डॉ. रविंद्र मलिक, India News (इंडिया न्यूज़), Anil Vij, चंडीगढ़ : हरियाणा के जिला नूंह में 31 जुलाई को हुए विवाद के बाद अब धीरे-धीरे शांति बहाल हो रही है। ये दंगे सुनियोजित थे या फिर कोई अन्य कारण, यह तो जांच के बाद ही साफ हो पाएगा लेकिन इस बीच मामले के बाद हरियाणा के होम मिनिस्टर अनिल विज और आईएएस व आईपीएस अधिकारियों के बीच खींचतान व दूरियां धरातल पर आ गई हैं। गब्बर के नाम से मशहूर अनिल विज ने साफ कर दिया है कि दंगों के लिए कहीं न कहीं सीनियर अधिकारियों की लापरवाही जिम्मेदार है।
उन्होंने खुलकर अपना विरोध जताया जो हर जगह चर्चा में है। इससे साफ हो गया है कि अनिल विज और सीनियर अधिकारियों के बीच चीजें ठीक नहीं चल रही। इससे पहले भी अनिल विज और कई सीनियर अधिकारियों के बीच दूरियां रही हैं। यहां ये भी बता दें कि हरियाणा के दो पूर्व सीआईडी चीफ अनिल राव और शत्रुजीत कपूर से विज के बीच काफी मतभेद रहे हैं और वर्तमान सीआईडी चीफ के मामले में भी कमोबेश ऐसी ही स्थिति है। वहीं दूसरी तरफ अधिकारी लॉबी को भी विज कोई खास नहीं सुहाते।
नूंह दंगों के बाद अनिल विज सीनियर आईएएस व आईपीएस अधिकारियों से खासे नाराज हैं। होम सेक्रेटरी टीवीएसएन प्रसाद को लेकर 4 अगस्त को जानकारी साझा करते हुए विज ने कहा था कि उनको दंगों के बारे में कुछ नहीं पता था और कोई इनपुट नहीं था। वो तो उस दिन वैष्णो देवी की यात्रा पर थे। उनका मोबाइल भी नहीं लगा। वहीं सीआईडी चीफ आलोक मित्तल की कार्यशैली पर भी अनिल विज ने गंभीर सवाल उठाए। इसके अलावा उन्होंने नूहं के एसपी के छुट्टी पर जाने के बाद यहां का एडीशनल चार्ज संभाल रहे पलवल के एसपी लोकेंद्र सिंह के पास भी घटना को लेकर कोई इनपुट नहीं था। खुद मैंने उनको जानकारी दी।
पिछले डीजीपी मनोज यादव के साथ अनिल विज के संबंध मधुर नहीं रहे। जब मनोज यादव डीजीपी थे तो कई मुद्दों पर उनकी मनोज यादव से तनातनी रही। उनका कार्यकाल पूरा होने तक स्थिति यथावत ही रही। उन्होंने राज्य नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के गठन कोे लेकर नकारात्मक रवैया अपनाने को लेकर तत्कालीन गृह सचिव राजीव अरोड़ा को पत्र भी लिखा था।
उन्होंने गृह सचिव द्वारा भेजे गए पैनल की फाइल डीजीपी मनोज यादव के खिलाफ बेहद प्रतिकूल टिप्पणी करते हुए उन्हें अक्षम अधिकारी करार दे दिया था। इसके अलावा उन्होंने राज्य की बिगड़ी कानून व्यवस्था की स्थिति न संभालने के लिए जिम्मेदार ठहरा दिया था। उनकी काबिल अधिकारियों में उनकी गिनती होती है लेकिन कई कारणों से वो गब्बर को नहीं भाए।
पूर्व होम सेक्रेटरी व पूर्व एसीएस हेल्थ राजीव अरोड़ा भी अनिल विज के निशाने पर रहे हैं। कुछ मुद्दों पर वो राजीव अरोड़ा से काफी नाराज हो गए थे। उन्होंने कई मुद्दों पर राजीव अरोड़ा की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए थे। इसकी बानगी कई बार सबके सामने किसी न किसी रूप में सामने आई।
उन्होंने कोविड के दौरान टास्क फोर्स गठित न करने को लेकर अपनी नाराजगी जताई थी। उन्होंने बाकायदा वाट्स एप पर उनको मैसेज कर पूछा कि उनको इस बारे में जानकारी क्यों नहीं दी गई। उन्होंने मामले पर राजीव अरोड़ा और तत्कालीन चीफ सेक्रेटरी विजयवर्धन को पत्र भी लिखा था। बाद में राजीव अरोड़ा ने कहा था कि आगे से ऐसा नहीं होगा। इसके अलावा उन्होंने गृह विभाग में पुलिस कर्मियों और अफसरों की अपील पेंडिंग होने को लेकर भी राजीव अरोड़ा को फटकार लगाई थी।
सीआईडी विभाग के अधिकारियों से तो विज की काफी तनातनी रही है। वर्तमान एंटी करप्शन ब्यूरो मुखिया व पूर्व सीआईडी चीफ शत्रुजीत कपूर भी उनकी दूरियां किसी से छिपी नहीं हैं। जब सितंबर 2021 में सरकार ने शत्रुजीत कपूर को परिवहन विभाग की कमान सौंपी थी, विज इसके पक्ष में नहीं थे। उन्होंने दलील दी थी कि अन्य विभागों में लगे पुलिस अधिकारियों को वापस पुलिस विभाग में लाया जाए।
ये भी बता दें कि कपूर की गिनती काबिल व तेजतर्रार अधिकारियों में होती है। विज ने विभाग पर वर्चस्व और विधानसभा चुनाव की रिपोर्ट देने में देरी पर पूर्व सीआइडी चीफ अनिल कुमार राव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। इसके अलावा एडीजीपी नवदीप विर्क भी एक दफा विज का कोप भाजन बन चुके हैं। इसके अतिरिक्त एडीजीपी अरशिंदर चावला से भी मतभेद रहे, हालांकि बाद में मामला निपट गया था।
वहीं फतेहाबाद की एसपी रही संगीता कालिया को तो अनिल विज ने ग्रीवेंस कमेटी की बैठक में ही लताड़ लगा दी थी। कष्ट निवारण समिति की बैठक में एसपी संगीता कालिया और अनिल विज के बीच तीखी बहस हो गई थी। विज ने एसपी को मीटिंग से जाने के लिए कह दिया था लेकिन एसपी ने जाने से मना कर दिया था। इस पर विज बीच में ही मीटिंग छोड़कर चल दिए थे। उपायुक्त एनके सोलंकी ने उन्हें रोकने की पूरी कोशिश की। वे बार-बार सॉरी कहते रहे लेकिन विज नहीं माने। विज ने कहा जब तक एसपी यहां रहेंगी, वे बैठक में नहीं आएंगे।
कोरोना दौर में हुए शराब घोटाले की जांच में एसआईटी की रिपोर्ट आने के बाद अनिल विज ने उस वक्त एक्साइज एंड टेक्सेशन कमिश्नर शेखर विद्यार्थी के खिलाफ भी कार्रवाई की सिफारिश की थी। उन्होंने कहा था कि विद्यार्थी ने शराब के ठेके बंद होने के लिखित आदेश जारी नहीं किए थे। इसके बाद भी शराब के परमिट जारी हुए थे। विद्यार्थी ने कहा था कि वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए आदेश अफसरों को दे दिए गए थे। मामले में डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला मामले में विद्यार्थी के पक्ष में खड़े हो गए थे। शराब घोटाले में आईपीएस प्रतीक्षा गोदारा भी उनके निशाने पर रही।
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