाहनों पर नजर रखी जाती है। कोई भी ट्रक यदि ओवरलोडिंग करता है तो उसके चालान होते हैं। यह कार्यवाही केवल सुबह से शाम तक रहती है। ऐसे में रात के समय तमाम ठेकेदार इन ट्रकों में ओवरलोडिंग कर धड़ल्ले से रेत निकालते हैं, जिसमें ना कोई टैक्स का दायरा होता है और ना कोई ओवरलोडिंग की रोक-टोक।

ग्रामीणों ने की मदद Illegal Mining of Sand in Yamuna River

यमुनानगर शहर से 20 किलोमीटर दूर गुमथला के खनन स्थलों पर पहुंचना इतना आसान नहीं था। इस राह में काफी जोखिम थे। लेकिन कुछ ग्रामीणों ने खनन की सच्चाई दिखाने के लिए इंडिया न्यूज टीम की मदद की और उन्होंने खेतों से गुजरते संकरे रास्तों से होते हुए इंडिया न्यूज हरियाणा की टीम को खनन की वह तस्वीरें दिखाई जहां शायद अब तक प्रशासन या तो पहुंचा नहीं है या देख कर भी आंखें मूंदे हुए हैं।

गुमथला, छछरौली, जठलाना के आसपास के गांवों की अगर बात की जाए तो यहां B-13, B-14, B-15, B-16, B-17 सहित कई खनन क्षेत्र है। रात के समय में भी यहां धड़ल्ले से ट्रक खनन का रेत लेकर जा रहे थे। साफ तौर से देखने में आया कि ट्रकों में से पानी तेज गति से बह रहा है, खनन ताजा होने की वजह से कुछ देर तक उससे पानी बहता रहता है।

जबकि यहां रात के समय किसी तरीके से खनन अलाउड नहीं है। रात में खनन नहीं कर सकते तो ये ट्रक यहां क्यों दौड़ रहे हैं, ये जानने के लिए इंडिया न्यूज की टीम और आगे यमुना के तट पर पहुंची। जहां रात के अंधेरे में यमुना नदी के बीच लाइट जलाकर पोकलेन मशीनों के जरिए खनन किया जा रहा था।

पानी के प्रवाह को बदलकर होता है खनन Illegal Mining of Sand in Yamuna River

इतना ही नहीं यदि दिन की बात की जाए तो भी यहां खनन के लिए कई नियम है जिसके अनुसार यहां बहती नदी में खनन नहीं किया जा सकता लेकिन बावजूद इसके तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि नदी के प्रवाह को रोककर किस तरीके से बीच नदी में पोकलेन मशीनों के जरिए रेत को निकाला जा रहा हैं। हालांकि नियमों के अनुसार यदि कोई खनन करता है तो उसको बड़े-बड़े आरसीसी के पाइपों के जरिए यहां रास्ता बनाना होता है ताकि नदी का प्रवाह ना रुके लेकिन यहां तो बिना कोई पाइप लगाएं बड़े-बड़े कट्टे लगाकर इस पानी के प्रवाह को रोक दिया जाता है या उसके रास्ते बदल दिए जाते हैं और यहां खनन किया जाता है।

इस मामले पर यहां के एक सोशल एक्टिविस्ट वरयाम सिंह कई बार प्रशासन को शिकायत दे चुके हैं लेकिन उनका कहना है कि प्रशासन द्वारा केवल खानापूर्ति की जाती है और यह अवैध खनन यूं ही जारी है।

कार्रवाई के बाद भी खनन जारी Illegal Mining of Sand in Yamuna River

इसके अलावा जहां भी खनन होता है वहां नियमों से साफ है कि केवल 3 मीटर तक की गहराई तक ही खुदाई की जा सकती है लेकिन स्थानीय निवासियों के माने तो यहां 8 से 10 मीटर तक खनन माफिया यमुना नदी को खोद देते हैं और उसमें से रेत निकाल देते हैं जो कि काफी खतरनाक है, हालांकि इसको लेकर पहले प्रशासन के द्वारा इन पर एक बार कार्रवाई भी की गई थी लेकिन आए दिन माफिया इसी तरीके से धड़ल्ले से तमाम नियमों को ताक पर रखकर खनन करते हैं- वरयाम सिंह, सोशल एक्टिविस्ट

200 वाहनों को किया जब्त Illegal Mining of Sand in Yamuna River

अवैध रूप से हो रही इस माइनिंग के विषय पर प्रशासन क्या कर रहा है यह जानने के लिए जब हम जिला खनन अधिकारी के पास पहुंचे तो खनन अधिकारी कैमरे पर कुछ भी बोलने से बचते नजर आए हालांकि उन्होंने यह बताया कि जून 2021 से नवंबर 2021 के इन 6 महीने में खनन विभाग द्वारा नियमों की अनदेखी करने वाले 200 वाहनों को जबत किया गया है जिन पर तकरीबन ” 1 करोड़ 44 लाख 11,000 ” का जुमार्ना भी लगाया गया है।

हालांकि जब हमने खनन विभाग के अधिकारियों से यमुना नदी में जगह-जगह बांध व कच्चे रास्ते बनाकर अवैध तरीके से हो रही माइनिंग की बात की तो अधिकारी कुछ भी कहने से बचते नजर आए, हालांकि यमुना नदी के बीचों बीच खनन के लिए जगह-जगह अवैध तरीके से बनाए गए रास्ते देखे जा सकते हैं लेकिन अधिकारी केवल इस मामले में जांच की बात कहते हैं नजर आए।

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