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Smart India Hackathon में छह टीमों ने जीते एक-एक लाख, जल संरक्षण एवं भूमि की उत्‍पादकता बढ़ाने वाले प्रोजेक्‍ट बनाए

  • पाइट बना हरियाणा का नोडल सेंटर, ग्रे वाटर ट्रीटमेंट सिस्टम बने, जलजनित बीमारियों से हो सकता है बचाव

India News Haryana (इंडिया न्यूज), Smart India Hackathon : पांच दिन लगातार दिन-रात चला स्‍मार्ट इंडिया हैकाथॉन (एसआइएच) संपन्‍न हो गया। हरियाणा के नोडल सेंटर पानीपत इंस्‍टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्‍नॉलोजी (पाइट) में देश के अलग-अलग राज्‍यों के कॉलेजों के छात्र-छात्राओं ने जल संरक्षण एवं भूमि की उत्‍पादकता बढ़ाने वाले प्रोजेक्‍ट बनाए। जलजनित बीमारियों से बचाव के लिए ऐसी किट बनाईं, जिसका शहरों से दूर स्‍थानों पर भी आसानी से प्रयोग किया जा सकता है।

Smart India Hackathon : ये टीमें रही विजेता

पर्यावरण, इंजीनियिरंग कॉलेजों से लेकर रिफाइनरी व सरकारी विभागों से पहुंचे जजों ने रोजाना टीमों के प्रोजेक्‍ट की प्रक्रिया देख परिणाम जारी किए। छह टीमों को एक-एक लाख रुपये का पुरस्‍कार दिया गया है। पुणे की टेक चार्जर्स, कर्नाटक की इनसाइट सिंडीकेट, तमिल नाडु की एजाइल एवेंजर्स एवं एग्रोसेन्‍टरी, पुणे की फुडोमिक्‍स और गुजरात की टीम सेंस विजेता रही।

एसआइएच का यह सातवां संस्‍करण था

पाइट के सचिव सुरेश तायल ने कहा कि एसआइएच का यह सातवां संस्‍करण था। जल शक्ति मंत्रालय की तरफ से टीमों को समस्‍याएं दी गई थीं, जिन पर युवाओं ने समाधान निकाले। पीएम नरेंद्र मोदी ने 11 दिसंबर को शुभारंभ के अवसर पर सभी नोडल सेंटर पर टीमों से बात की थी। एसआइएच के माध्‍यम से समस्‍याओं के रचनात्‍मक एवं कम बजट से समाधान निकल रहे हैं। देश में स्‍टार्टअप संस्‍कृति विकसित हो रही है।

विजेताओं को नोडल सेंटर हेड डॉ.श्रुति, एआइसीटीई से अवनीश, पाइट चेयरमैन हरिओम तायल, सचिव सुरेश तायल, बोर्ड सदस्‍य राजीव तायल, शुभम तायल, निदेशक डॉ.शक्ति कुमार, डीन डॉ.बीबी शर्मा, एसआइएच ऑर्गेनाइजिंग चेयरपर्सन डॉ.सुमन मान, को ऑर्गेनाइजिंग चेयरपर्सन डॉ.शक्ति अरोड़ा, स्‍पॉक डॉ.पूनम जागलान, पाइट एनएफएल स्‍कूल की प्रिंसिपल रेखा बजाज ने सम्‍मानित किया।

ग्रे वाटर सिस्‍टम ऐसे करता है काम

डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड टेक्नोलॉजी (डीआइएटी) पुणे की टीम टेक चार्जर्स ने ने जल शक्ति मंत्रालय की समस्या के तहत एक उन्नत ग्रे वाटर ट्रीटमेंट सिस्टम विकसित किया है। यह प्रणाली पानी की कमी की समस्या का समाधान करते हुए ग्रे वाटर को प्रभावी रूप से पुन: उपयोग योग्य बनाने पर केंद्रित है। इस सिस्टम में यूवी लाइट का उपयोग ग्रे वाटर को उन्नत तरीके से शुद्ध करने के लिए किया गया है।

यह तकनीक टीम ने इन-हाउस विकसित की है। सोयाबीन वेस्ट से बने बायोचार का उपयोग पारंपरिक सक्रिय चारकोल की जगह किया गया है। बायोचार के उपयोग से इस सिस्टम का कार्बन फुटप्रिंट कम हो गया है। यह मॉडल 2047 तक कार्बन न्यूट्रलिटी के सरकारी लक्ष्य को भी पूरा करने में सहायक है। इसका ट्रीटमेंट चैंबर ऑस्माटिक ग्रेविटी फ्लो पर आधारित है, जिसमें पानी का प्रवाह गुरुत्वाकर्षण के माध्यम से होता है। इस डिजाइन से मैकेनिकल उपकरणों की आवश्यकता नहीं होती।

कर्नाटक का जल शुद्धिकरण सिस्‍टम

कर्नाटक के बीएमएस इंस्टीट्यूट की इनसाइड सिंडीकेट टीम ने ग्रे और ब्लैक वाटर के शुद्धिकरण के लिए एक अभिनव और किफायती प्रणाली विकसित की है। इसे बिना किसी विशेष प्रशिक्षण के इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका कॉम्पैक्ट डिजाइन इसे आसानी से ले जाने और इंस्टॉल करने योग्य बनाता है। यह सिस्टम ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जल संकट और प्रदूषण की समस्याओं का प्रभावी समाधान प्रदान करता है। कोकोपीट, कपास और एक्टिवेटेड चारकोल से चार चरणों की प्रक्रिया होती है, जिससे पानी साफ होता जाता है।

तमिल नाडु की टेस्टिंग किट

तमिल नाडु के सीके कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग की टीम एजाइल एवेंजर्स ने जैविक खाद के पोषक तत्वों की जांच के लिए एक किफायती और पोर्टेबल किट विकसित की है। यह किट किसानों को जैविक खेती को बढ़ावा देने में मदद करती है। यह किट किसानों को सटीक डेटा प्रदान कर जैविक खेती को अपनाने में मदद करती है।

पुणे का मॉडल

एमआइटी पुणे की फुडोमिक्‍स टीम ने जैविक उर्वरकों के लिए एक किफायती और उपयोगकर्ता के अनुकूल मॉडल विकसित किया है। यह प्रणाली किसानों को उर्वरकों का उत्पादन आसान और सस्ता बनाती है।

गुजरात का प्रोजेक्‍ट

गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी की टीम सेंस ने पानी में हानिकारक सिल्वर आयन की जांच के लिए एक अभिनव टेस्ट किट विकसित की है। यह ग्राम पंचायतों और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए उपयोगी है। करीब 2500 लागत की यह किट ब्लूटूथ इंटीग्रेशन के साथ सौ प्रतिशत सही परणिाम देती है। यह किट जल जीवन मिशन जैसे सरकारी अभियानों में उपयोगी साबित हो सकती है।

तमिल नाडु का एग्रोसेन्‍टरी

पीएसजी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड एप्लाइड रिसर्च, तमिलनाडु की एग्रोसेन्‍टरी टीम ने जलजनित बीमारियों की समस्या का समाधान करते हुए एक अनोखा उत्पाद विकसित किया है। यह उत्पाद पानी में ई.कोलाई बैक्टीरिया के स्तर को मापने के लिए बनाया गया है। इसका उद्देश्य ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। टीम ने पर्यावरण-अनुकूल और कम लागत वाले स्ट्रिप्स तैयार किए हैं, जो उपयोग में सरल और सुलभ हैं। उन्नत बायोसेंसर तकनीक का उपयोग करते हुए, यह स्ट्रिप केवल 5-10 सेकंड में सटीक परिणाम देती है। यह उत्पाद जलजनित बीमारियों को रोकने में सहायक होगा, खासकर उन क्षेत्रों में जहां महंगे जल परीक्षण उपकरण उपलब्ध नहीं हैं।

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Anurekha Lambra

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