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Animal Insurance : प्रदेश में पांच वर्षों में 11 लाख पशुओं का बीमा

PUBLISHED BY: • LAST UPDATED : January 27, 2024

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  • पशुपालकों के 15 हजार से ज्यादा क्लेम सेटल किए और इसके लिए 61 करोड़ की राशि जारी की

डॉ. रविंद्र मलिक, India News (इंडिया न्यूज़), Animal Insurance, चंडीगढ़ : हरियाणा एक कृषि प्रधान राज्य है और आबादी का एक बड़ा हिस्सा खेती व संबंधित काम से जुड़ा है। ज्यादातर किसान पशुपालन करते हैं जिसके जरिए वो अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर पाते हैं। इसके अलावा ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में काफी परिवार ऐसे होते हैं जिनका एकमात्र आय का स्त्रोत ही पशुपालन है, जिसके माध्यम से वह अपने परिवार का भरण-पोषण करते है और उनसे मिलने वाले दूध-दही और घी आदि को बेचकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं परन्तु अगर किसी भी पशु की मृत्यु हो जाती है तो उन्हें बहुत परशानियां और कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है और नुकसान झेलना पड़ता है।

इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए हरियाणा सरकार ने पशुधन बीमा योजना को शुरू  किया है। सरकार द्वारा उनके पशुधन के लिए बीमा योजना शुरू की गई है जिसका वो फायदा ले सकते हैं। इस योजना की शुरुआत 29 जुलाई 2016 में हुई, जिसके तहत पशुपालक जिन भी जानवरों को पालते है उनका बीमा कवर किया जा सके। पशुपालकों को इसमें अपने अनुसार 25 रुपए से लेकर 100 रुपए तक की बीमा क़िस्त देनी होगी जिसमे गाय, भैंस, बैल, ऊँट आदि के लिए 100 रुपए और भेड़, बकरी, सुअर के लिए 25 रुपए तक की बीमा राशि रखी गयी है।

पशुपालन विभाग द्वारा प्राप्त आधिकारिक जानकारी अनुसार हरियाणा में पांच साल की अवधि में 1091873 पशुओं को बीमा स्कीम के अंडर कवर किया गया है। साल 2018-19 में 60133 पशुओं का बीमा किया गया। वहीं साल 2019-20 में बीमा स्कीम के अंडर कवर किए गए पशुधन में तीन गुना से ज्यादा बढ़ोतरी हुई और इस वित्त वर्ष में कुल 203267 पशुओं का बीमा किया गया।

2020-21 में बीमा स्कीम के अंडर 379591 पशुधन को कवर किया

इसके बाद  वित्त वर्ष 2020-21 में बीमा स्कीम के अंडर 379591 पशुधन को कवर किया गया। वहीं वित्त वर्ष 2021-22 में बीमा करवाने वाले पशुओं में आश्चर्यजनक रुप से कमी आई और इस साल महज 10187 पशुओं की बीमा किया गया। वहीं 2022-23 में 198665 और चालू वित्त वर्ष में 19 जनवरी 2024 तक 240030 पशुओं का बीमा किया जा चुका है।

15446 क्लेम सेटल किए और 61 करोड़ की राशि दी

जानकारी के अनुसार पांच साल की अवधि में विभाग के पास 18380 क्लेम रजिस्टर्ड हुए और इनमें से 15446 मामलों का निपटान किया गया। संबंधित पशुपालकों द्वारा 93.95 करोड़ का प्रीमियम जमा करवाया। वहीं सेटल किए गए क्लेम के लिए संबंधित बीमा कंपनी द्वारा 61.51 करोड़ की राशि लाभार्थियों को जारी की गई। इसके अलावा 2934 मामलों की सेटलमेंट प्रक्रिया अभी जारी है और इसके लिए 11.68 करोड़ की राशि इस साल दी जानी है। वहीं चालू वित्त वर्ष में 274725 पशुओं का 19 जनवरी 2024 तक बीमा किया गया है।

केंद्र व राज्य के सहयोग से चल रही बीमा स्कीम

इस योजना का मुख्य लक्ष्य हरियाणा के पशुपालकों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है। यह योजना केंद्र सरकार के राष्ट्रीय पशुधन मिशन और राज्य सरकार के सांझा सहयोग द्वारा चलाई जा रही है। प्रत्येक परिवार पांच पशुधन यूनिट का बीमा करवा सकता है। एक पशुधन यानि दस छोटे पशु प्रत्येक परिवार पांच पशुधन यूनिट का बीमा करवा सकता है।

एक पशुधन यूनिट का अभिप्राय एक बड़ा पशु अथवा दस छोटे पशु हैं। इसके साथ-साथ गौशाला भी अपने पांच पशुओं का बीमा करवा सकती हैं। एक परिवार का आशय पति- पत्नी और उनके आश्रित बच्चों से है। योजना का लाभ अधिक से अधिक पशुपालकों को पहुंचाने के लिए अनुसूचित जाति के पशुपालकों का बीमा निशुल्क किया जाता है व अन्य वर्गों के पशुपालकों के लाभार्थी मात्र सौ, दो सौ व तीन सौ रुपये प्रति।

बीमा के लिए ये दस्तावेज चाहिए

पशुधन बीमा योजना में आवेदन करने के लिए महत्वपूर्ण दस्तावेज आधार कार्ड, राशन कार्ड, निवास का प्रमाण, आय प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ, मोबाइल नंबर और बैंक खाता विवरण आदि की जरुरत पड़ती है और हरियाणा पशुधन बीमा योजना में आवेदन करने की प्रक्रिया में हरियाणा पशुधन बीमा योजना की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा। आप को आवेदन पत्र में पूछी गई सभी महत्वपूर्ण जानकारी जैसे कि आपका नाम, मोबाइल नंबर व एड्रेस आदि दर्ज करना होगा। इसके पश्चात आपको आवेदन पत्र से सभी महत्वपूर्ण दस्तावेजों को अटैच करना होगा। फिर यह आवेदन पत्र संबंधित विभाग में जमा करना होगा।

ये बोले डीजी

लाइनस्टॉक डेवेलपमेंट बोर्ड के डीजी डॉ. एलसी रंगा ने कहा कि पशुपालन व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए पशु बीमा स्कीम शुरू की गई है। इसके तहत वो निर्धारित प्रीमियम भरकर स्कीम का फायदा ले सकते हैं। पशुपालन को रिस्क फ्री करने के लिए ये स्कीम शुरू की गई है और पशुपालक वर्ग को निरंतर इसका फायदा मिल रहा है।

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