इंडिया न्यूज, Haryana News : हरियाणा की धार्मिक नगरी कुरुक्षेत्र में गुरुवार को भगवान श्री कृष्ण के विराट स्वरूप का सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भगवान श्रीकृष्ण के विराट स्वरूप का लोकार्पण किया। इस अवसर पर गीता के श्लोकों का उच्चारण भी किया गया। इस दौरा स्वामी ज्ञानानंद ने मोहन भागवत को सम्मानित किया।
श्री कृष्ण के विराट स्वरूप के लोकार्पण अवसर पर सरसंघ संचालक मोहन भागवत ने कहा कि गीता किसी एक संप्रदाय का ग्रंथ नहीं है। भारत में हिंदू परपंरा में गीता है। हिंदू समाज उसका ट्रस्टी है। जब तक सृष्टि है, तब तक गीता की प्रासंगिकता रहेगी। श्रीकृष्ण तो युद्ध लड़े ही नहीं, केवल रथ के पहिए ही दौड़ाए। भगवान की रीति है कि वह माध्यम से करवाता है। अर्जुन को लड़ने के लिए गीता का उपदेश दिया गया, परंतु गीता में अहिंसा का उल्लेख है। इसलिए कर्त्तव्य करो और निर्मल मन से करो।
वहीं इस दौरान संबोधित करते हुए हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि हरियाणा गीता का केंद्र है। कुरुक्षेत्र को केवल देश में नहीं बल्कि दुनिया के मैप में स्थान मिलेगा। यह गीता पूरे मानव जीवन को संदेश देती है।
गीता ज्ञान संगठन के ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि आज एक महत्वपूर्ण दिवस है। उन्होंने कहा कि 2014 में जब सरकार आई तो ज्योतिसर की चर्चा हुई कि उसको उसका स्वरूप मिले, यह युग युगांतर के लिए एक प्रेरणा बनी रही। ज्योतिसर में आज विराट स्वरूप की प्रेजेंटेशन अद्भुत थी।
इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को द्वापर युग में इसी धरती पर अपने विराट स्वरूप के दर्शन दिए थे। आज गुप्त नवरात्रि भी है। इस दिन किए जाने वाला कोई भी कार्य काफी ज्यादा फलदायी होता है। आज कुरुक्षेत्र की धरा पर भगवान श्री कृष्ण की विराट स्वरूप प्रतिमा का अनावरण हुआ है। अब अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती की तरह ही श्रीकृष्ण उत्सव मनाने की योजना है।
बता दें कि भगवान श्री कृष्ण का यह विराट स्वरूप 40 फुट लंबा और 35 टन वजनी है। इसे मूर्तिकार डॉ. राम सुतार और उनके पुत्र अनिल सुतार ने 80 कारीगरों की सहायता से करीब 3 साल में इसे तैयार किया है। इस पर करीब 13.63 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। भगवान श्रीकृष्ण के इस विराट स्वरूप को उत्तर प्रदेश के नोएडा में तैयार किया गया है।
विराट स्वरूप के चेहरे का ही वजन 6 टन से ज्यादा है।
विराट स्वरूप में 9 चेहरे हैं। श्री कृष्ण के साथ इसमें श्री गणेश, ब्रह्मा जी, शिव जी, भगवान विष्णु का नरसिंह रूप, भगवान परशुराम, हनुमान जी, एग्रीव, अग्नि देव और पांव से लेकर मूर्ति से लिपटकर सिर के ऊपर छांव करते शेषनाग के दर्शन होंगे। वहीं जानकारी रहे कि इस विराट स्वरूप में 4 धातुओं का समावेश है। 85% तांबा और 15 प्रतिशत अन्य 3 धातुओं का इस्तेमाल हुआ है। प्रतिमा को पवित्र ज्योतिसर स्थली पर लाइट एंड साउंड शो के ठीक सामने पूर्व-दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके स्थापित किया गया है। इस विराट स्वरूप को देखने के लिए दुनिया के कोने-कोने से पर्यटक पहुंचेंगे।
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