डॉ. रविंद्र मलिक, India News (इंडिया न्यूज), Industry Operations Fraud, चंडीगढ़ : किसी भी राज्य में औद्योगिक और गैर औद्योगिक इकाई को शुरू करने के लिए सरकार की कई तरह की अनुमति की आवश्यकता होती है। किसी इकाई को शुरू करना है तो इसमें पर्यावरण विभाग की भी कई तरह की औपचारिकताएं पूरी करनी होती हैं। इसमें किसी भी तरह की इंडस्ट्री शुरू करने के लिए इसकी स्थापना और संचालन के लिए परमिशन जरूरी है, लेकिन गाहे-बगाहे यह सामने आता रहा है कि इंडस्ट्री चला रहे लोग या फिर बिचौलिए जरूरी अनुमति को लेकर नियमों की धज्जियां उड़ाने से गुरेज नहीं करते।
हरियाणा के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आने वाले कई जिलों में पिछले कुछ समय इस तरह की घटनाएं सामने आई हैं। पिछले ही दिनों दिल्ली से सटे सोनीपत में भी ऐसी दर्जनभर इंडस्ट्री सामने आई जहां बिचौलियों द्वारा जहां सीटीई (कंसेंट टू इस्टेबलिश) और सीटीओ (कंसेंट टू ऑपरेट) परमिशन संबंधी को पूरा करने लिए फर्जी सीए दस्तावेज का इस्तेमाल किया गया। मामले की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राज्य प्रदूषण यंत्र बोर्ड ने सोनीपत के संबंधित विभाग को मामले में एफआईआर दर्ज करवाने के आदेश तक दे दिए हैं। ऐसे में गलती किसकी है, ये सब जांच का विषय है, ताकि सच्चाई सामने आ पाए।
पूरे मामले में छह यूनिट या इंडस्ट्री द्वारा पर्यावरण विभाग की जरूरी परमिशन में फर्जी दस्तावेज की जानकारी सामने आई और यूनिट्स की तरफ से अपनी प्रेजेंटेशन में कहा गया है कि बिचौलिए ने फर्जी दस्तावेज दिए हैं, न कि उनकी तरफ से। ये सभी इंडस्ट्री या यूनिट्स सोनीपत जिले में हैं।
इनमें मैसर्स आरव पैकेजिंग प्रा. लिमिटेड, विल. वाजिदपुर (सबोली) सोनीपत, मैसर्स विमलेश इंडस्ट्रीज प्रा. लिमिटेड, दिल्ली रोड, बहालगढ़, मैसर्स महावीर इंटरप्राइजेज, किला नंबर 62/16/1/21, सैदपुर, खरखौदा, सोनीपत, मेसर्स फागु रिसॉर्ट्स प्रा. लिमिटेड, 33 माइल स्टोन, जीटी रोड, सोनीपत, मैसर्स सुखदेव वैष्णो ढाबा, जीटी रोड, मुरथल, सोनीपत और मैसर्स मॉडर्न डाइंग प्रा. लिमिटेड, 527, एचएसआईआईडीसी, बरही, सोनीपत शामिल हैं। ये भी बता दें कि किसी प्रोजेक्ट में परमिशन से पहले लैंड, इमारत व जुड़े पहलू और मशीनों की कॉस्ट की पूरी और सही जानकारी देनी होती है। इसी के आधार पर आगे फीस भरनी होती है।
किसी भी यूनिट की स्थापना की सहमति (सीटीई) और संचालन की सहमति (सीटीओ) के बीच मुख्य अंतर यह है कि कोई भी उद्योग या इकाई शुरू करने से पहले सीटीई की आवश्यकता होती है और संयंत्र के निर्माण के पूरा होने के स्थल निरीक्षण के बाद कोई भी सीटीओ के लिए आवेदन कर सकता है।
सरकारी अधिसूचना, जल अधिनियम 1974 और वायु अधिनियम 1981 के अनुसार किसी भी इंडस्ट्री की स्थापना से पहले से पहले प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से स्थापना की सहमति प्राप्त करनी चाहिए। उद्योग की स्थापना के बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिनिधि साइट पर जाकर जांच करते हैं कि सब नियम अनुसार है या नहीं। एक बार मंजूरी मिलने के बाद आप संचालन की सहमति के लिए आवेदन कर सकते हैं।
इंड्स्ट्रीज को लेकर सीटीई और सीटीओ से लेकर एचडबल्यूएम यानी कि हैजरडस एंड अदर वेस्ट मैनेजमेंट (एचडबल्यूएम) को लेकर भी तमाम नियम हैं। एचडबल्यूएम, रुल्स 2016 के अनुसार इंड्स्ट्रीज से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों का उचित प्रबंधन जरूरी है। इसको लेकर भी तमाम नियम हैं और अनुमति की जरूरत होती है। यहां भी सामने आया है कि इसको लेकर जो परमिशन मिली है, उसमें भी फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल किया गया है।
ये भी बता दें कि एचडबल्यूएम नियमों में खतरनाक अपशिष्ट को अर्थ के तहत अपशिष्ट को खतरनाक के रूप में वर्गीकृत किया जाए, यदि इसमें ज्वलनशीलता, संक्षारणशीलता, विषाक्ता, विस्फोक्ता और प्रतिक्रियाशीलता शामिल है। कुछ संभावित खतरनाक और हानिकारक गुणों के आधार पर अपशिष्ट को एचडब्ल्यूएम नियमों द्वारा खतरनाक के रूप में वर्गीकृत किया गया है । अपशिष्ट तरल या ठोस रूप में हो सकता है और संभावित रूप से खतरनाक घटकों का उत्सर्जन करता है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए पर्यावरण विभाग हरियाणा ने मामले का संज्ञान लिया है। राज्य मुख्यालय की तरफ से रीजनल ऑफिसर (आरओ) सोनीपत को कहा गया कि वह मामले में तुरंत एफआईआर दर्ज करवाएं। जारी आदेश में इंगित है कि इस संबंध में सूचित किया जाता है कि वरुण गुलाटी द्वारा एचएसपीसीबी में फर्जी/जाली सीए प्रमाणपत्र जमा करने के संबंध में दायर की गई शिकायत के संबंध में प्राधिकरण द्वारा इकाइयों को व्यक्तिगत सुनवाई का मौका दिया गया था।
चर्चा के अनुसार यह पाया गया कि संलग्न सीए प्रमाणपत्र सही नहीं हैं और जाली प्रतीत होते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए में फर्जी सीए प्रमाण पत्र जमा करने के लिए एफआईआर दर्ज करने के लिए कहने का निर्देश दिया गया है। मनोज वर्मा फ्रॉम राधिका एसोसिएट्स ने सीटीई, सीटीओ और एचडब्ल्यूएम प्राप्त करने के लिए एचएसपीसीबी सोनीपत में नकली/जाली सीए प्रमाण पत्र जमा किए हैं।
मेरे संज्ञान में मामला आ चुका है। इंडस्ट्री यूनिट की तरफ से हमें बता दिया गया है कि जो सही डॉक्यूमेंट्स उन्होंने दिए थे, बिचौलिए की तरफ से वो जमा नहीं करवाए गए। ऐसे में संबंधित इंडस्ट्री की कोई गलत नहीं है, गलती बिचौलिए की है। जहां तक सरकारी खजाने को नुकसान की बात है तो फिलहाल हमारा ऑडिट हो चुका है। अगर बाद में लगता है कि सरकारी खजाने में कम फीस जमा हुई है तो बाद में इंडस्ट्री से इसको जमा करवा लिया जाएगा।
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