India News (इंडिया न्यूज़), INLD-Congress Politics on Alliance, चंडीगढ़ : हरियाणा की राजनीति में इन दिनों काफी हलचल मचही हुई है। खोई सियासी जमीन तलाश रही इनेलो ने पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवी लाल के जयंती समारोह पर 25 सितंबर को कैथल में रैली का आयोजन कर रखा है। इनेलो ने इस रैली में आने के लिए सोनिया गांधी को भी न्योता भेजा है। इनेलो लगातार कांग्रेस के साथ गठबंधन करने के लिए आतुर है।
वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस दिग्गज भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने फिलहाल तक तो साफ संकेत दिए हैं कि वो रैली में शिरकत नहीं करेंगे। चूंकि केंद्र में विपक्षी दलों का इंडिया गठबंधन है और जेडीयू के केसी त्यागी भी गत दिनों कह चुके हैं कि इनेलो भी गठबंधन का हिस्सा हो सकती है। उनका कहना है भाजपा को अगर हराना है तो उतने ही बड़े दिल से उतना ही बड़ा गठबंधन हमें बनाना पड़ेगा, लेकिन भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एक तरह से साफ कर दिया है कि हरियाणा में उनको किसी पार्टी से गठबंधन की जरूरत नहीं है और वो खुद अपने दम पर सरकार बनाने में सक्षम हैं।
एनडीए के जवाब में विपक्षी दलों ने राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा को जवाब देने के लिए इंडिया गठबंधन बनाया। ये गठबंधन अब हरियाणा में कांग्रेस और आप के लिए भी कहीं न कहीं घमासान की वजह बन गया है। इंडिया गठबंधन में कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी भी है, लेकिन हरियाणा में अब तक दोनों की राहें जुदा हैं। कमोबेश दिनों के बीच कुछ ऐसी ही स्थिति पड़ोसी राज्य पंजाब में है। हुड्डा बार-बार कह चुके हैं कि वो हरियाणा में गठबंधन नहीं करेंगे। अब दूसरे दलों की नजर भी इस पूरे राजनीतिक एपिसोड पर टिकी हुई है, क्योंकि इस पर काफी कुछ टिका हुआ है।
वहीं हरियाणा में यदि तीनों पार्टियों के बीच गठबंधन हो जाता है तो फिर आप, इनेलो और कांग्रेस में सीटों के बंटवारे को लेकर भी घमासान तय है। लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस को फिर आप और इनेलो से सीटों का बंटवारा करना पड़ेगा जो फिलहाल तो किसी भी हालत में मुमकिन नजर नहीं आ रहा। कांग्रेस अबकी बार खुद को सभी लोकसभा सीटों पर मजबूत मान रही है और ऐसे में कांग्रेस नहीं चाहेगी कि उसको इनेलो और आप से सीटों का बंटवारा करना पड़े। सीटों के बंटवारे पर हुड्डा, आम आदमी पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल व इनेलो के अभय सिंह चौटाला के बीच विवाद होना तय माना जा रहा है।
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि हरियाणा में आप, इनेलो और कांग्रेस में गठबंधन होने पर इनेलो और आप दोनों ज्यादा से ज्यादा लोकसभा सीटें अपने लिए चाहेंगे। इनेलो तो पहले ही सिरसा, हिसार और भिवानी पर दावा करने का संकेत दे चुकी है। वहीं आप की तरफ से आरक्षित सिरसा और अंबाला सीटों पर दावा ठोका जा सकता है। पार्टी हाईकमान ने प्रैशर भी बनाया तो हुड्डा सोनीपत और रोहतक पर अपने दावा नहीं छोड़ेंगे। कांग्रेस नेता कुमारी सैलजा अंबाला से चुनाव लड़ने को तैयार हैं। किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी महेंद्रगढ़-भिवानी से दावेदार हैं। वहीं पार्टी के कैप्टन अजय यादव गुरुग्राम से चुनाव की तैयारियों में जुटे हैं।
गठबंधन को लेकर अभय सिंह चौटाला ने कहा कि कांग्रेस से हमें कोई परहेज नहीं है। चूंकि हरियाणा कांग्रेस में एक तरह से हुड्डा कद्दावर हैं तो सियासी तौर पर उनसे भी परहेज नहीं होना लाजिमी है। मतलब किसी तरह की परेशानी नहीं है। उनका कहना है कि वो कांग्रेस अध्यक्ष से मुलाकात कर उन्हें निजी तौर पर मिलकर निमंत्रण देंगे। उसके बाद वो आएंगे या नहीं आएंगे, ये उनका फैसला है। अगर कांग्रेस भूपेंद्र हुड्डा की जिम्मेवारी लगाएगी तो हम उनका भी स्वागत करेंगे। लेकिन इसके पीछे साफ तौर पर राजनीति मंतव्य ये है कि इनेलो किसी भी तरह सत्ता में हिस्सेदारी के साथ-साथ खुद का अस्तित्व बनाए रखना चाहती है। इसके लिए पार्टी को किसी न किसी का सहारा चाहिए और फिलहाल कांग्रेस से बेहतर को विकल्प नहीं है।
अब इनेलो ने कांग्रेस पार्टी दिग्गजों को 25 सितंबर की अपनी रैली में शामिल होने का न्योता तो भेजा है लेकिन कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि इनके रैली में शामिल होना करीब-करीब असंभव है। फिर दूसरी और यह कहा जा रहा है कि कांग्रेस के प्रदेश नेताओं को या प्रभारी को या किसी अन्य नेता को रैली में शामिल होने के लिए कहा जा सकता है। अगर कांग्रेस का कोई भी नेता रैली में शामिल होता है तो इससे अगले चुनावी गठबंधन के समीकरण बनेंगे। अब देखने वाली बात ये है कि क्या कांग्रेस रैली में आएगी और ऐसा हुआ तो ये भी देखना रोचक होगा कि आए कौन।
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि हरियाणा कांग्रेस में फिलहाल हुड्डा ही सर्वे सर्वा हैं। पार्टी में उनकी एक तरफा चल रही है। पार्टी के ज्यादातर विधायक हुड्डा खेमे में खड़े हैं, हालांकि एसआरके खेमा लगातार खुद को मजबूत और हुड्डा को कमजोर करने की कोशिश तो कर रहा है, लेकिन धरातल पर वह चीजों में कोई ज्यादा बड़ा बदलाव नहीं कर पा रहे।
कांग्रेस हाईकमान को भी इस बात का खास इल्म है कि हुड्डा के बिना फिलहाल हरियाणा में कांग्रेस की सरकार लाना बेहद मुश्किल काम है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर हुड्डा की अनदेखी की गई तो पार्टी को बड़ा राजनीतिक नुकसान हो जाते हैं। जहां तक इनेलो से गठबंधन की बात है तो हुड्डा की सहमति के बिना यह हो पाना बेहद मुश्किल काम है।
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