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Aided College Issue : प्रदेश में चुनावी मुद्दा बनता एडेड कॉलेज के समायोजन का मामला

India News (इंडिया न्यूज), Aided College Issue, चंडीगढ़ हरियाणा में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं। सत्ताधारी और विपक्षी पार्टियों के नेता लगातार वोटर्स को लुभाने का हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। वहीं चुनावी आहट के चलते सरकारी कर्मचारी भी पिछले कुछ समय से लगातार अपनी मांगों को लेकर आवाज बुलंद कर रहे हैं। सरकारी तबके को भी इस बात का काफी इल्म है कि चुनावों से पहले वो सरकार पर अपनी मांग मनवाने का अच्छा खासा दबाव बना सकते हैं।

इसी कड़ी में प्रदेश के एडेड कॉलेजों में तैनात टीचर्स और गैर शिक्षण संघ के कर्मचारियों की कुछ मांगें लंबे समय से लंबित हैं। अब वो लगातार मांग कर रहे हैं कि पिछले करीब 4 साल से लंबित उनकी सभी मांगों को पूरा किया जाए। कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन पिछले कई वर्षों से टेकओवर के लिए संघर्षरत हैं और सरकारी महाविद्यालयों में समायोजित होने तक प्रयासरत रहेंगे। टीचिंग 7वें वेतनमान के अनुसार संशोधित एचआरए, एक्स ग्रेशिया, एनपीएस स्टाफ की ग्रेच्युटी, मेडिकल, समय पर सैलरी न मिलना सहित अनेक लाभ नहीं मिलते। अंत: सरकार से निवेदन है कि एडेड कॉलेज स्टाफ का जल्द से जल्द सरकारी महाविद्यालयों में समायोजन किया जाए।

मामले के चुनावी मायने समझिए

अगले साल होने चुनावों को देखते हुए एडेड कॉलेजों में तैनात टीचर के सरकारी कॉलेजों में समायोजन के मुद्दे का राजनीतिक रंग लेना भी वाजिब है। एक टीचर के साथ परिवार और रिश्तेदारों व नजदीकियों समेत कई वोटर जुड़े होते हैं तो कहीं न कहीं वोट बैंक की राजनीति भी धरातल पर आनी लाजिमी है।

सभी राजनीतिक दलों की कोशिश होगी कि टीचर्स को नाराज न किया जाए। टीचर्स लगातार अपनी मांगों को मनवाने के लिए नेताओं से मिल रहे हैं। सत्ताधारी विधायक और नेता उनको जल्द से जल्द मामले के समाधान का आश्वासन दे रहे हैं। विपक्षी नेता लगातार वायदा कर रहे हैं कि उनकी सरकार आते ही वो मामले का समाधान करेंगे।

97 एडेड कॉलेजों में करीब 3 हजार शिक्षक व गैर शिक्षण संघ कर्मचारी, पद भी खाली

एसोसिएशन द्वारा प्राप्त जानकारी अनुसार हरियाणा में 97 एडेड कॉलेज हैं और इनमें करीब 3 हजार शिक्षक और गैर शिक्षण कर्मचारी कार्यरत हैं। कॉलेजों में तैनात दोनों ही वर्ग के कर्मचारियों की नियुक्ति सरकार द्वारा निर्धारित व फ्रेम किए गए रेगुलेशंस के आधार पर ही होती है। कॉलेजों में कार्यरत कर्मचारियों को 95% अनुदान सरकार देती है, जबकि 5% प्रबंधक समितियों द्वारा दिया जाता है। फिर भी इन महाविद्यालयों में सरकार का सीधा कंट्रोल नहीं है। एसोसिएशन के अनुसार इन सरकारी कॉलेजों में शिक्षकों के पद बड़े पैमाने पर खाली पड़े हैं।

इसके चलते कॉलेजों में स्टूडेंट्स की पढ़ाई भी व्यापक पैमाने पर प्रभावित हो रही है। एडेड कालेज शिक्षक संघ के प्रधान डाॅ. राजबीर ने कहा कि हरियाणा में 97 सरकारी सहायता प्राप्त कॉलेज में शिक्षक और गैर शिक्षक 4600 पद स्वीकृत हैं। वर्तमान में इन काॅलेजों में 1971 शिक्षक और 1140 गैर शिक्षक कर्मचारी कार्यरत हैं। इनमें कार्यरत कर्मचारियों की नियुक्ति सरकार की ओर से बनाए गए रूल्स रेगुलेशन के अनुसार होती है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने इन काॅलेजों में कार्यरत कर्मचारियों को टेकओवर करके सरकारी महाविद्यालयों में समायोजित करने का वादा किया गया था, जिसे अब तक पूरा नहीं किया गया।

कॉलेजों के स्टाफ की मांग उनको सरकारी कॉलेजों में समायोजित करने की

कॉलेज एसोसिएशन व स्टाफ लगातार मांग कर रहे हैं कि उनको सरकारी कॉलेजों में समायोजित किया जाए। उनका कहना है कि प्रदेश की वर्तमान सरकार ने एडेड कॉलेजों में कार्यरत कर्मचारियों को टेकओवर करके सरकारी महाविद्यालयों में समायोजित करने का वादा किया था, जो अभी तक सरकार ने पूरा नहीं किया।

उनका तर्क है कॉलेजों को जब 95 फीसदी अनुदान सरकार द्वारा दिया जा रहा है तो उनको सरकारी कॉलेजों में समायोजित करने में क्या दिक्कत है। दूसरी तरफ ये भी बता दें कि टेकओवर पॉलिसी का एडेड कॉलेजों में कार्यरत कर्मचारियों में कोई विरोधाभास नहीं है, क्योंकि सरकार द्वारा बनाई पॉलिसी ऐच्छिक है। जो कर्मचारी टेकओवर नहीं होना चाहते वो मूल कॉलेजों में रहते हुए ही यहां अपनी सेवाएं दे सकते हैं।

कॉलेजों की समायोजन की फाइल लंबे समय से अटकी

जानकारी में सामने आया है कि कॉलेजों के स्टाफ को सरकारी महाविद्यालयों में समायोजित करने हेतु पॉलिसी भी बन चुकी है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल और शिक्षा मंत्री पहले ही अनुमति दे चुके हैं। इसको लेकर फाइल भी लंबे समय से चल रही है। यह फाइल वित्त विभाग के कुछ सुझावों और टिप्पणी की जानकारी देने हेतु लगभग पिछले चार वर्षों से शिक्षा विभाग में लंबित पड़ी थी, लेकिन अब इस फाइल पर काम चल रहा है और स्टाफ समायोजित करने की प्रक्रिया चल रही है।

पेंडिंग वेतन, ग्रेचुएटी, भत्ते समेत कई इश्यू अहम

जानकारी अनुसार टीचर्स का वेतन भी कई बार पेंडिंग रहता है और इसके चलते उनको वित्तीय मोर्चे पर जूझना पड़ता है। कई बार 2 से 3 महीने सैलरी नही मिलती। सातवें वेतनमान के अनुसार एचआरए की फाइल पिछले तीन सालों से वित विभाग में लंबित है। एक्सग्रेशिया पहले एडेड कॉलेजों में कार्यरत स्टाफ को मिलता था लेकिन नई एक् ग्रेशियापॉलिसी को लागू नहीं किया गया। इसके साथ ही मेडिकल, एनपीएस स्टाफ की डेथ कम रिटायरमेंट ग्रेच्युटी, एलटीसी, ग्रुप डी के भत्ते, सेवा एवं अवकाश नियमों में बदलाव न होना, सीसीएल जैसे लाभ भी इन कॉलेजों में कार्यरत शिक्षकों को नहीं मिलते।

एडेड कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन के महासचिव डॉ. सुदीप ये बोले

इसके साथ कई अन्य राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश की सरकारों ने भी एडिड कॉलेजों के स्टाफ का सरकारी कॉलेजों में समायोजन किया है। हरियाणा में भी एडिड स्कूलों के स्टाफ को भी सरकारी स्कूलों में समायोजित किया है। ठीक इन्हीं नीतियों को अनुसरण करते हुए एडेड कॉलेजों के स्टाफ का समायोजन भी सरकारी कॉलेजों में किया जाए। सरकार द्वारा ऐसा करने से सरकारी खजाने को वित्तीय लाभ पहुंचेगा और सरकारी महाविद्यालयों में स्टाफ की कमी भी पूरी होगीह।

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Amit Sood

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