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International Gita Mahotsav : सिंचाई विभाग ने अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव पर लगाया सूक्ष्म सिंचाई विधि का मॉडल

PUBLISHED BY: • LAST UPDATED : December 18, 2023
  • हरियाणा के डार्क जोन क्षेत्र के लिए लेकर आए हैं योजना

इशिका ठाकुर, India News (इंडिया न्यूज़), International Gita Mahotsav, चंडीगढ़ : अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव पर जहां पूरे देशभर से शिल्पकार और कलाकार अपनी प्रदर्शनी लगाई हुए हैं, वहीं हरियाणा सरकार के विभाग द्वारा भी अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव पर प्रदर्शनी लगाई हुए है जो संबंधित विभाग की जानकारी यहां पर आने वाले पर्यटकों को दे रही है, ताकि वह योजना की जानकारी पाकर इस योजना का लाभ उठा सकें।

इसी कड़ी में हरियाणा सिंचाई विभाग के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव पर हरियाणा में सूक्ष्म सिंचाई विधि के ऊपर एक प्रदर्शनी लगाई गई है, जहां पर सूक्ष्म सिंचाई करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव पर एक छोटा सा मॉडल लगाया गया है और सूक्ष्म सिंचाई विधि को उस मॉडल के जरिए समझाया गया है तो जानते हैं कि सूक्ष्म सिंचाई विधि क्या है और इससे आने वाले समय में हरियाणा में कितना फायदा होने वाला है क्योंकि हरियाणा में कई ब्लॉक डार्क जोन में आ चुके हैं जहां पानी का बड़ा संकट खड़ा हो चुका है।

हरियाणा में 141 ब्लॉक में से 14 ब्लॉक अति डार्क जोन में शामिल

बता दें कि हरियाणा में 141 ब्लॉक हैं, जिनमें से 14 ब्लॉक को रेड जोन में शामिल किया गया है, ये वे ब्लॉक हैं, जहां पर भूमिगत जल स्तर काफी नीचे पहुंच गया है और वहां पर पानी की समस्या खड़ी हो गई है। हरियाणा में 14 जिले अति रेड जोन में हैं, जिनमें कुरुक्षेत्र, करनाल, कैथल, झज्जर, हिसार, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, भिवानी, सोनीपत, पानीपत, सिरसा और जींद शामिल हैं। यहां पर अति संवेदनशील स्थिति बताई गई है। ऐसी स्थिति को देखते हुए ही सिंचाई विभाग के द्वारा सूक्ष्म सिंचाई विधि शुरू की गई है, ताकि वहां पर पानी के दोहन को बचाए जा सके और खेती भी आसानी से की जा सके।

क्या है सूक्ष्म सिंचाई विधि

सिंचाई विभाग के एसडीओ दीपक कुमार ने बताया कि सिंचाई विभाग के द्वारा MICADA योजना लागू की गई है जिसमें ड्रिप इरीगेशन के जरिए किसान इस योजना का लाभ ले सकते हैं। इस योजना का मुख्य उद्देश्य यही है कि हरियाणा में जो पानी का संकट गहराता जा रहा है उससे प्रदेश को बाहर निकाला जा सके, वैसे हरियाणा में सिंचाई विभाग के द्वारा सूक्ष्म सिंचाई विधि पर काफी जोर दिया जा रहा है, किसान इसको अपनाएं, इसमें किसान के खेत में एक बड़ा कंक्रीट का तालाब बनाया जाता है, जहां पर किसान वर्षा या नहर का पानी इकट्ठा कर सकता है और सोलर पैनल के जरिए अपने ट्यूबल को चलाकर यहां से वह अपने खेत में पानी दे सकता है। ट्यूबल के जरिए सूक्ष्म सिंचाई विधि में पाइपों के जरिए फवारा विधि से किसान अपने खेत में पानी से सिंचाई कर सकता है।

85% तक दिया जाता है अनुदान

हरियाणा में जो भी किसान इस योजना का लाभ लेना चाहता है, उसको सिंचाई विभाग के द्वारा और कृषि विभाग के द्वारा 85% तक अनुदान दिया जाता है। इसमें किसान को सिर्फ 15% ही भुगतान करना होता है और 15% के साथ 12% जीएसटी बना होता है, बाकी 85% हरियाणा सरकार के द्वारा सिंचाई विभाग और कृषि विभाग इस पर अनुदान देती है। जिसके चलते किसानों को नाममात्र पैसों में ही इस योजना का लाभ मिल पाता है जिसके जरिए वह ड्रिप इरीगेशन से सिंचाई कर सकते हैं।

डार्क जोन क्षेत्र के लिए सिर्फ देनी पड़ती है जीएसटी

प्रदेश में काफी ब्लॉक डार्क जॉन क्षेत्र में आ चुके हैं जिसके चलते सूक्ष्म सिंचाई विधि को काफी जोर देकर किसानों तक पहुंचाया जा रहा है ताकि वह इसका लाभ उठाएं। डार्क जॉन क्षेत्र के लिए सिंचाई विभाग और हरियाणा सरकार के द्वारा कुछ ब्लॉक के गांव चिन्हित किए गए हैं, अगर उसे गांव का कोई किसान इस योजना का लाभ लेना चाहता है तो वह इसके लिए 100% तक अनुदान ले सकता है। सिर्फ उसको इसकी 12% जीएसटी भरनी होगी, बाकी 100% अनुदान विभाग के द्वारा दिया जा रहा है। हरियाणा में पानी की बचत करने के लिए कृषि विभाग और सिंचाई विभाग के द्वारा कई योजनाएं चलाई हुई हैं, जिसमें से एक यह योजना विशेष तौर पर हरियाणा के किसानों के लिए सरकार लेकर आई है।

बिना बिजली के चला सकते हैं ट्यूबल, सोलर सिस्टम से की जाती है ड्रिप इरीगेशन की सिंचाई

विभाग के अधिकारी यह भी जानकारी दी कि किसानों के सामने एक बड़ी समस्या खड़ी होती है कि किसानों को बिजली का कनेक्शन नहीं मिल पाता, जिसके चलते वह अपने खेत में अच्छे से खेती नहीं कर पाते, लेकिन जो भी किसान सूक्ष्म सिंचाई विधि योजना का लाभ लेना चाहता है, उसको बिजली की आवश्यकता नहीं होती, उसके ट्यूबवेलल पर सोलर पैनल लगाया जाता है ताकि वह बिना बिजली के सोलर पैनल के जरिए अपनी खेत की सिंचाई कर सके। इसमें किसान को सिर्फ एक बार पैसों का भुगतान करना पड़ता है, बाकी उसके बाद वह सारा फ्री में ही प्रयोग करता है।

सूक्ष्म सिंचाई विधि से 42% पानी की होती है बचत

उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि अगर किसान सूक्ष्म सिंचाई विधि से खेत में पानी की सिंचाई करता है तो उसमें किसान 42% तक पानी की बचत कर सकता है जिससे आने वाले समय में पानी की समस्या से निपटा जा सकता है। इस विधि के जरिए पौधे को उतना ही पानी दिया जाता है जितनी उसकी आवश्यकता होती है। ऐसे में किसान इस योजना का लाभ लेकर करीब 42% पानी की भी बचत कर सकते हैं।

सूक्ष्म सिंचाई विधि से पैदावार में होती है बढ़ोतरी

वहीं जो किसान सूक्ष्म सिंचाई विधि से खेती कर रहा है इसकी पैदावार में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। हालांकि सिंचाई विभाग और कृषि विभाग के द्वारा सूक्ष्म सिंचाई विधि से 11% तक पैदावार की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, लेकिन यह बढ़ोतरी 20% तक भी हो जाती है, क्योंकि अलग-अलग फसलों के आधार पर ही उत्पादन की गणना की जाती है और जिसमें किसान अपनी हर प्रकार की फसल में उत्पादन में भी बढ़ोतरी इस विधि के जरिए कर सकते हैं।

सूक्ष्म सिंचाई विधि बागवानी ही नहीं धान की फसल लिए भी है उपयोगी

किसान सिर्फ यह समझते हैं कि सूक्ष्म सिंचाई विधि सिर्फ बागवानी के लिए ही कारगर होती है लेकिन उन्होंने दावा किया कि सिंचाई विभाग ने कृषि विभाग के साथ मिलकर इस पर अच्छे से काम किया है जिसके चलते अब सूक्ष्म सिंचाई विधि के जरिए धान की खेती भी की जा रही है. वहीं जहां कृषि विभाग धान की सीधी बिजाई के लिए किसानों को प्रोत्साहन कर रहे हैं तो उसे सीधी बिजाई में किसान ड्रिप इरीगेशन के जरिए सिंचाई कर सकते हैं, धान की सीधी बिजाई में जितना किसान खेत में धान के पौधों में अंतर होता है इतने अंतर पर ही ड्रिप इरीगेशन में खेत में बिछाने जाने वाली पाइपों में सुराग छोड़े जाते हैं ताकि वह पौधे की जड़ पर रखकर पौधे को उतना ही पानी दे जितनी उसकी आवश्यकता होती है।

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